Rajasthan High Court order: आदेश के बावजूद रिहाई का प्रार्थना पत्र तय नहीं, गृह सचिव और जेल अधीक्षक को किया तलब

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Published : May 3, 2022, 9:49 PM IST

Updated : May 3, 2022, 10:36 PM IST

Rajasthan HC summons home secretary and jail superintendent

28 मार्च 2021 को राजस्थान स्थापना दिवस के मौके पर राज्य सरकार ने बंदियों (Rajasthan High Court order) को रिहा करने की घोषणा की गई थी. राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता का समय पूर्व रिहाई का प्रार्थना पत्र अदालती आदेश के बावजूद तय नहीं करने को लेकर गृह सचिव और जयपुर जेल अधीक्षक को 9 मई को पेश होकर जवाब देने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता का समय पूर्व रिहाई का प्रार्थना पत्र अदालती आदेश के बावजूद तय नहीं करने को लेकर गृह सचिव और जयपुर जेल अधीक्षक को 9 मई को पेश होकर जवाब देने को कहा है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने मनीष दीक्षित की आपराधिक याचिका पर आदेश सुनाया है. याचिका में अधिवक्ता अंशुमान सक्सैना ने अदालत को बताया कि 28 मार्च 2021 को राजस्थान स्थापना दिवस के मौके पर राज्य सरकार ने बंदियों को रिहा करने की घोषणा की थी. इसके तहत आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों के चौदह साल की सजा और ढाई साल की रिमिशन अवधि पूरी करने और अन्य मामलों में दो तिहाई सजा भुगत चुके कैदियों को रिहा करने की घोषणा की गई.

वहीं ये बंदिश भी रखी गई थी दुष्कर्म और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर मामलों में दंडित कैदियों को रिहा (rajasthan High Court summons home-secretary ) नहीं किया जाएगा. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को 18 सितंबर 1995 को शहर की एससी, एसटी एक्ट की विशेष अदालत ने आर्म्स एक्ट में सात साल की सजा सहित हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. याचिकाकर्ता वर्ष 2013 से स्थाई पैरोल पर है और उसने आर्म्स एक्ट के तहत भी सजा काट ली है. घोषणा के आधार पर उसे रिहा नहीं करने पर याचिकाकर्ता ने पहले भी हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को इस संबंध में अपना अभ्यावेदन सक्षम अधिकारी के सामने पेश करने को कहा था.

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याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पेश करने के बाद भी सक्षम अधिकारी ने उसे तय नहीं किया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने वापस याचिका लगाई, जिस पर अदालत ने सक्षम अधिकारी को तीन सप्ताह में अभ्यावेदन तय करने को कहा. लेकिन अभ्यावेदन फिर भी तय नहीं किया गया. ऐसे में याचिकाकर्ता ने तीसरी बार याचिका दायर की, जिसमें राज्य सरकार ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता के आर्म्स एक्ट में सजा के चलते उसे रिहा नहीं किया गया है. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वो आर्म्स एक्ट में सजा पूरी कर फिलहाल स्थाई पैरोल पर है. ऐसे में उसे समय पूर्व रिहाई दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने गृह सचिव और जेल अधीक्षक को तलब किया है.

Last Updated :May 3, 2022, 10:36 PM IST
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