Bundi News: ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा को पहनाई गई बूंदी की पाग, निकली राजशाही जुलूस
Updated on: Dec 12, 2021, 5:23 PM IST

Bundi News: ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा को पहनाई गई बूंदी की पाग, निकली राजशाही जुलूस
Updated on: Dec 12, 2021, 5:23 PM IST
ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा को रविवार को बूंदी की पाग पहनाई (new Maharao of Bundi) गई. पाग रस्म के बाद भूपेश हाड़ा ने राजशाही जुलूस निकाली, जिसका जगह-जगह स्वागत किया गया.
बूंदी. ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा को रविवार को बूंदी रियासत की पाग बांधी गई. रक्तदंतिका माता के मंदिर में विधि-विधान और पूजा अर्चना के साथ पाग बांधन के रस्म हुई. इस दौरान शहर में राजशाही जुलूस निकला. जिसके बाद बिना परमिशन जुलूस निकालने पर पुलिस जिप्सी जब्त कर लिया.
बता दें कि पिछले करीब 12 सालों से बूंदी रियासत के महाराव की पाग बांधने का गतिरोध चल रहा था. लंबे अरसे बाद पाग दस्तूर का कार्यक्रम हुआ. पाग बंधने के साथ ही ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा गाड़ी में जुलूस के रूप में बहादुर सिंह सर्किल पर पहुंचे, जहां पर उन्होंने महाराव बहादुर सिंह जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इसके बाद भूपेश सिंह अपने घर पहुंचे, जहां पर उन्होंने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया.
इस दौरान प्रदेश के कई जिलों से जुड़े प्रतिष्ठित परिवार राजपूत परिवारों ने भी शिरकत की. शहर में विभिन्न जगहों पर ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा को बूंदी का महाराव बनाए जाने पर लोगों ने उनका स्वागत किया. इस दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने की दृष्टि से पुलिस के अधिकारी और जवान भी तैनात रहे. भूपेश हाड़ा ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने इस पाग के लिए मुझे योग्य समझा.
उपखंड अधिकारी ने लगाई रोक
उपखंड अधिकारी ललित गोयल ने देवस्थान विभाग की ओर से कोविड-19 की पालना के आदेशों का हवाला देते हुए सभी धार्मिक स्थानों पर अंदर और बाहर किसी भी तरह के कार्यक्रमों के आयोजन पर रोक लगा दी थी. समिति ने ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा का पाग कार्यक्रम आयोजन करने के लिए बालचंद पाड़ा रंगनाथ जी के मंदिर में आमजन को आमंत्रित किया था लेकिन रोक के बाद कार्यक्रम में बदलाव कर सथूर स्थित रक्तदंतिका माता मंदिर में संपन्न करवाया गया.
समिति ने ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा का पाग कार्यक्रम आयोजन करने के लिए बालचंद पाड़ा रंगनाथ जी के मंदिर में आमजन को आमंत्रित किया था लेकिन रोक के बाद कार्यक्रम में बदलाव कर सथूर स्थित रक्तदंतिका माता मंदिर में संपन्न करवाया गया.
इन योग्यताओं पर खरे उतरे ब्रिगेडियर
पाग समिति के संयोजक महाराव शक्ति सिंह रामपुरिया ने बताया कि योग्य उत्तराधिकारी के चयन के लिए पाग समिति ने बूंदी के पूर्व जागीरदारों, सर्वसमाज की सहमति व शास्त्रों का सहारा लिया. शास्त्रों के अनुसार राजा में राजधर्म, सद् विचार, सदाचरण, प्रभावशाली व्यक्तित्व, कुशल प्रशासक, कुशल रणनीतिकार, आमजन के सुख दुख के प्रति चिंता करने वाला, सर्वसमाज में प्रिय, जनकल्याण के लिए कठोर निर्णय लेने वाला होना चाहिए. पाग समिति ने इन सब गुणों व सर्व सहमति को ध्यान रखते हुए यह निर्णय लिया कि ब्रिगेडियर भूपेश सिंह ही बून्दी की पाग के लिए योग्य उम्मीदवार हैं.
माउंट एवरेस्ट पर फहराया था बूंदी रियासत का झंडा
ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा ने कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का प्रदर्शन किया था, भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया था. ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा के कुशल नेतृत्व में भारतीय सेना ने लद्दाख क्षेत्र मोर्चा संभाल कर चीनियों को खदेड़ा था. ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा ने वर्ष 2012 में विश्व कि सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर भारतीय तिरंगे, अपनी रेजिमेंट के झंडे के अलावा बून्दी राज्य का रियासतकालीन झण्डा (flag of the princely state of bundi) लहराया था. ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा दस पारा कमाण्डो बटालियन (Special Forces) से ताल्लुक रखते हैं और वर्तमान में वे एनएसजी (NSG) में कार्यरत हैं.
ऐसे ही थे जयपुर के महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह
ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा के कार्यों में योग्य नेतृत्व, निडर व्यक्ति, कुशल प्रशासक, राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का मोह न रखते हुए शत्रु से लोहा लेना इत्यादि गुण रहे हैं जो उन्हें एक कुशल नेता और राजा बनाने के लिए पर्याप्त हैं. पूर्व में भी जयपुर के महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी थीं. 1971 भारत पाक युद्ध में उनकी वीरता को पुरस्कृत करते हुए भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया था.
2010 से खाली थी बूंदी की राजगद्दी
बून्दी के हाड़ा राजाओं को महाराव राजा की उपाधि प्राप्त थी. इनसे पहले बून्दी के 25 राजा हुए हैं. स्व. महाराव राजा रणजीत सिंह के 2010 में देवलोकगमन के बाद से राजगद्दी सूनी थी. अब इस गद्दी पर ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा काबिज होंगे.
