जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले में अभियोजन स्वीकृति मिलने मात्र के आधार पर चिकित्सा अधिकारी को निलंबित करने के मामले में प्रमुख चिकित्सा सचिव और चिकित्सा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया (High Court on suspension case of medical officer) है. इसके साथ ही अदालत ने निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर भी रोक लगा दी है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश डॉक्टर विकास जैन की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्तमान में झालावाड़ में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत है. याचिकाकर्ता के खिलाफ 10 दिसंबर, 2018 को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. वहीं विभाग के सक्षम अधिकारी ने इस एफआईआर के आधार पर 15 जून, 2022 को याचिकाकर्ता के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति जारी कर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी.
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याचिका में कहा गया कि विभाग ने 26 जून को आदेश जारी कर आपराधिक प्रकरण में अभियोजन स्वीकृति मिलने मात्र के आधार पर याचिकाकर्ता को निलंबित कर दिया और उसका मुख्यालय स्वास्थ्य निदेशालय, जयपुर कर दिया. याचिका में कहा गया कि केवल मात्र अभियोजन स्वीकृति मिलने के आधार पर याचिकाकर्ता को निलंबित नहीं किया जा सकता और यह सीसीए नियम, 1958 के नियम 13 के प्रावधानों के विरुद्ध है. ऐसे में विभाग की ओर से विधि विरुद्ध तरीके से जारी निलंबन आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर निलंबन आदेश की क्रियान्वित पर रोक लगा दी है.