Pushkar special sweets: देश-दुनिया तक पहुंच रहे रस से लबरेज पुष्कर के मालपुए, जानें इस मिठाई का इतिहास

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Published : Sep 23, 2022, 7:47 PM IST

ब्रह्मनगरी की खास मिठाई

पुष्कर हिंदुओं का एक बड़ा तीर्थ स्थल है. यहां बारहो मास श्रद्धालुओं की भीड़ देखते बनती है, लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को ब्रह्मनगरी की एक खास मिठाई खासा (Pushkar special sweets) आकर्षित करती है. जिसके मिठास की चर्चा आज देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है.

अजमेर: पुष्कर हिंदुओं का एक बड़ा तीर्थ स्थल है. यहां बारहो मास श्रद्धालुओं की भीड़ देखते बनती है, लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को ब्रह्मनगरी की एक खास मिठाई खासा आकर्षित (Pushkar special sweets) करती है. जिसके मिठास की चर्चा देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है. चलिए अब आपको उस मिठाई का नाम भी बता देते हैं, जिसे खाने के बाद आप भी इसके दीवाने बन जाएंगे. इस लजीज और स्वादिष्ट मिठाई का नाम रबड़ी का मालपुआ है. स्थानीयों की मानें तो सौ साल पहले यहां एक (Pushkar Rabri Malpua) हलवाई ने पहली बार रबड़ी का मालपुआ बनाया था, जो सभी को बहुत पसंद आया था. आज आलम यह है कि पुष्कर आने वाला हर शख्स सबसे पहले इस मिठाई को खाता है, लेकिन सवाल उठता है कि भला क्यों यह मिठाई लोगों को इतना पसंद है.

सृष्टि के रचयिता जगतपिता ब्रह्माजी का पुष्कर में एक मात्र मंदिर है, जहां हर साल लाखों की तादाद में भक्त दर्शन को आते हैं. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार पुष्कर सभी तीर्थों का गुरु स्थल है. यही वजह है कि सदियों से यहां श्रद्धालु पूजा के लिए आते रहे हैं. वहीं, पुष्कर में समय के साथ कई चीजें यहां की परंपरा का हिस्सा बन गई. यहां की लोक संस्कृति, खानपान, पहनावा, उत्सव और मेले सभी में सतरंगी परंपरा का समावेश दिखता है. आज यहां रबड़ी के मालपुए पुष्कर की पहचान बन गए हैं. पुष्कर में दर्जनों मिठाई की दुकानें हैं, लेकिन इन दुकानों में सबसे ज्यादा बिकने वाली मिठाई रबड़ी के मालपुए ही हैं. जिसे एक बार चखने के बाद इसका स्वाद कभी नहीं भूला जा सकता है.

ब्रह्मनगरी की खास मिठाई

रबड़ी के मालपुए का इतिहास: तीर्थ नगरी पुष्कर का इतिहास आदिकाल से जुड़ा है, लेकिन पुष्कर का यह परंपरागत मिष्ठान रबड़ी के मालपुए का इतिहास 100 साल पुराना है. रबड़ी के मालपुए को सबसे पहले पुष्कर के ही हलवाई राधे किशन जाखेटिया ने बनाया था. उन्होंने नया प्रयोग करते हुए मालपुए को रबड़ी के मालपुए में तब्दील किया. पुष्कर में रबड़ी के मालपुए का लजीज स्वाद हलवाई राधे जी की ही देन है. आज यहां उनकी चौथी पीढ़ी पुष्कर में रबड़ी के मालपुए बनाकर बेच रही है.

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राधे किशन जाखेटिया (Radhe Kishan Jakhetia) की चौथी पीढ़ी के सदस्य अंकुश जाखेटिया बताते हैं कि पुष्कर के रबड़ी के मालपुए यहां के परंपरागत व्यंजन का हिस्सा बन चुके हैं. पुष्कर आने वाले तीर्थयात्री ही नहीं, विदेशी और वीआईपी भी रबड़ी के मालपुए का स्वाद जरूर चखते हैं. उन्होंने बताया कि आज वक्त के साथ पुष्कर में दर्जनों मिठाई की दुकान खुल चुकी हैं. पुष्कर में प्रतिदिन 200 किलो रबड़ी के मालपुए की खपत है.

देश-विदेशों में जाते हैं पुष्कर के मालपुए: मिठाई कारोबारी अंकुश जाखेटिया ने बताया कि पुष्कर का रबड़ी के मालपुए ऑर्डर पर देश के विभिन्न राज्यों में के साथ ही विदेशों में भी कुरियर के जरिए भेजे जाते हैं. उन्होंने आगे बताया कि कुरियर कंपनी से टाईअप करके ऑर्डर पर रबड़ी के मालपुओं को भेजा जाता है.

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जालियां जितनी उतना ही बेहतर बनता है रबड़ी का मालपुआ: यूं तो कई जगहों पर मालपुए बनाए जाते हैं. इसमें मैदा और आटे का उपयोग किया जाता है. वहीं, मीठे में गुड़ या फिर शक्कर का इस्तेमाल होता है. साथ ही मालपुए को छानने के लिए ज्यादातर हलवाई घी और तेल का प्रयोग करते हैं. लेकिन इसे बनाने में दूध से बनी रबड़ी और मैदा मुख्य है. इन दोनों को मिलाकर पतला मिश्रण तैयार किया जाता है, जिसे कढ़ाई में डालकर धीमी आंच पर छाना जाता है. इधर, पुष्कर में खाने के लिए गऊ घाट के समीप स्थित हलवाई गली काफी प्रसिद्ध है. कई यहां तरह की मिठाई से लेकर चटपटे व्यंजनों का स्वाद चखा जा सकता है. हलवाई गली में लोग विशेषकर रबड़ी के मालपुए खाने के लिए आते हैं. दुकानदार मोहित वैष्णव बताते हैं कि घर पर रबड़ी के मालपुआ को बनाने पर ऐसा स्वाद नहीं मिल पाता है.

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