आसावरा माता मंदिर की अनोखी मान्यता, यहां कुंड में स्नान कर 'वरदान' पाते हैं लकवा ग्रस्त रोगी

author img

By

Published : Oct 3, 2022, 6:02 AM IST

Asawara Mata temple mewar

मेवाड़ में आसावरा माता शक्तिपीठ (Asawara Mata temple mewar) पर मत्था टेकने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. खास ये है कि आसवरा माता को रोग दूर करने वाली माता भी कहा जाता है. यहां लकवा ग्रस्त रोगी बड़ी संख्या में आते हैं. मान्यता है कि माता की मूर्ति के स्नान से उतरा पानी और यहां स्थित कुंड में स्नान करने से लकवा रोगियों के कष्ट दूर हो जाते हैं. बड़ी संख्या लकवा रोगी विभिन्न प्रदेशों से यहां आते हैं.

चित्तौड़गढ़. मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठों में शुमार आसावरा माता शक्तिपीठ (Asawara Mata temple mewar) का अलग ही महत्व है. देवी मां भक्तों के हर कष्ट दूर कर देती हैं. आसवरा माता मंदिर पर भी मत्था टेकने रोजाना भक्तों की भीड़ जुटती है. खासकर लकवा रोग से ग्रस्त भक्तों की तो यहां कतार लगती है. मान्याता है कि माता के दर्शन (Recognition of Asawara Mata Temple) और यहां स्थित कुंड में स्नान करने से लकवा रोग ठीक हो जाता है. बताया जाता है कि लकवा ग्रस्त मरीज यहां पर कुछ दिन रहता है जिससे माता रानी उसके रोग-कष्ट दूर कर देती हैं.

कहा जाता है कि यहां लकवा रोगी अपने परिवार के कंधों पर आते हैं और कुछ दिनों में अपने पांव पर खड़े होने लगते हैं. इस लिए मंदिर परिसर में माता के चरणों में शरण लिए सैकड़ों लकवा रोगियों को देखा जा सकता है. यही वजह है कि माता का आशीर्वाद लेने के लिए लकवा रोग से ग्रस्त मरीज प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों से भी आते हैं.

आसावरा माता मंदिर

पढ़ें. चौथ माता का मेला आज से शुरू, सोने-चांदी से माता का किया विशेष श्रृंगार

बताया जाता है कि माता की प्रतिमा को स्नान कराने के दौरान उतरे पानी को पिलाने और मंदिर के पास स्थित कुंड में नहाने से लकवा ग्रस्त रोगियों के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आता है. हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक पहलू नहीं बताया गया है लेकिन इसके पीछे यहां की आबोहवा को माना जाता है. यही वजह है कि यहां लकवा ग्रस्त रोगियों को परिजन पूरी आस्था के साथ मंदिर लाते हैं और बीमारी से राहत पाकर हंसी खुशी घर लौटते हैं.

Asawara Mata temple mewar
लकवा रोग मरीजों की आसावरा माता मंदिर में भीड़

अरावली की तलहटी में स्थित है मंदिर
माता रानी के शक्तिपीठों (Asawara Mata temple mewar) में शामिल आसावरा माता का यह मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर भदेसर उपखंड के आसावरा माता गांव में स्थित हैं. मुख्य मार्ग पर यह मंदिर अरावली पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बना हुआ है. मंदिर से सटा हुआ एक विशाल तालाब है जिसका कैचमेंट एरिया अरावली पर्वत श्रंखला को ही माना जाता है. जैसे-जैसे मंदिर की ख्याति बढ़ रही है वैसे-वैसे यहां की सुविधाओं में भी विस्तार किया जा रहा है.

पढ़ें. Amer Shila Mata Mandir: यहां पर है माता की तांत्रिक और जागृत प्रतिमा, बंगाल से है खास कनेक्शन!

आरती में शामिल होते हैं भक्तों के साथ रोगी
आरती प्रातः 5 बजे और शाम को 6.30 बजे होती है. इस आरती में लकवा रोग ग्रस्त पीड़ित भी शामिल होते हैं. माता रानी का मुख पूर्व दिशा में होता है. यहां भक्त मंदिर की परिक्रमा करते हैं और मंदिर की छोटी-छोटी खिड़कियां हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में बखारियां कहा जाता है, भक्त और लकवा पीड़ित को उसमें से होकर निकाला जाता है. माता की महिमा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब राजस्थान के अन्य इलाकों के साथ-साथ महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश , बिहार, आंध्र प्रदेश कर्नाटक, तमिलनाडु , दिल्ली, पंजाब समेत कई राज्यों से लकवा पीड़ित लोगों को लाया जाने लगा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.