Narak Nivaran Chaturdashi 2023: भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन, इस विधि से करें पूजा

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Published : Jan 20, 2023, 6:37 AM IST

Narak Nivaran Chaturdashi 2023

माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व है. इस दिन को नरक निवारण चतुर्दशी (Narak Nivaran Chaturdashi 2023) के नाम से भी जानते हैं.

बीकानेर. माघ महीने की मासिक शिवरात्रि का व्रत शुक्रवार को रखा जाएगा. इस दिन शिव उपासना से कठिन और असंभव कार्यों को संभव करने का आशीर्वाद मिलता है. मान्यता है कि माघ मास की चतुर्दशी तिथि पर मां पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाया था. इसलिए चतुर्दशी तिथि के मासिक शिवरात्रि के महत्व के साथ ही माघ मास की चतुर्दशी तिथि का नरक निवारण चतुर्दशी के रूप में महत्व है.

मिलता है अच्छा जीवनसाथी- इस व्रत के प्रभाव से कुंवारी कन्याओं को अच्छा जीवनसाथी मिलता है. विवाहितों को सुहागवती रहने का वरदान मिलता है. आज मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार मासिक शिवरात्रि व्रत में विधि विधान से रात्रि के समय शंकर और देवी पार्वती की पूजा करने वालों को अखंड सौभाग्य, सुयोग्य वर और धन-समृद्धि का वरदान मिलता है.

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मुक्त होता बंधन- माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है. इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहते हैं. पुराणों के अनुसार इस तिथि पर शंकर भगवान की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है. स्वर्ग-नरक के फेर से मुक्ति मिलती है. इस दिन शिव का ध्यान करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है. इस व्रत में बेर का प्रसाद अर्पित करने का विधान है.

खास है यह तिथि- शास्त्रों के अनुसार इस दिन पार्वती माता और भगवान शिव का विवाह तय हुआ था. इस तिथि के ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ संपन्न हुआ था. इसलिए यह दिन खास महत्व रखता है. वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार माघ और फाल्गुन माह की चतुर्दशी भगवान शंकर को सर्वप्रिय है. जिस कारण इन दोनों ही तिथियों को शिवरात्रि के समकक्ष ही माना जाता है. इस दिन शिव के साथ पार्वती और गणेश की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है.

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ऐसे करें पूजा- भगवान शिव की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए. घर के मंदिर में दीप जलाएं. सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें. घर में शिवलिंग है तो शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक कर माता पार्वती की आरती भी करें. प्रदोष काल में अर्थात सूर्यास्त समय में भगवान शिव का विधिवत स्नान कराकर षोडशोपचार विधि-विधान से पूजन करने से समस्त प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं. संध्या काल में किसी भी शिवालय में जाकर दूध, दही, घृत, मधु, गुड़, पंचामृत, भांग, गुलाब जल, गन्ना रस आदि पदार्थों के द्वारा अक्षत, चंदन, पुष्प, पुष्प माला, दूर्वा, बिल्वपत्र आदि के द्वारा शिवलिंग के ऊपर विधि विधान से पूजन करने से समस्त प्रकार के मनोरथों की प्राप्ति होती है.

इन बातों का रखें ध्यान- मासिक शिवरात्रि और नरक निवारण चतुर्दशी को कुछ विशेष नियमों का पालन जरूर करना चाहिए. इस दिन अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. साथ ही मन में किसी के प्रति गलत विचार नहीं लाने चाहिए. इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.

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