सूखा चारा हुआ महंगा, हिंगोनिया गौशाला ने हरे चारा का खोजा परमानेंट इलाज...

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Published : May 6, 2022, 9:09 PM IST

60 bigha green fodder is being cultivated by Hingonia Gaushala

जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला में आ रही हरे चारे की समस्या का परमानेंट इलाज खोजा गया है. वर्तमान में सूखे चारे के दाम भी दोगुने हो चुके हैं, ऐसे में गोवंश को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए हिंगोनिया गौशाला प्रबंधन की ओर से 60 बीघा जमीन पर हरे चारे की खेती की जा (60 bigha green fodder is being cultivated by Hingonia Gaushala) रही है.

जयपुर. राजधानी की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला में आ रही हरे चारे की समस्या का परमानेंट इलाज खोजा गया है. वर्तमान में सूखे चारे के दाम भी दोगुने हो चुके हैं, ऐसे में गोवंश को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए हिंगोनिया गौशाला प्रबंधन की ओर से 60 बीघा जमीन पर हरे चारे की खेती की जा (60 bigha green fodder is being cultivated by Hingonia Gaushala) रही है. आगामी दिनों में 100 बीघा जमीन पर इसी तरह हरे चारे की खेती की जाएगी.

हालांकि अब तक गौशाला प्रबंधन की ओर से हरा चारा बाहर से ही खरीदा जा रहा था. लेकिन इस नई व्यवस्था को लेकर गौशाला का काम देख रहे प्रबंधक प्रेम आनंद ने बताया कि वर्तमान में हरा चारा हो या सूखा चारा सभी के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं. जिसका एक कारण सूर्य की बढ़ती तपिश और पानी की कमी से हरे चारे की खेती झुलसना भी बताया जा रहा है.

हरे चारे की खेती

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ऐसे में हिंगोनिया गौशाला में ही हरा चारा उगाया जा रहा है. इसका एक प्रमुख कारण ये भी है कि गो पुनर्वास केंद्र में बाहर से जो गोवंश आते हैं, उन्हें शहरों में हरा चारा, सब्जी-रोटी ही मिलती है. और यहां उन्हें सूखा चारा और बाट मिलता है. ऐसे में उनके लिए एक विपरीत परिस्थिति बनती है. यही वजह है कि बाहर से आने वाले गोवंश को तकलीफ न हो और यहां मौजूद गोवंश को भी गर्मी को ध्यान में रखते हुए अच्छा आहार दे सके, इसे मद्देनजर रखते हुए यहां 60 बीघा जमीन पर हरा चारा उगाया गया है. इसके बाद आगे 100 बीघा जमीन पर हरे चारे की खेती और की जाएगी.

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प्रेम आनंद ने बताया कि आसपास भी कई काश्तकार हैं, जो हरे चारे की खेती करते हैं, लेकिन पर्याप्त पानी नहीं होने की वजह से इस बार चारे की अनुपलब्धता देखने को मिली. चूंकि गोवंश को मिलने वाले पोषक तत्व हरे चारे से मिल पाते हैं. और सूखे चारे में ज्यादा गुण नहीं होते हैं। ऐसे में इस गर्मी में हरे चारे की आवश्यकता को देखते हुए हिंगोनिया गौशाला क्षेत्र में ही हरा चारा उगाने की पहल की गई है. चूंकि हिंगोनिया गौशाला मेन सिटी से काफी दूर है. ऐसे में हरे चारे की खेती करने का एक कारण ये भी है कि यहां पहुंचने वाले गौ सेवक और दानदाताओं को निराश ना लौटना पड़े और वो यहां मौजूद गोवंश को हरा चारा खिला सके.

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