बिजली संकट के बीच धरी रह गई विद्युत नियामक आयोग की SOP, सख्ती होती तो पड़ता Discom की जेब पर भार..

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Published : May 10, 2022, 6:35 PM IST

SOP of Electricity Regulatory Commission not implemented

बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा और अधिकारों की रक्षा के लिए विद्युत विनियामक आयोग की ओर से जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर की पालना अब तक नहीं करवाई गई (SOP of Electricity Regulatory Commission not implemented) है. मौजूदा बिजली संकट के दौरान ऐसा होता तो प्रदेश के डिस्कॉम की न केवल जेब पर भार पड़ता, बल्कि उपभोक्ताओं की समस्याओं का समय पर निदान भी नहीं हो पाता.

जयपुर. राजस्थान में बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा और अधिकारों की रक्षा के लिए विद्युत विनियामक आयोग की ओर से जारी SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) फिलहाल ठंडे बस्ते में पड़ी (SOP of Electricity Regulatory Commission not implemented) है. यदि बिजली संकट के मौजूदा हालातों में यह सख्ती से लागू होती, तो डिस्कॉम की जेब न केवल ढीली होती बल्कि आम बिजली उपभोक्ताओं की परेशानियों का समय पर समाधान नहीं हो पाता. फिलहाल, आयोग की ओर से जारी एसओपी की प्रदेश में सख्ती से पालना नहीं हो रही.

दरअसल, राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग ने साल 2014 की एसपी को रिवाइज करते हुए 19 फरवरी, 2021 को एसओपी जारी कर बिजली कंपनियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए थे, ताकि उपभोक्ताओं की समस्या और शिकायतों का समय पर समाधान हो और ऐसा ना होने पर उपभोक्ताओं को इसकी एवज में मुआवजा मिले. हालांकि, आयोग ने बिजली कंपनियों के लिए दिशा-निर्देश तो जारी कर दिए, लेकिन इसकी पालना कराने में ढिलाई भी बरती गई. आलम यह है कि आयोग ने जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम से जुड़ी शिकायत और मुआवजे के दावे दर्ज कराने के लिए अब तक हेल्पडेस्क नहीं (No helpdesk for electricity users in Rajasthan) बनाई.

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इस तरह मिल सकता है मुआवजा : विद्युत विनियामक आयोग के आदेश पर डिस्कॉम की कमर्शियल विंग ने मई 2021 में इससे जुड़े दिशा-निर्देशों को लागू तो कर दिया. जिसके तहत उपभोक्ता बिजली बंद होने के समय और क्लेम की राशि संबंधित फॉर्म भरकर एईएन कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं. हालांकि, उसका भुगतान या मुआवजा नहीं मिलने की स्थिति में उपभोक्ता आयोग में ही शिकायत दर्ज करा सकता है, लेकिन आयोग में इसके लिए हेल्प डेस्क अब तक नहीं बनी.

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आयोग की एसओपी में किए गए हैं यह प्रावधान : आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा और शिकायतों के समाधान के लिए जो दिशा-निर्देश जारी किए थे. उसका समाधान समय पर सुनिश्चित किए जाने की व्यवस्था भी की थी और ऐसा ना होने पर अलग-अलग श्रेणी में मुआवजा तय किया था जो डिस्कॉम को भुगतना था. इसमें नो करंट की स्थिति पर शहर और गांव के लिए कुछ घंटे तय किए गए थे. यदि उस दौरान इस समस्या का समाधान नहीं होता तो फिर उपभोक्ताओं को 75 से 150 तक का मुआवजा देने का प्रावधान है.

इसी तरह लाइन और केबल टूटने के मामले की शिकायत में 4 से 10 घंटे के बीच समाधान ना होने पर 75 से 150 रुपए तक की पेनल्टी और मुआवजे का प्रावधान है. वहीं पावर ट्रांसफर फेल होने की स्थिति में यदि 48 घंटे में समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो फिर छोटे उपभोक्ताओं को 150 और बड़े उपभोक्ताओं को 450 रुपए तक का मुआवजा देना तय किया था. उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कुछ और भी प्रावधान इसमें किए गए थे जिसमें सिस्टम फॉल्ट होने पर एसएमएस से उपभोक्ता को सूचना देना जरूरी किया गया था. वहीं सिस्टम मेंटेनेंस के लिए अधिकतम 7 घंटे तक ही बिजली बंद किए जाने के निर्देश थे. हालांकि मेंटेनेंस या फॉल्ट होने पर बिजली गुल होने की सूचना उपभोक्ता को मोबाइल मैसेज से अब तक मिलना शुरू नहीं हुई है.

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क्या कहते हैं ऊर्जा विभाग के अधिकारी : इस मामले में जब ऊर्जा विभाग से जुड़े अधिकारियों से बात की गई, तो वे कैमरे के सामने बोलने से बचते नजर आए. वे आयोग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों की पालना करवाने की बात कहते हैं. डिस्कॉम उच्च अधिकारियों के अनुसार जो एसओपी जारी हुई है, उसकी पालना के लिए समय-समय पर पत्र भी जारी किए जाते हैं ताकि आयोग के दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जा सके.

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