Organic Farming in Bharatpur: जैविक आंवला और अमरूद स्वाद में लाजवाब के साथ कमाई में भी दमदार, अरब तक हो रही सप्लाई

author img

By

Published : Jan 12, 2023, 4:19 PM IST

organic gooseberry farming in Bharatpu

भरतपुर में किसान द्वारका प्रसाद गोयल परंपरागत खेती को छोड़कर प्रगतिशील तरीके से खेती और बागवानी कर रहे हैं. साथ ही जैविक खाद (Organic Farming in Bharatpur) और जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने किसानों से अपील की है कि वो परंपरागत के साथ ही प्रगतिशील तरीके से जैविक खेती करें.

अमरूद की खेती कर किसान कमा रहे लाखों

भरतपुर. बड़ी संख्या में किसान आज भी परंपरागत खेती कर रहे हैं. लेकिन कुछ किसान परंपरागत खेती को छोड़कर प्रगतिशील तरीके से खेती और बागवानी कर रहे हैं और लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसा ही एक उदाहरण जिले के छौंकरवाड़ा कला गांव के किसान द्वारिका प्रसाद गोयल का है. वे जैविक तरीके से आंवला और अमरूद की बागवानी से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. द्वारिका प्रसाद की ओर से पैदा किए जाने वाले आंवला की मांग कई बड़ी आयुर्वेदिक कंपनियों में है. वहीं, खास स्वाद की वजह से अमरूद भी अरब देशों तक सप्लाई हो रहा है.

ऐसे शुरू की जैविक बागवानी: किसान द्वारका प्रसाद ने बताया कि उन्होंने पास के एक गांव में एक किसान का आंवला का बाग देखा था. उसकी अच्छी पैदावार देखकर मन में आंवला का बगीचा लगाने की इच्छा हुई. किसान ने परंपरागत खेती के बजाए साल 2008 में साढ़े 9 बीघा जमीन में आंवला के पौधे लगा दिए. शुरुआत में पैदावार भी कम रही और भाव भी अच्छे नहीं मिले, लेकिन किसान ने हिम्मत नहीं हारी. धीरे-धीरे किसान को पैदावार और भाव अच्छे मिलने लगे.

gooseberry and guava in Bharatpur
जैविक आंवला

जैविक हैं आंवला: किसान ने राज्य सरकार से जैविक आंवला वर्ष 2017 में प्रमाणीकरण भी करा लिया. इसलिए देश की जानी मानी आयुर्वेदिक कंपनियों में इस आंवले की सप्लाई शुरू हो गई. अब शहर के अलावा मथुरा, दिल्ली, जयपुर जैसी मंडियों में आंवला की मांग रहती है. किसान द्वारका प्रसाद ने बताया कि परंपरागत खेती में किसान को प्रति बीघा मुश्किल से 20 से 25 हजार रुपए तक की आय होती है, लेकिन आंवला की खेती में प्रति बीघा किसान करीब 50 हजार रुपए तक का मुनाफा कमा सकता है. इतना ही नहीं जैविक बागवानी में किसान को कम मेहनत और लागत आती है.

पढ़ें: Special: खराब पैदावार...कम दाम से परेशान किसान, इस बार लहसुन की खेती से हुआ मोह भंग!

अमरूद भी खास: किसान द्वारिका प्रसाद ने आंवला की बागवानी के दो साल बाद साल 2010 में 10 बीघा जमीन में अमरूद के 400 पौधे लगा दिए. आज इस बाग में करीब 400 क्विंटल अमरूद पैदावार होती है. अमरूद का स्वाद बेहद खास है. प्रदेश के कई नेता और अधिकारियों तक यहां के अमरूद की डिमांड करते हैं. इतना ही नहीं यह अमरूद अपने स्वाद की वजह से दिल्ली मंडी के जरिए अरब देशों तक सप्लाई होता है.

gooseberry and guava in Bharatpur
अमरूद की खेती

इसलिए बेहतर अमरूद: किसान ने बताया कि छौंकरवाड़ा कला और भुसावर क्षेत्र अमरूदों के लिए प्रसिद्ध है. कई साल पहले तक इस क्षेत्र में बाणगंगा नदी का पानी पहुंचता था. साथ ही यहां की खेती की मिट्टी भी नदी की वजह से अच्छी है. यही वजह है कि इस क्षेत्र में अच्छे स्वाद और गुणवत्ता वाला अमरूद पैदा होता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.