इस दीवाली जलाएं गोबर वाले दीपक: भीलवाड़ा के सचिन गट्यानी ने बनाए गाय के गोबर के दीये, पर्यवरण संरक्षण और गोरक्षा का दिया संदेश

author img

By

Published : Oct 31, 2021, 6:27 PM IST

bhilwara news

क्या कभी आपने गोबर के दीपर देखे हैं. भीलवाड़ा के सचिन ने गाय के गोबर से दीपक बनाए हैं. जिन्हें वह लो कॉस्ट में लोगों बेच रहे हैं. जिससे दीपावली पर पर्यावरण को शुद्ध रखा जा सके, साथ ही गोरक्षा भी की जा सके.

भीलवाड़ा. यूं तो पर्यावरण और गाय बचाने की बात सभी लोग करते हैं पर इस बात को जमीनी स्तर पर अमल नहीं कर पाते है. लेकिन भीलवाड़ा के 17 वर्षीय बालक ने पर्यावरण संरक्षण और गोरक्षा को लेकर एक पहल करते हुए मिसाल पेश की है. रोशनी के पर्व दीपावली पर गोबर युक्त दीपक से घरों जगमनाने का संकल्‍प के साथ दीपक बनाने का कार्य शुरू किया है. करीब सवा लाख दीपक बनाकर घरों में पहुंचाने वाले छात्र का पहला उद्देश्‍य गो माता को बचाना है.

17 साल विद्यार्थी सचिन गट्यानी का संकल्‍प दीपावली तक ही समिति नहीं है, बल्कि दिवाली के बाद गौ उत्‍पादों को आम लोगों की रोजमर्रा के जीवन में शामिल कर किसान को आत्मनिर्भर बनाने का भी लक्ष्‍य है. इस गोबर युक्त दीपक को उपयोग के बाद में नदियों में प्रवाहित करने से वहां भी प्रदूषण नहीं फैलेगा. इसके लिए सचिन गट्यानी ने बकायदा नागपुर में विशेष प्रशिक्षण भी लिया है.

भीलवाड़ा के सचिन गट्यानी ने बनाए गोबर के दीये

गोबर युक्त दीपक बनाने वाले सचिन गट्यानी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि सभी लोग पर्यावरण बचाने और गाय को बचाने की बातें तो करते हैं मगर इसको प्रैक्टिकल में इस्तेमाल नहीं करते हैं. इस बात को लोग अगर अपने जीवन का हिस्सा बनाए तो वह मुमकीन है. दीपावली पर हर घर में दीपक की आवश्यकता पड़ती ही है, तो मैंने सोचा कि इस बार गोबर युक्त दीपक बनाया जाए. जिससे किसान गोबर का इस्तेमाल कर दीपक बनाएं और उसकी बिक्री भी कर सके. इस तरीके से किसान भी गो

माता की रक्षा में अपना योगदान दे सकेगा.

पढ़ें. Special: खूबसूरत है अजमेर की ये बारादरी, यहीं पर था सहेली बाजार...आज भी होती है 'खामखां' बात! जानिये क्या है इतिहास

अब तक सचिन गोबर के सवा लाख दीपक बना चुके हैं और एक दीपक को एक रुपये में बेच रहे हैं. सचिन का कहना है कि गोबर के दीपक बेचकर उसका उद्देश्य पैसे कमाने का नहीं है. बल्की गाय से उत्पाद को सही रूप में इस्तेमाल करना है. गाय ही नहीं बल्की खेतों को जोतने वाले बैल के गोबर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. दीपक का कहना है कि अगर गाय और बैल दोनों किसानों के पास है तो वह सड़कों पर आवारा नहीं घूमेंगे और ना ही इनका या इनके चलते सड़क हादसा होगा. गोबर युक्त दीपक से पर्यावरण संरक्षण भी किया जा सकता है. कार्तिक पूर्णिमा पर दीपक को नदी में बहाया जाता है. मगर मिट्टी के दीपक भारी होने के कारण वह पानी की सतह पर तेर नहीं सकते जिसके कारण लोगों को प्लास्टिक के फॉर्म का उपयोग करना पड़ता है. प्लास्टिक से नदियां दूषित होती है, लेकिन गोबर से बने दीपक पानी में आसानी से तैर सकते हैं.

वहीं सचिन के पिता अशोक गट्यानी ने कहा कि गाय को बचाने के संकल्प लेकर जो बच्चे की पहल है. इसका पूरा परिवार सहयोग करता है. सचिन ने पहले भी राखी के त्योहार पर गोबर की राखिया बनाई थी. और अब दीपावली आ रही है तो यह दीपक बनाने में जुट गया है. जिसका हम साथ दे रहे हैं. गोसेवा के लिए सचिन ने नागपुर में भी एक विशेष ट्रेनिंग ली है. जिसके बाद उसके मन में यह ख्याल आया कि वह गाय के गोबर का दीपक बनाएं और किसान को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करें.

पढ़ें- राठौड़ के सियासी कद को भाजपा नहीं करती स्वीकार, उनको बनाना चाहिए था प्रदेशाध्यक्ष, बन गए सतीश पूनिया: खाचरियावास

गोबर के दीपक बनाने में सहयोग करने वाले गोसेवक राजेंद्र पुरोहित ने कहा कि आज जो दीपावली के साथ त्योहारों के सीजन में चाइनीज आइटम हर तरफ अपनी धाक जमाए हुए हैं. चाइनीज लाइट, दीपक, प्लास्टिक के उपकरण जिन्हें हम सस्ती दर में खरीद कर अपने घर ले जाते हैं. जिससे चीन को कमाई होती है. जिसके बाद भी चीन भारत खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है. इसलिए प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर हमरा मकसद किसान को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही स्वदेशी को बढ़ावा देना है.

भीलवाड़ा का गोबर युक्त बना दीपक भारत के 8 राज्यों के हिस्सों में बिलासपुर इंदौर रतलाम मुंबई ठाणे और दक्षिणी भारत के अलग-अलग जगहों पर सैंपल के रूप में जा रहा है. जिससे कि लोगों को पता चले कि गोबर का दीपक कैसे बनाया जाता है. इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है. गोबर के दीपक का इस्तेमाल करना काफी आसान है. बस दीपक को एक बार पानी में गिला करके इसमें तेल डालकर जलाना है. जब तक दीपक में तेल रहेगा. तब तक आपका दीपक बदस्तूर जलता रहेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.