राजस्थान में रूस-यूक्रेन युद्ध का गेहूं की बिक्री पर असर, किसान मंडी में माल बेचने से कर रहे परहेज

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Published : Apr 17, 2022, 8:01 AM IST

Effect of Russia Ukraine war on sale of wheat in Rajasthan

राजस्थान में किसानों की मंडी में गेहूं बेचने में कम दिलचस्पी देखने को (Effect of Russia Ukraine war on sale of wheat in Rajasthan) मिल रही है. इसका कारण रूस-यूक्रेन युद्ध माना जा रहा है. इसके साथ ही किसान भी अब सीधे उपभोक्ताओं को माल बेच रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान में इस बार गेहूं की फसल कटाई के बाद उपज का मंडियों में बेसब्री से इंतजार हो रहा है. इस बीच मंडी कारोबारी और किसान नेता अंतरराष्ट्रीय हालात को वजह मानकर ये भी अंदेशा जता रहे हैं कि जल्द थाली के बजट में भारी इजाफा हो सकता है. जाहिर है कि जयपुर के आस-पास की मंडियों में आम तौर पर अप्रैल की शुरुआत में नए गेहूं की फसल बेचने के लिए पहुंच जाती है, पर इस बार ऐसा नहीं हो सका है. किसान या तो फसल सीधे उपभोक्ता तक लेकर जा रहे हैं या फिर स्टोरेज में रखकर कीमतों में इजाफे का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में माल की आवक नहीं होने से 40 से 50 रूपए प्रति क्विंटल का इजाफा अभी से ही देखने को मिल रहा है.

मंडी कारोबारी इंतजार में: जयपुर जिले की चौमू अनाज मंडी में आम तौर पर (Russia ukraine war impact on Indian inflation) अप्रैल की शुरुआत के साथ भारी संख्या में गेहूं बेचने के लिए काश्तकार पहुंच जाते हैं. पर इस बार ऐसा नहीं हो सका है. किसान रोजाना केवल दो सौ से लेकर तीन सौ कट्टे तक यहां बेचने के लिए आ रहे हैं. इसी तरह से खेड़ली और खैरथल की मंडियों में भी रोजाना हजारों क्विंटल का कारोबार फिलहाल नाम मात्र का हो रहा है. यहां नवीन मंडी व्यापार उद्योग के अध्यक्ष नवीन जिंदल बताते हैं कि किसान फिलहाल दो देशों के बीच युद्ध के बाद महंगाई के बढ़ते हालात के बाद सतर्क हो गए हैं. उन्हें उम्मीद है कि जल्द गेहूं के दामों में भी भारी इजाफा होगा. लिहाजा वे फिलहाल मंडी का रुख नहीं कर रहे हैं.

राजस्थान में रूस-यूक्रेन युद्ध का गेहूं की बिक्री पर असर

गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी का अंदेशा: किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट के मुताबिक एक तरफ मंडियों में फिलहाल गेहूं के नहीं आने का कारण रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई को माना जा सकता है. तो दूसरी तरफ किसान भी जागरूक होकर सीधे अपना माल अब उपभोक्ता को बेचने के लिए तैयार हो चुके हैं. लिहाजा माल मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहा है. रामपाल जाट बताते हैं कि इस बार सरकार ने भी गेहूं का समर्थन मूल्य अच्छा दिया है. लेकिन किसान को लगता है कि अगर एक महीने और माल रोक लिया जाए, तो उन्हें इस बार की उपज पर बेहतर मुनाफा हासिल हो सकता है.

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जाहिर है कि इस बार केंद्र सरकार रबी मार्केटिंग के मौजूदा सीजन में 444 लाख (Effect of Russia Ukraine war on sale of wheat in Rajasthan) मीट्रिक टन गेहूं खरीद सकती है. क्योंकि साल 2021-22 में 336.48 लाख हेक्टेयर में गेहूं को बोया गया है. प्रदेश में भी करीब 106 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. जिस तरह से बीते छह महीने में खाद्य तेल और ईंधन की कीमतों में बढोतरी हुई है, उसके बाद किसान के इरादे में भी बदलाव देखने को मिला है.

फिलहाल सरकार 1975 प्रति क्विंटल की दर से गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद रही है. जो की साल 2020-21 के मुकाबले पचास रुपए ज्यादा है. पर फिर भी किसान उम्मीद कर रहा है कि उन्हें थोड़ा इंतजार के बाद 2400 रूपए प्रति क्विंटल की दर तक गेहूं की कीमत मिल सकती है. ऐसे में इस इंतजार को देखते हुए जल्द ही थाली में भी रोटी के जायके पर महंगाई का जोर देखने को मिलेगा.

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