Gehlot on Lumpy Disease: 'गायों में फैल रहा लंपी रोग अत्यंत संक्रामक, सावधानी बेहद जरूरी'

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Published : Aug 4, 2022, 12:44 PM IST

Gehlot on Lumpy Disease

राजस्थान के गायों में लगातार फैल रहा लंपी रोग को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने चिंता (Gehlot on Lumpy Disease) जताई है. सीएम गहलोत ने पशुपालकों से अपील की है कि पशुओं को लंपी बीमारी से बचाने के लिए आवश्यक सावधानियों का पालन करें.

जयपुर. राजस्थान में गायों में लंपी रोग तेजी से फैल रहा है. प्रदेश में इस रोग से प्रभावित 16 जिलों में गायों के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक लगा दी गई है. अब तक 4296 गायों की लंपी से मौत हो चुकी है. इसी बीच सीएम अशोक गहलोत ने गोवंशों में हो रही लंपी रोग को लेकर चिंता जताई है. सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि ये रोग अत्यंत संक्रामक है. अपने पशुओं को इससे बचाने के लिए आवश्यक सावधानियों का पालन करें.

सीएम गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि गोवंश में फैल रहा लंपी रोग अत्यंत संक्रामक है. राज्य सरकार इसकी रोकथाम और बचाव के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. अपने पशुओं को इससे बचाने के लिए आवश्यक सावधानियों का पालन करें. पशुओं में इस रोग के लक्षण नजर आने पर नजदीकी पशु चिकित्सा संस्था में सम्पर्क करें. गहलोत ने कहा कि गोवंश को लंपी स्किन रोग से बचाने के लिए सावधानी और सतर्कता बेहद जरूरी है.

  • गोवंश में फैल रहा लम्पी स्किन रोग अत्यंत संक्रामक है। राज्य सरकार इसकी रोकथाम एवं बचाव के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। अपने पशुओं को इससे बचाने के लिए आवश्यक सावधानियों का पालन करें। पशुओं में इस रोग के लक्षण नजर आने पर नजदीकी पशु चिकित्सा संस्था में सम्पर्क करें। pic.twitter.com/ZCkEzdjC65

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लंपी रोग के लक्षण- बताया जा रहा है कि इस रोग के कई लक्षण है. जिसमें बुखार, वजन कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देना शामिल है. इसके साथ ही इस रोग में शरीर में गांठें भी बन जाती हैं. साथ ही ये भी देखने को मिला है कि, इससे मादा मवेशियों को बांझपन, गर्भपात, निमोनिया और लंगड़ापन झेलना पड़ जाता है.

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मच्छर और गंदगी से फैलता है : यह बीमारी एक पशु से दूसरे पशु में मच्छरों के द्वारा भी फैलती है. इसलिए पशुपालक अपने मवेशियों के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और मच्छरों को ना पनपने दें. रोग के प्रारम्भिक लक्षण दिखाई देने पर रोगी पशु को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग कर दें. रोगी पशु के चारा-पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें. रोग ग्रस्त क्षेत्र में पशुओं की आवाजाही रोकें.

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