राजस्थान विधानसभा में क्यों भड़की भाजपा, सदन से किया वॉकआउट...जानें

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Published : Sep 14, 2021, 7:51 PM IST

rajasthan news

राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के अंतिम क्षणों में भाजपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया. भाजपा विधायक राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2020 पारित होने के दौरान अंतिम समय में लाए जा रहे संशोधन की प्रतियां विधायकों को सर्कुलेट नहीं की जाने से नाराज थे. यही कारण है कि संशोधन विधेयक पर सदन में चर्चा के दौरान तो भाजपा के विधायकों ने हिस्सा लिया, लेकिन जब पारित होने का समय आया तब वे सदन से वॉकआउट कर गए.

जयपुर. सदन में सरकार ने यह संशोधन विधेयक चर्चा के लिए रखा था. जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने बहस भी की और इस दौरान भाजपा के विधायकों ने इस संशोधन विधेयक की खामियां गिनाते हुए सरकार से इसे जनमत जानने के लिए प्रवर समिति को भेजने की मांग की.

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र राठौड़ सहित कई भाजपा विधायकों ने इस संशोधन को जल्दबाजी में किया गया संशोधन बताया. साथ ही इसमें कुलपति को हटाने के लिए राज्यपाल द्वारा सरकार से परामर्श और सरकार की रिपोर्ट को आधार बनाए जाने पर भी आपत्ति जताई. हालांकि, चर्चा के बाद जब अंत में बिल पारण के लिए पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया खड़े हुए और उन्होंने संबोधन शुरू किया.

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उसी दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने यह कहते हुए आपत्ति जता दी कि संशोधन अंतिम समय में जोड़ा जा सकता है. लेकिन जो संशोधन किया जा रहा है उसकी प्रति सभी सदस्यों को सर्कुलेट किया जाना चाहिए जो कि नहीं की गई. इस बीच कटारिया से चर्चा कर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सदन से वॉकआउट का एलान कर दिया और सभी भाजपा विधायक सदन से चले गए.

संशोधन विधेयक में थी भाजपा को यह आपत्ति...

मौजूदा संशोधन विधेयक में कुलपति को हटाए जाने को लेकर कुछ संशोधन किए गए थे, जिसमें सरकार की रिपोर्ट और परामर्श के बाद ही कुलपति को हटाए जाने से जुड़ा संशोधन था. जिस पर भाजपा विधायकों ने आपत्ति जताई. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी सहित भाजपा विधायकों ने कहा कि सरकार की रिपोर्ट और अनुशंसा पर ही राज्यपाल कुलपति को हटाए.

इसका मतलब सरकार के ही नियंत्रण में पूरी तरह कुलपति को हटाया जाना होगा, जो सही नही है. पहले विधेयक में कुलपति की नियुक्ति राज्यपाल सरकार के परामर्श से करें यह प्रावधान था, लेकिन कुलपति को हटाए जाने को लेकर इस विधेयक (कानून) में कोई प्रावधान नहीं था.

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