पेट्रोल-डीजल GST के दायरे में आए तो क्या पड़ेगा राजस्थान पर असर, यहां समझिये पूरा गणित

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Published : Sep 23, 2021, 4:37 PM IST

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पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों (Fuel Price) के बाद इसे जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठ रही है. हाल ही में आयोजित हुई जीएसटी काउंसिल (GST Council Meeting) की बैठक में यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा, लेकिन इसे लेकर कोई फैसला नहीं हो सका. जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो तेल की कीमत आधी हो सकती है. क्या है प्रदेश की मौजूदा स्थिति और इस फैसले से राजस्थान पर क्या पड़ेगा प्रभाव, जानिये इस खास रिपोर्ट में...

जयपुर. मौजूदा समय में प्रदेश में पेट्रोल की कीमत तकरीबन 108 रुपये प्रति लीटर के आसपास बनी हुई है तो वहीं डीजल की कीमत तकरीबन 98 रुपये प्रति लीटर है. इसके अलावा भारत में सबसे अधिक महंगा पेट्रोल-डीजल गंगानगर (Sriganganagar Rajasthan) जिले में बेचा जा रहा है.

ऐसे में जब पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel Price) को जीएसटी के दायरे में लाने की बात सामने आई तो आमजन को लगा कि पेट्रोल-डीजल की कीमत अब घट सकेगी. लेकिन कुछ राज्यों के विरोध के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. राज्यों के विरोध का मुख्य कारण है, राजस्व में कमी.

राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने क्या कहा...

राजस्थान में मौजूदा समय में पेट्रोल पर 34 प्रतिशत और डीजल पर 26 प्रतिशत वैट (VAT) वसूला जा रहा है. इसके अलावा पेट्रोल पर 1.75 रुपये रोड सेस तो वहीं डीजल पर 1.50 रुपये रोड सेस (Road-Cess) सरकार की ओर से वसूल किया जा रहा है. मौजूदा समय में प्रदेश में पेट्रोल की दर 108.19 रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल की कीमत 97.83 रुपये प्रति लीटर है.

आधे हो सकते हैं दाम...

मामले को लेकर राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनीत बगई का कहना है कि इस समय लगातार मांग की जा रही है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी (GST) के दायरे में लाया जाए, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें एक दूसरे पर आरोप लगाने पर तुली हुई हैं. बगई का कहना है कि पेट्रोल और डीजल से मिलने वाले टैक्स से केंद्र और राज्य सरकारें काफी राजस्व अर्जित कर रही हैं.

आमजन को हो रही परेशानी...

ऐसे में दोनों ही पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाह रहीं और मजबूरी में आमजन को महंगा तेल खरीदना पड़ रहा है. इसके अलावा राजस्थान में पेट्रोल और डीजल पर सबसे अधिक टैक्स वसूला जा रहा है और पड़ोसी राज्यों की तुलना में राजस्थान में पेट्रोल और डीजल तकरीबन 10 से 11 रुपये महंगा है.

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बगई का यह भी कहना है कि बीते कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल (Crude Oil Price) के दाम कम हो रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके सरकार की ओर से तेल के दाम स्थिर हैं और उन्हें कम नहीं किया जा रहा. जबकि क्रूड ऑयल के दाम जब बढ़ते हैं तो सरकार तेल की कीमतें भी बढ़ा देती है.

हो सकता है राजस्व का नुकसान...

बगई की मानें तो मौजूदा समय में पेट्रोल और डीजल का बेसिक रेट 40 रुपये प्रति लीटर के आसपास हैं. ऐसे में यदि नया जीएसटी स्लैब बनाकर तेल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो इस पर तकरीबन 11 रुपये अधिक देने होंगे. ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दाम 50 से 55 रुपये प्रति लीटर के आसपास रह जाएंगे. राजस्व की बात की जाए तो पेट्रोल और डीजल से प्रदेश की सरकार तकरीबन वित्तीय वर्ष में तकरीबन 12 से 13 हजार करोड़ रुपये वैट के जरिए कमाती है. ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो राजस्व का नुकसान हो सकता है.

जीएसटी के रास्ते में राज्य बने बाधक : पेट्रोलियम मंत्री

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं हो रही हैं, क्योंकि राज्य ईंधन को जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आपका सवाल है कि क्या आप चाहते हैं कि पेट्रोल की कीमतें कम हों, तो इसका जवाब हां है. अब, अगर आपका सवाल है कि पेट्रोल की कीमतें नीचे क्यों नहीं आ रही हैं, तो इसका जवाब है क्योंकि राज्य इसे जीएसटी के तहत लाना नहीं चाहते हैं.

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दरअसल, पुरी बुधवार को भवानीपुर उपचुनाव के प्रचार के लिए कोलकाता में थे. इस दौरान मीडिया से बतचीत में पेट्रोलियम मंत्री ने तेल की बढ़ती कीमतों और जीएसटी को लेकर कहा कि केंद्र 32 रुपये प्रति लीटर (पेट्रोल पर कर के रूप में) लेता है. हमने 32 रुपये प्रति लीटर कर लिया, जब ईंधन की कीमत 19 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल थी और हम अभी भी वही ले रहे हैं, जबकि कीमत बढ़कर 75 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल हो गई. उन्होंने कहा कि पेट्रोल पर लिए गए कर का उपयोग कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाता है.

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