बाड़मेर. ये कहानी है एक जिद्दी मुस्लिम बच्ची की. जिस पर क्रिकेट का जुनून ऐसा सवार हुआ कि उसकी जिद के सामने न मजहब दीवार बन सका और न ही मजबूरी उसे रोक सकी. बकरियां चराने वाली बच्ची मैदान में लड़कों को क्रिकेट खेलते देखती तो उसका भी खेलने को मन करता था. वह अपने भाइयों के साथ क्रिकेट खेलने लगी. लेकिन उसे अपने ही परिवार और गांव के लोगों के तंज भी सहने पड़े.
लेकिन अनीसा ने हार नहीं मानी. वह तेज बॉल फेंकने में माहिर हो गई. बाड़मेर के छोटे से गांव कानासर की इस बालिका अनीसा बानो का चयन चैलेंजर क्रिकेट ट्रॉफी-19 में हो चुका है. इसका मतलब है कि अनीसा अब स्टेट के लिए तेज गेंदबाजी करेंगी. इसके साथ ही अनीसा जयपुर में सलेक्टर्स के सामने अपनी तेज गेंदबाजी का जौहर दिखाने निकल चुकी हैं. अगर उनका चयन हो गया तो वे राजस्थान में जल्द ही महिला क्रिकेट के क्षेत्र में प्रसिद्ध नाम बन जाएंगी.
अनीसा के लिए यह किसी सपने के पूरा होने से कम नहीं है. सोमवार को बाड़मेर जिला कलक्टर ने इस उपलब्धि के लिए अनीसा का सम्मान और अभिनंदन किया. सम्मान कार्यक्रम में वे लोग भी थे, जो कभी अनीसा के क्रिकेट खेलने पर एतराज किया करते थे.
सरहदी जिले बाड़मेर के कानासर गांव की अनीसा ने 2013-14 में आईपीएल क्रिकेट मैच देखकर अपने परिवार से कहा था कि वह क्रिकेट में अपना भाग्य आजमाना चाहती है. परिवार के लोगों ने साफ कहा कि वह एक लड़की है और क्रिकेट के बारे में सोचना बंद कर दे. लेकिन आज अनीसा के जुनून ने उसे आरसीए तक पहुंचा दिया है. राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से सितंबर में हुए ट्रायल में अनीसा सलेक्ट नहीं हो पाई थी. अब प्रदेश स्तरीय ट्रायल में एक बार फिर वह भाग्य आजमाने जयपुर में है.
अनीसा के पिता याकूब खान बताते हैं कि उनके समाज में लड़की का क्रिकेट खेलना पसंद नहीं किया जाता. इसीलिए उन्हें भी इस बात से आपत्ति थी, लेकिन आज बेटी ने नाम रोशन कर दिया. बाकी बेटियों को भी ऐसा मौका मिलना चाहिए. अनीसा बताती है कि वे गांव के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी, इस बात को लेकर कई बार अपमान भी हुआ. लेकिन उसने अपने जुनून को जारी रखा. जब भी समय मिलता, वह क्रिकेट खेलने लगती थी.
अनीसा बताती हैं कि उनके पास तो जूते तक नहीं थे, कोच और सभी लोगों ने उनका भरपूर सहयोग किया. उन्हीं की बदौलत उनका सलेक्शन तेज गेंदबाज के तौर पर हो सका.