Kota Evacuation Model : लॉकडाउन में हजारों बच्चों को सुरक्षित भेजा था घर..फेमस हुआ था ये मॉडल

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Published : Jan 11, 2022, 7:28 PM IST

Updated : Jan 11, 2022, 8:33 PM IST

Kota Evacuation Model

कोटा ने लॉकडाउन में बच्चों को सुरक्षित अपने घर भेजने का भी रिकॉर्ड बनाया है. कोटा पहला ऐसा शहर बना, जिसने लॉकडाउन में करीब 55 हजार स्टूडेंट्स का सुरक्षित पलायन कराया. ये बच्चे 25 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में भेजे गए. बच्चों को बस ट्रेन और निजी वाहनों से भेजा गया था. इसके लिए भारत सरकार ने विशेष परमिशन दी थी. कोटा का यह मॉडल (Kota Evacuation Model) खूब सराहा गया.

कोटा. शिक्षा की काशी कोटा ने मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस परीक्षा को लेकर कई कीर्तिमान बनाए हैं. इस शहर ने 2020 में एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया था. यह रिकॉर्ड था लॉकडाउन में कोटा में फंसे बच्चों को उनके घर भेजने का प्रबंध करना. हो भी क्यों न, कोटा शहर बच्चों के सुरक्षित (Students Safety in Kota City) प्रवास के लिए जाना जाता है.

25 दिनों तक चले इस अभियान में 55 हजार से ज्यादा बच्चों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाया (kota lockdown student safe travel) गया था. कोटा का यह इवेक्युएशन मॉडल पूरे देश में सराहा गया. बच्चों को बस, ट्रेन और निजी वाहनों में उनके घर तक भेजा गया था. उस समय लॉकडाउन लगा था और एक शहर से दूसरे शहर जाने पर पाबंदी थी. राजस्थान सरकार के साथ साथ संबंधित राज्यों की सरकारों ने कोटा जिला प्रशासन को अनुमति जारी की कि वे बच्चों को सुरक्षित भेजने का प्रबंध करें. इस तरह देश के 25 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के बच्चों को कोटा से वापस उनके घर भेजा गया था.

लॉकडाउन में कोटा से चली थी रेल

लॉकडाउन के दौरान कोटा ने अनोखा रिकॉर्ड (Kota record in lockdown) बनाया था, क्योंकि रेलों के पहिये देशभर में थमे थे. कोटा में फंसे बच्चों को उनके घर भेजने के लिए रेल चलाने का फैसला लिया गया. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इसके लिए पहल की. गृह मंत्री अमित शाह, तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल और अधिकारियों से बिरला ने बातचीत की, जिसके बाद कोटा से रेल चली, पहली रेल बच्चों को लेकर झारखंड की राजधानी रांची पहुंची थी.

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परिजन बच्चों के लिए थे चिंतित

लॉकडाउन के दौरान देशभर में बाजार, शिक्षण संस्थान और दफ्तर बंद हो गए थे. कोटा में फंसे हजारों बच्चे भी अपने घर जाना चाहते थे. बच्चों के परिजन भी चिंतित थे क्योंकि वे बच्चों का लाने अपने राज्य से निकल नहीं सकते थे. बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए कोटा में यह अभियान चलाया गया. इसमें जिला प्रशासन पुलिस और कोचिंग संस्थानों से जुड़े लोग भी शामिल रहे. इसके अलावा 300 से ज्यादा लोग इस अभियान में रोज सेवाएं देने पहुंचे. इनमें कम्युनिटी पुलिसिंग ऑफिसर के अलावा विजिलेंस के लिए लगाए गए कार्मिक भी शामिल थे. बच्चे जाते हुए कोटा वापस आने का वादा करके गए थे. कोटा में हाल ही कोचिंग संस्थान वापस खुले तो अब तक एक लाख के आसपास बच्चे कोटा शहर में आ गए हैं.

रास्ते में खाने-पीने का इंतजाम भी किया

लॉकडाउन के चलते पूरे देश भर में रेस्टोरेंट और ढाबे सब बंद थे. रास्ते में बच्चों को खाने पीने में दिक्कत न आए, इसके लिए बच्चों के लिए भोजन का इंतजाम किया गया. जो बच्चे 3 दिन का सफर करने वाले थे उनके लिए 3 दिन के भोजन की व्यवस्था की गई.

Kota Evacuation Model
इस तरह हुई थी बच्चों की कोटा से घर वापसी

यूपी ने की शुरुआत, फिर सभी राज्य तैयार

उत्तर प्रदेश के लगभग 12 हजार विद्यार्थी कोटा में थे. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले कोटा में अपनी बसें भेजीं. साथ में पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी थे, बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ वे अपने राज्यों में ले गए. बाद में मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, दिल्ली सहित अन्य सभी राज्यों की सरकारों ने भी कदम उठाए और धीरे-धीरे वहां की बसें कोटा आने लगीं. कई राज्यों में कोटा से ही बसें भेजी गई.

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हजारों किलोमीटर का सफर, हर बच्चे की मॉनिटरिंग

अधिकतर बच्चे बसों से भेजे गए. सफर करने वाले एक-एक बच्चे की मॉनीटरिंग की गई. उनकी कंप्यूटराइज्ड लिस्टिंग की गई. परिजनों की मांग पर उनके बच्चे की बस की लोकेशन, बस नंबर उपलब्ध कराए गए. बच्चों ने तीन से चार दिन तक हजारों किलोमीटर का सफर बसों में किया और वे अपने घरों पर सुरक्षित पहुंच गए. इन बच्चों में प्रदेश के सभी जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, असम, दादर नगर हवेली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, छत्तीसगढ़, लद्दाख, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, अंडमान निकोबार, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र, झारखंड, त्रिपुरा, केरल, दमन दीव, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, तमिलनाडु, मणिपुर, मेघालय तक के स्टूडेंट्स शामिल थे.

फोन लाइन बनी थी बच्चों के लिए मददगार

बच्चों के लिए आठ हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए थे. इन पर हजारों की संख्या में बच्चों को फोन आने लगे और इन बच्चों को कौन सी बस में कब जाना है, उसकी जानकारी भी टीम देती रही. करीब 45 दिनों तक यह हेल्पलाइन सेवा जारी रही. जिसमें 12 हजार से ज्यादा बच्चों की कॉल्स अटेंड की गई. यहां तक कि इन हेल्पलाइन के जरिए बच्चों की खाने-पीने की समस्या का निराकरण किया गया. साथ ही कुछ बच्चों को दवा और अन्य जरूरत का सामान भी पहुंचाया गया.

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बिहार के बच्चों ने शुरू कर दिया था अभियान

कोटा शहर की कोचिंग संस्थानों में बिहार के सबसे ज्यादा बच्चे पढ़ने पहुंचते हैं.ऐसे में पूरे देश भर के बच्चों को वापस भेजा जा रहा था, लेकिन बिहार सरकार इसके लिए आगे नहीं आई थी. जबकि वहां के करीब 16 हजार बच्चे कोटा में थे. ऐसे में उनके लिए बिहारी बच्चों और उनके पैरंट्स ने अभियान चलाया. बाद में वहां की सरकार ने बात मानी और ट्रेन के जरिए इन बच्चों को यहां से भेजा गया. इसके बाद यूपी की 400 बसों में वहां के 12 हजार बच्चों को भेजा गया. साथ ही मध्य प्रदेश के भी 2850 बच्चों को 110 बसों के जरिए भेजा गया. इस तरह कोटा कोचिंग छात्रों की घर वापसी एक कीर्तिमान बन गई.

Last Updated :Jan 11, 2022, 8:33 PM IST
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