Janmashtami 2021: कृष्ण भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है पीतांबर की गाल, यहां 42 दिन श्रीनाथजी ने किया था विश्राम

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Published : Aug 30, 2021, 8:55 PM IST

Janmashtami 2021, Ajmer news

अजमेर का पीतांबर का गाल कृष्ण भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि श्रीनाथजी ने यहां 42 दिन तक पड़ाव डाला था. मान्यता है कि श्रीनाथजी की प्रतिमा को ब्रज से मेवाड़ लाया गया था.

अजमेर. ब्रज से मेवाड़ की यात्रा के बीच श्रीनाथजी के 42 दिन के पड़ाव ने अजमेर में श्रीनगर की पहाड़ियों की तलहटी के बीच मौजूद प्राकृतिक स्थान को तीर्थ बना दिया है. पीतांबर की गाल वही स्थान है, जहां श्रीनाथ जी के रथ का पहिया जाम हो गया था. कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर ईटीवी भारत श्रीनाथ जी के उस स्थान के दर्शन करवा रहा है, जो कृष्ण भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है. मान्यता है कि साल में बसंत पंचमी से होली तक श्रीनाथ जी यहां आज भी विराजते हैं.

अजमेर शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर पीतांबर की गाल नाम से विख्यात है. हाइवे से 3 किलोमीटर अंदर इस स्थान तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहां तक जाने के लिए सीसी रोड बन चुकी है. पीतांबर की गाल में श्रीनाथजी और श्री नवनीत जी का वह स्थान आता है, जहां 42 तक तक उनका पड़ाव रहा. आज यहां श्रीनाथ जी की बैठक मौजूद है और शयन के लिए खाट भी है. इस स्थान के सीधे हाथ की ओर 7 कदंब के वृक्ष हैं. मान्यता है कि पृथ्वी पर जहां कही भी कृष्ण के प्राचीन मंदिर हैं, वहां कदंब के पेड़ जरूर होंगे.

अजमेर का पीतांबर का गाल आस्था का केंद्र

यूं बना पीतांबर की गाल तीर्थ

मुगल बादशाह ब्रज और मथुरा में मंदिर तुड़वा रहा था, तब श्रीनाथजी की प्रतिमा को ब्रज से मेवाड़ लाया गया. इस मार्ग से होकर ही रथ में बिराजे श्रीनाथ जी मेवाड़ जा रहे थे. तब इस स्थान पर ही श्रीनाथ जी के रथ का पहिया जाम हो गया. कई प्रयासों के बाद भी रथ का पहिया नहीं निकला, तब पीतांबर की गाल में ही पड़ाव डाला गया. समीप ही गांव और प्राकृतिक जल स्त्रोत भी था.

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मंदिर के पुजारी पंडित धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि बसंत पंचमी से होली तक श्रीनाथ जी यही विराजमान रहे थे. आज भी इन 42 दिनों में श्रीनाथ जी यही निवास करते हैं. उन्होंने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर जन्म उत्सव की तैयारियां की जा रही है. रात 12 बजे भगवान का पंचामृत से अभिषेक करके श्रृंगार किया जाएगा. इसके बाद आरती होगी. उसके बाद ही भगवान को भोग लगाया जाएगा.

मेवाड़ के राजसमंद में श्रीनाथजी विश्व विख्यात है. कृष्ण भक्तों के आराध्य श्रीनाथजी का मंदिर मुख्य आस्था का केंद्र है. वैसे ही पीताम्बर की गाल भी कृष्ण भक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बन चुका है. हालांकि, इस स्थान के बारे में लोग कम जानते है लेकिन जो लोग जानते हैं, वह यहां दर्शनों के लिए जरूर आते हैं.

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