बीवीजी कंपनी मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने फेडरेशन को बनाया दखलकर्ता

author img

By

Published : Jan 12, 2022, 8:37 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली बीवीजी कंपनी के एग्रीमेंट निरस्त करने के मामले में राजस्थान नगर पालिका कर्मचारी फेडरेशन को दखलकर्ता बनाते हुए मामले की सुनवाई 20 जनवरी तक टाल दी है. वहीं, जयपुर शहर की स्थाई लोक अदालत ने आवंटी से ब्याज की राशि अधिक वसूलने पर राजस्थान आवासन मंडल पर 20 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली बीवीजी कंपनी के एग्रीमेंट निरस्त करने के मामले में राजस्थान नगर पालिका कर्मचारी फेडरेशन को दखलकर्ता बनाते हुए मामले की सुनवाई 20 जनवरी तक टाल दी है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश बीवीजी कंपनी की याचिका पर दिए.

पढ़ें- नियमों में शिथिलता : अनुकम्पा नियुक्ति के 36 प्रकरणों में शिथिलता, CM Ashok Gehlot ने दी मंजूरी

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एएजी अनिल मेहता ने कहा कि नगर निगम ने कंपनी के टेंडर को निरस्त करने का निर्णय ले लिया है और इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. लेकिन कंपनी मामले को आर्बिट्रेशन में ले जाना चाहती है और वह इस संबंध में अदालत में याचिका भी पेश कर चुकी है. एएजी की ओर से आर्बिट्रेशन का ब्यौरा भी अदालत में पेश किया.

वहीं, राजस्थान नगर पालिका कर्मचारी फेडरेशन की ओर से मामले में पक्षकार बनाने का प्रार्थना पत्र दायर किया, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने फेडरेशन को दखलकर्ता बनाते हुए मामले की सुनवाई 20 जनवरी को रखी है. गौरतलब है कि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मई 2021 में डोर टू डोर कचरा उठाने वाली बीवीजी कंपनी पर दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी. कंपनी को नियमित तौर पर काम करते रहने के लिए भी कहा था. कंपनी ने ग्रेटर नगर निगम की ओर से सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट नहीं करने और ठेका निरस्त करने की कार्रवाई का हवाला देते हुए याचिका दायर की है.

आवंटी से अधिक वसूली पर आवासन मंडल पर लगाया हर्जाना

जयपुर शहर की स्थाई लोक अदालत ने आवंटी से ब्याज की राशि अधिक वसूलने पर राजस्थान आवासन मंडल पर 20 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही अदालत ने मंडल को निर्देश दिए हैं कि वह ज्यादा वसूली गई एक लाख 19 हजार रुपए की ब्याज राशि 6 फीसदी ब्याज सहित आवंटी को लौटाए. अदालत ने यह आदेश यशवंत सुराणा के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि उसने 2013 में आवासन मंडल की स्ववित्त पोषित योजना में फ्लैट के लिए आवेदन किया था. उसे 11 मार्च 2014 को 3 महीने के अंतराल में 7 किस्तों में 29.50 लाख रुपए चुकाने के लिए कहा. उसने नियमानुसार किश्त जमा करा दी, लेकिन अगस्त 2006 में उससे 79,665 रुपए ज्यादा मांगे गए. इसके बाद भी उससे 38,820 रुपए और 573 रुपए अतिरिक्त मांगे. यह राशि जमा कराने के बाद ही उसे फ्लैट का कब्जा दिया गया. इसे परिवादी ने स्थाई लोक अदालत में चुनौती दी.

जिसके जवाब में आवासन मंडल ने कहा कि परिवादी को संशोधित आरक्षण पत्र जारी किया था और उसके अनुसार राशि जमा नहीं कराने पर ब्याज की गणना की थी. मामले में सुनवाई करते हुए लोक अदालत ने कहा कि मंडल का ऑफिस उसी कॉलोनी में था, लेकिन उन्होंने पीड़ित के साथ किसी भी राजीनामे का प्रयास नहीं किया. ऐसा करना मंडल की हठधर्मिता को बताता है. ऐसे में वह वसूली गई अधिक ब्याज राशि 20 हजार रुपए हर्जाने के साथ लौटाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.