बीकानेर. पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने कहा कि यह राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह से धोखा है. राजनीतिक दलों में पार्टी के नेताओं के बोलने पर गाइडलाइन तय है. बात प्रदेश की हो या केंद्रीय कार्यकारिणी की, दो चार गिने-चुने नेता भाषण देंगे और आपको वहां सुनना है.
किसी को मुखर होकर बोलने की आजादी नहीं है. विधानसभा और लोकसभा में पार्टी की ओर से एक व्हिप जारी होता है. किसी को भी अपने दिमाग से सोचना नहीं है. यह व्यवस्था ठीक नहीं है. पार्टियां पूरी तरह से धोखा है.
'मेरे संबंध सभी से अच्छे'
देवी सिंह भाटी ने राजस्थान में राजनीतिक बयानबाजी के दौर पर कहा कि इस पर बोलने का कोई महत्व नहीं है. आज जो नेता समर्थन या विरोध में बयान दे रहे हैं, वह कल किसके साथ चले जाएं कोई भरोसा नहीं है. लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था. एक बार जब कोई किसी के साथ हो जाता तो पीछे नहीं हटते. अब दी हुई जुबान से कब कौन पलट जाए, पता नहीं चलता है.
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'हर व्यवस्था सरकार के हाथों में नहीं'
प्रजातांत्रिक व्यवस्था को लेकर भाटी ने कहा कि अंग्रेजों के बनाए कानून आज भी हम ढोए जा रहे हैं. हमें सोचना होगा. पहले के जमाने में लोग सामाजिक और स्थानीय स्तर पर व्यवस्था संभालते थे. केंद्र सरकार के स्तर पर विदेश मंत्रालय, संचार, रक्षा की जिम्मेदारी हो लेकिन गांव-ढाणी, शहर के विकास की जिम्मेदारी सामाजिक स्तर पर की जाए.
भाटी ने कहा कि आप मुझे हिंदुस्तान में एक ऐसी कुर्सी बता दो, जिस पर बैठा व्यक्ति समस्याओं का समाधान कर सके. प्रजातांत्रिक व्यवस्था में अंग्रेजों के बनाए वह कानून हैं, जो हमें लूटने के लिए बनाए गए थे. हम इस कानून के जरिए न्याय की उम्मीद कर रहे हैं. राजतंत्र पर अंगुली उठाना आसान है लेकिन वह सालों साल तक चले हैं. आमजन खुद अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सजग हों, जागृत हो और जिम्मेदारी को समझें.
सामाजिक नियंत्रण जरूरी
भाटी ने कहा कि हमारा देश शुरू से परंपरा और व्यवस्था से चलता रहा है. इस पर समाज का नियंत्रण रहा है लेकिन प्रजातंत्र में यह सब चीजें खत्म हो गई है. कोई मालिक नहीं रहा है. हमारे पूर्वजों ने आधारित व्यवस्था की बात की थी. उन्होंने गोचर तालाब का निर्माण करवाया.
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भाटी ने कहा कि आज सरकारें विकास की बात कहती हैं और पुल-सड़कों के निर्माण की बात गिनाती हैं. जिस गोचर से पर्यावरण संरक्षण होता था, कुएं और तालाब से पानी मिलता था, वे आज सूख गए हैं. सरकार दूसरे विकास की बात तो करती है लेकिन इन जरूरी चीजों पर ध्यान नहीं दिया गया. गोचर जैसी सार्वजनिक भूमि के लिए कोई मालिक नहीं. कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है. नेता आते हैं, भाषण देते हैं और चले जाते हैं. मैं भी इस व्यवस्था का हिस्सा रहा हूं. लेकिन मुझे लगता है कि सरकारों के स्तर पर इस तरह की बात करना व्यर्थ है. इसलिए अब सामाजिक स्तर पर इस पहल को आगे बढ़ाया है. लोग अब आगे आ रहे हैं.
'गोचर का विकास करेंगे'
भाटी ने कहा कि बीकानेर रियासत के पूर्व महाराजा के समय एक दानदाता ने इस जमीन को खरीदकर सिर्फ गोचर के लिए दिया था. लेकिन जमीन के कुछ हिस्से से सरकार ने जमीन अवाप्ति और कुछ अतिक्रमण भी हुआ लेकिन अब इस जमीन को पूरी तरह से चारदीवारी के साथ सूचित किया जा रहा है. जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने दो टयूबवेल लगाने की स्वीकृति दी है. वन मंत्री ने यहां नर्सरी की घोषणा की है. आने वाले समय में इस पूरे क्षेत्र को हरा-भरा किया जाएगा ताकि गौवंश का संवर्धन हो और पर्यावरण संरक्षण से लोगों को फायदा मिले.