Jaipur ACB Court : रिश्वत लेने वाले वरिष्ठ लिपिक को तीन साल की सजा...

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Published : Aug 1, 2022, 10:04 PM IST

Jaipur ACB Court

एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने रिश्वत लेने वाले वरिष्ठ लिपिक को 3 साल की (Imprisonment to Senior clerk for taking bribe ) सजा सुनाई है. साथ ही 30 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है.

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 ने (Jaipur ACB Court) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त होने वाले चिकित्सक से रिश्वत लेने वाले तत्कालीन वरिष्ठ लिपिक राज बिहारी वर्मा को तीन साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर तीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि डॉ. अर्जुन राम काला ने सेवा में पांच साल नौकरी कर सेवानिवृत्ति ली थी. इसके बाद वह चिकित्सा विभाग में चिकित्सक नियुक्त हो गया. चिकित्सक पद से उसकी सेवानिवृत्ति वर्ष 2010 में होनी थी, ऐसे में वह सेना की कार्य अवधि को भी अपने सेवाकाल में शामिल कराना चाहता था. इस काम के एवज में विभाग के तत्कालीन वरिष्ठ लिपिक राज बिहारी वर्मा ने उससे चालीस हजार रुपये की रिश्वत मांगी. इस पर अर्जुन राम के ममेरे भाई गणपतराम जाखड़ ने 16 फरवरी 2010 को एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए एसीबी ने 17 फरवरी को अभियुक्त को दस हजार रुपये लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.

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धोखाधड़ी मामले में आरोपी की जमानत याचिका खारिज: अतिरिक्त सत्र न्यायालय महानगर प्रथम ने सीए फर्म की ओर से दर्ज धोखाधड़ी के मामले में आरोपी कर्मवीर निठारवाल की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. आरोपी पर 5 करोड़ 58 लाख रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. जमानत याचिका में कहा गया कि उससे अनुसंधान पूरा हो चुका है. इसके अलावा मुकदमें की ट्रायल पूरी होने में समय लगेगा. इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए. वहीं परिवादी फर्म की ओर से कहा गया कि आरोपी तकनीक का जानकार है, यदि उसे जमानत दी गई तो वह साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सकता है. ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जाए.

लोक अदालत पर खड़ा किया सवाल: राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित होने वाली लोक अदालत पर सवाल खड़ा किया है. एसोसिएशन ने प्राधिकरण को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से लोक अदालत का सुचारू रूप से आयोजन नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा लंबे समय से बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने इस संबंध में शिकायत दी है कि प्राधिकरण की ओर से लोक अदालत की आड़ में बजट धनराशि का दुरुपयोग किया जा रहा है, जबकि इस राशि से कई नई अदालतों की स्थापना कर मामलों का जल्दी निस्तारण किया जा सकता है.

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