City Lifeline भीलवाड़ा में हर साल बनता है 120 करोड़ मीटर कपड़ा, 23 हजार करोड़ का टर्नओवर

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Published : Sep 5, 2022, 7:49 AM IST

Updated : Sep 5, 2022, 4:44 PM IST

Bhilwara Textile industries business

राजस्थान के भीलवाड़ा शहर ने भारत में टेक्सटाइल सिटी (Textile City Bhilwara) के रूप में अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई है. भारत के वस्त्र उद्योग में भीलवाड़ा (Cloth Industry Bhilwara) ने नया इतिहास रचा और देश में 'टेक्सटाइल सिटी' के नाम से मशहूर हो गया. खनिजों का भण्डार यह जिला प्राचीन समय से ही इतिहास एवं कला-संस्कृति की दृष्टि से सम्पन्न रहा है. भीलवाड़ा को राजस्थान का मैनचेस्टर के नाम से भी जाना जाता है. पेश है भीलवाड़ा से ये खास रिपोर्ट.

सौमदत्त त्रिपाठी- भीलवाड़ा. भीलवाड़ा की पहचान वर्तमान में पूरे विश्व में 'टेक्सटाइल सिटी' के रूप (Textile City Bhilwara) में है. भीलवाड़ा में टेक्सटाइल की शुरुआत 1938 से हुई. सबसे पहले यहां मेवाड़ मिल की स्थापना हुई, उसके बाद 1962 में लक्ष्मी निवास झुनझुनवाला (Laxmi Niwas Jhunjhunwala) ने राजस्थान स्पिनिंग और बुनाई की मिल की स्थापना की. तभी से यहां आधुनिक मशीन युक्त उद्योगों की स्थापना हो रही है. इसीलिए वर्तमान में पूरे विश्व में भीलवाड़ा कपड़े के क्षेत्र में प्रसिद्ध पा चुका है. यहां प्रतिवर्ष 120 करोड़ मीटर कपड़ा तैयार होता है. यहां के व्यापरियों का सालाना टर्नओवर 23 हजार करोड़ रुपए के करीब है. इन औद्योगिक इकाइयों के कारण काफी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिले हैं, जिससे भीलवाड़ा की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है. यहां के उद्योगपति नए-नए आयाम स्थापित कर रहे हैं. वर्तमान में यहां प्लास्टिक की खाली वेस्ट बोतलों से भी कपड़ा बना रहे हैं.

भील समाज के बाड़े से बना भीलवाड़ाः भाजपा के पूर्व मंत्री कालूलाल गुर्जर ने कहा कि भीलवाड़ा जो वर्तमान में दिखाई देता है, उसकी पृष्ठभूमि (History of Bhilwara) के पीछे जाते हैं तो पता चलता है कि भीलवाड़ा पूर्व में ऐतिहासिक नहीं था. वर्तमान भीलवाड़ा शहर की जगह एक छोटा कस्बा था, जिसमें भील समाज के लोग रहते थे. तब यहां भील समाज के बाड़े हुआ करते थे, तब से इनका नाम भीलवाड़ा पड़ा था. अंग्रेजों के कार्यकाल में यहां रेलवे लाइन निकली. फिर धीरे-धीरे विकास की गति आगे बढ़ती गई. सबसे पहले यहां लोग ट्रैक्टर कंप्रेसर , बोरिंग का व्यापार करते थे. उसके बाद अभ्रक की ईंट बनाने की शुरुआत हुई. उनके साथ ही भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया क्षेत्र में सेंड स्टोन के खनन के कारण पूरे देश में भीलवाड़ा को प्रसिद्धि मिली. लेकिन जब 1938 में मेवाड़ टेक्सटाइल की नींव रखी गई तब से भीलवाड़ा मे कपड़ा उद्योग जगत की शुरुआत (Textile Industries is lifeline for Bhilwara) हुई. मेवाड़ टेक्सटाइल का बनियान पूरे विश्व में बिकने के लिए जाता था. आज भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग (Bhilwara Textile industries business) इतना मजबूत हो गया कि मुंबई का कपड़ा भी भीलवाड़ा बनने के लिए आ रहा है.

भीलवाड़ा में हर साल बनता है 120 करोड़ मीटर कपड़ा

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भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन (Bhilwara Textile Trade Federation) के जिलाध्यक्ष दामोदर अग्रवाल ने बताया कि सबसे पहले 1962 में भीलवाड़ा उद्योग समूह का राजस्थान स्पिनिंग और बुनाई मिल लक्ष्मी निवास झुनझुनवाला (Laxmi Niwas Jhunjhunwala) की अगुवाई में स्थापित हुआ. उस समय नया रो मटेरियल, नया निर्माण और नई मार्केटिंग थी, लेकिन धीरे-धीरे उद्योग जमने लगा. भीलवाड़ा की स्पर्धा पूरे देश से थी लेकिन यहां की गुणवत्ता और विक्रय मूल्य कम होने के कारण यहां के उत्पादकों को देशभर में जगह मिली. वर्ष 2013 में रिक्स पॉलिसी आई, उसका श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को जाता है. इस पॉलिसी के कारण यहां नई-नई टेक्नोलॉजी की दिशा में बहुत विकास हुआ. यहां के विकास यात्रा में केंद्र सरकार की योजना का बहुत मायना है.

60 हजार लोगों को मिलता है रोजगार- भीलवाड़ा के टेक्सटाइल उद्योग (business of Textile industries in Bhilwara) में 40 हजार श्रमिकों को रोजगार मिलता है. साथ ही 20 हजार परिवारों को अप्रत्यक्ष रोजगार टेक्सटाइल इंडस्ट्री के कारण मिलता है. टेक्सटाइल उद्योग से प्रतिवर्ष 120 करोड़ मीटर कपड़ा निर्माण होता है. यहां के उद्यमियों का सालाना 23 हजार करोड़ रुपए का टर्नओवर है.

23 हजार करोड़ का टर्नओवर

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टेक्सटाइल उद्योग ने बदली सूरतः करीब 5 दशक पहले तक भीलवाड़ा शहर लगभग 50 से 60 हजार की आबादी वाला साधारण सा कस्बा था. लेकिन टेक्सटाइल क्षेत्र में रोजगार सृजन के बाद कई उद्योगपति भीलवाड़ा आए. साथ ही इन उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक भी दूसरे प्रदेश से यहां रोजगार के लिए आने लगे. श्रमिक व उद्योगपतियों के आने के बाद भीलवाड़ा समय की रफ्तार के साथ विकास के पथ पर दौड़ने (Textile Industries is lifeline for Bhilwara) लगा.

Bhilwara Textile industries business
वस्त्र नगरी भीलवाड़ा

लक्ष्मी निवास झुनझुनवाला ने की पहले उद्योग की स्थापनाः मेवाड़ क्षेत्र के सभी उद्योगों के लिए एक औद्योगिक संगठन बना हुआ है, जो कि मेवाड़ टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन (Mewar Textile Trade Federation) के नाम से विख्यात है. इसका प्रमुख कार्यालय भीलवाड़ा में स्थित है. मेवाड़ टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन (Mewar Textile Trade Federation) के महासचिव आर.के. जैन ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा सबसे पहले यहां लक्ष्मी निवास झुनझुनवाला ने उद्योग की स्थापना की. उससे पहले सिर्फ एमटीएम के नाम से मेवाड़ मिल प्रसिद्ध थी. अगर इन उद्योगों को केंद्र सरकार व राज्य सरकार का अच्छा सहयोग मिलेगा तो आने वाले समय में भीलवाड़ा उद्योग जगत में और प्रसिद्ध होगा. दिसंबर 2021 में भीलवाड़ा में राज्य सरकार की ओर से औद्योगिक सम्मिट आयोजित किया गया. जिसमें दस हजार करोड़ रुपए के एमओयू के प्रस्ताव आए थे. लेकिन यहा के उद्योगपतियों के सामने सबसे बड़ी विडंबना यह है कि गुजरात व मध्यप्रदेश की तुलना में यहां की टेक्सटाइल नीति (Textile Policy of Rajasthan) कठोर है. अगर यहां की टेक्सटाइल नीति में सरलीकरण कर दिया जाए तो यहां के उद्योगपतियों को पलायन नहीं करना पड़ेगा. औद्योगिक इकाइयों के सामने पानी कमी की भी बहुत बड़ी समस्या है.

Bhilwara Textile industries business
भीलवाड़ा में स्थापित उद्योग

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भीलवाड़ा में लगे टेक्सटाइल पार्कः टेक्सटाइल पार्क को लेकर मेवाड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव आर.के. जैन ने कहा कि टेक्सटाइल पार्क वास्तव में टेक्सटाइल नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले में ही लगना चाहिए. यहां टेक्सटाइल सिटी बनने में 50 वर्ष का समय लगा है. 50 वर्ष से यहा उद्योगों की स्थापना अनवरत हो रही है. उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल पार्क के लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजती है. लेकिन प्रदेश सरकार ने टेक्सटाइल पार्क जोधपुर मे लगाने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है. हमारी मांग है कि भीलवाड़ा में भी टेक्सटाइल पार्क लगे. इसके लिए राज्य सरकार भीलवाड़ा के लिए भी केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजे.

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1970 में दो टेक्सटाइल उद्योग थेः भीलवाड़ा श्रमिक संगठन के पदाधिकारी प्रभात चौधरी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा पूरे विश्व में टेक्सटाइल सिटी (Textile City Bhilwara) के नाम से विख्यात है. 1970 से पहले यहां सिर्फ दो टेक्सटाइल उद्योग चलते थे. तब उनमें 3000 श्रमिक ही काम करते थे. बाकी श्रमिक अभ्रक उद्योग में काम करते थे. लेकिन वर्तमान में यहां 70 हजार श्रमिक टेक्सटाइल इकाइयों में काम कर रहे हैं. वहीं 20 हजार परिवार को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है. यहां टेक्सटाइल उद्योग में भीलवाड़ा जिले के साथ ही राजस्थान के अन्य जिलों और उड़ीसा, झारखंड, उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश के श्रमिक काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं श्रमिक संगठन से जुड़ा हूं तो उन्हीं के हित की बात करता हूं. उन्होंने कहा कि यहां की ओधोगिक इकाइयों मे मजदूरों का शोषण जरूर हो रहा है. यहां की उद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले श्रमिक 12 घंटे काम कर रहे हैं. उनको मिनिमम पेमेंट 350 रूपये से 500 रूपये मिल रहे हैं. जबकि स्कील लेबर को 8 घंटे कार्य करने पर 280 रूपये देने का प्रावधान है. नया अमेंडमेंट आ रहा है, उसमें 4 दिन की ही वर्किंग रहेगी. उन्होंने कहा कि सरकार को श्रमिक हितों को ध्यान मे रखते हुए इस ओर भी ध्यान देना चाहिए. जिससे श्रमिक को अच्छा मेहनताना मिल सके.

Bhilwara Textile industries business
चुनौतियां कम नहीं

प्लास्टिक की खाली बोतल से बना रहे यार्नः भीलवाड़ा में अत्याधुनिक मशीनों से तरह-तरह के कपड़े तैयार हो रहे हैं. लेकिन कपड़े के क्षेत्र में यहां के उद्योगपति नए- नए नवाचार भी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर स्वच्छ भारत मिशन भी चल रहा है. भीलवाड़ा के उद्योगपति ने यहां कपड़े के क्षेत्र मे नए आयाम स्थापित किए हैं. वर्तमान में यहां प्लास्टिक की खाली बोतल से यार्न (धागा) बनाकर कपड़ा तैयार किया जा रहा है. जहां भारत की सबसे बड़ी औद्योगिक इकाई भीलवाड़ा में स्थित है.

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उद्योगों के सामने यह हैं चुनौतियांः यहां के उद्योगों के सामने वर्तमान की चुनौतियों को लेकर भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के जिलाध्यक्ष दामोदर अग्रवाल का कहना है कि चुनौती इंडस्ट्री के सामने सदैव रहती है. लेकिन भीलवाड़ा का उद्योगपति अपनी काबिलियत व दूरदर्शिता से हर चुनौती से लड़कर सफल हुए हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में दो बड़ी बात सामने आ रही है.

  • केंद्र सरकार की टप योजना (टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड) अब तक लागू थी वह 1 अप्रैल 2022 से बंद हो गई. इस कारण उद्यमियों के एक्सपेन्शन के प्लान में अवरोध पैदा हुआ है. साथ ही पुराना टप का पैसा भी केंद्र सरकार के पास लंबित है. उसके कारण यहां के उद्यमियों को तरलता में दिक्कत आ रही है.
  • राज्य सरकार की ओर से भी मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना लागू की गई है, उसकी स्वीकृति में व्यवहारिक दिक्कत आ रही है. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि यहां के उद्यमी सभी चुनौतियों से जीतकर भीलवाड़ा की विकास यात्रा को आगे लेकर जाएंगे. जिससे भीलवाड़ा हिंदुस्तान में ही नहीं पूरी दुनिया में किंग बनेगा.
    Bhilwara Textile industries business
    भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग

उद्योगों के सामने समस्या अनगिनत- प्रमुख समस्याओं को लेकर दामोदर अग्रवाल ने कहा कि उद्योगों के सामने समस्या अनगिनत हैं. सबसे बड़ी समस्या वर्तमान में बिजली के दर की है. यहां के उद्यमी 7.50 रूपये प्रति यूनिट से ज्यादा का भुगतान कर रहे हैं, जो गुजरात व मध्यप्रदेश की तुलना में सबसे ज्यादा है. राजस्थान के बजाय गुजरात व मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल पॉलिसी अच्छी है. उस कारण कुछ उद्यमी वहां पलायन कर रहे हैं. वर्तमान में 5 से 7 उद्यमी वहा पलायन कर चुके हैं. दामोदर अग्रवाल ने कहा कि जब पलायन की शुरुआत होती है तो फिर उनको रोकने में सरकार को दिक्कत होती है. सरकार को टेक्सटाइल पॉलिसी में सरलीकरण करना चाहिए. हमारी राज्य सरकार से मांग है कि यहां की उद्योग नीति को भी गुजरात व मध्यप्रदेश की उद्योग नीति की तुलना में बहतर व आकर्षक बनाना चाहिए.

Last Updated :Sep 5, 2022, 4:44 PM IST
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