गणेश घोघरा ने सदन में कहा- हम आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते हैं, हमारे ऊपर हिंदू धर्म थोपा जा रहा है

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Published : Mar 9, 2021, 5:48 PM IST

Ganesh Ghoghra accused RSS,  Rajasthan Vidhan Sabha News

डूंगरपुर विधायक और यूथ कांग्रेस अध्यक्ष गणेश घोघरा ने मंगलवार को सदन में कहा कि हम आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते हैं, हमारे लिए अलग से आदिवासी धर्म कोड हो. उन्होंने सदन में आरोप लगाया कि आदिवासियों को धर्म परिवर्तन कर जबरदस्ती हिंदू बनाया जा रहा है. इसके बाद सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को जनजातीय क्षेत्रीय विकास सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पर चर्चा के दौरान सदन में उस समय हंगामा हो गया, जब डूंगरपुर से कांग्रेस के विधायक और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा ने अपने आप को हिंदू मानने से इनकार करते हुए सभी आदिवासियों के लिए आदिवासी धर्मकोड की अलग से मांग कर दी.

गणेश घोघरा ने सदन में लगाया आरोप

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आदिवासी धर्म कोड अलग से दर्शाया जाए

गणेश घोघरा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र की लंबे से एक मांग है, हमारी संस्कृति अलग है, हमारी परंपरा अलग है, हमारा खान-पान अलग है और हमारे रीति-रिवाज अलग हैं. मैं सदन के माध्यम से ही मांग करना चाहता हूं कि हमारा आदिवासी धर्म कोड अलग से दर्शाया जाए. इसके आगे बोलते हुए गणेश घोघरा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनके मोहन भागवत हमें आदिवासी नहीं हमें हिंदू कहते हैं.

हिंदू के नाम पर हमारा शोषण हो रहा है

हमारी हिंदू से संस्कृति नहीं मिलती, हमारे मौत मरण अलग हैं, हमारी संस्कृति अलग है, हमारी प्रथा अलग है, शादी-विवाह में हमारी प्रथा अलग है, हम प्रकृति पूजा करते हैं, हम नदी, पहाड़ और बैल को पूजते हैं. हमारी संस्कृति एकदम अलग है और यह RSS के लोग हमें कहते हैं कि आदिवासी हिंदू हैं. हम अपने आप को हिंदू मानने को तैयार नहीं हैं और आज भी हिंदू के नाम पर हमारा शोषण हो रहा है. हमारे ऊपर हिंदू धर्म को नहीं थोपा जाए, हम अपने आप को हिंदू नहीं मानते हम अपने आप अलग हैं. आदिवासी धर्म कोड अलग होना चाहिए.

पीएम मोदी आदिवासियों को खत्म करना चाहते हैं

गणेश घोघरा ने कहा कि यह हमारी मांग अकेले की नहीं है, यह पूरे देश के आदिवासी की मांग है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे तो वैसे भी आदिवासियों को खत्म करना चाहते हैं और आरक्षण को भी खत्म करना चाहते हैं. भाजपा गरीबों का भला नहीं कर सकती, आज तक जो भी मिला है वह कांग्रेस की वजह से मिला है.

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पीएम मोदी ने कई आदिवासियों को बेघर कर दिया. सरदार बल्लभ भाई पटेल हमारे आदरणीय हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासियों की जमीन पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बनाई और आदिवासियों को विस्थापित कर दिया और उन्हें केवल छोटा-मोटा मुआवजा दिया गया. वे आदिवासियों को खत्म करना चाहते हैं और उनके अधिकार को नष्ट करना चाहते हैं. इस बात पर सदन में जमकर हंगामा हुआ.

आदिवासी मीणा भील को मीणा रावत कर दिया गया

इसके बाद उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इससे ज्यादा बड़ा अफसोस नहीं हो सकता कि उन्होंने हिंदू होने पर अपने आपको अफसोस जताया है. इसके साथ ही गणेश घोघरा ने कहा कि मैं भी यह कहना चाहता हूं कि 1995 में मेवाड़, मावली, वल्लभनगर, भिंडर, गिरवा क्षेत्र में जो आदिवासी राजस्व रिकॉर्ड में आदिवासी मीणा भील थे, उनको मीणा रावत कर दिया गया और राजपूत बना दिया गया.

घोघरा ने कहा कि डरा धमकाकर राजनीतिक स्वार्थ के कारण उन आदिवासियों को राजपूत बना दिया गया या ओबीसी में डाल दिया गया. उन्होंने उन लोगों को फिर से एसटी में दर्ज करने की मांग की. उनके पास यह रिकॉर्ड भी है. उन्होंने पन्ने लहराते हुए कहा कि चंद्रप्रकाश मावा जाति मीणा यह 1995 से पहले थे और 1995 के बाद उन्हें रावत बना दिया गया. उन्होंने प्रूफ के तौर पर पन्ने लहराए ओर कहा कि प्रशासन, जनजाति विभाग टीएडी विभाग क्या कर रहा है.

आदिवासियों को जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है

आज आदिवासियों को जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है, यह कैसा षड्यंत्र है, यह कैसी राजनीति है आदिवासियों की जमीन हड़पने की. आदिवासियों की जाति और धर्म बदले जा रहे हैं. 1995 के बाद टीएसपी क्षेत्र में जिसका भी मूल निवास बनाया हो उसका मूल निवास खत्म किया जाए. टीएसपी क्षेत्र में बाहर से आकर भी कोई पेट्रोल पंप खोल कर बैठ गए, बड़ी-बड़ी होटल खोल कर बैठ गए, बाहर से आकर हमारी आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है. मैं कहना चाहता हूं कि जिसके भी पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी हैं, उन्हें समाप्त किया जाए.

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आदिवासियों के क्षेत्र में ग्रीन मार्बल निकलता है, उसमें भी बाहर के लोगों को पट्टा मिल रहा है आदिवासियों को नहीं मिल रहा है. आदिवासियों को केवल किताबों में आरक्षण मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शराब की दुकानें टीएसपी क्षेत्र में बंद कर दी जाए. हमारे क्षेत्र में अंग्रेजी शराब की दुकान की नीलामी अगर होगी तो आदिवासी ही नीलामी करेगा. आदिवासी के अलावा कोई वहां नीलामी नहीं करेगा.

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