70 साल बाद चीतों की भारत वापसी के लिए 13 साल पहले बीकानेर के गजनेर में बना था रोडमैप

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Published : Sep 15, 2022, 9:32 PM IST

Roadmap for Cheetah regeneration scheme made in Bikaner 13 years back

70 साल बाद एक बार फिर भारत में चीतों को लाया जा रहा है. इन चीतों को मध्य प्रदेश की कूनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा. लेकिन चीतों को भारत लाने के लिए करीब 13 साल पहले बना रोड मैप बीकानेर के गजनेर में तय हुआ (Roadmap for Cheetah regeneration scheme) था. उसके बाद धीरे-धीरे इस पर काम हुआ और आखिरकार अब नामीबिया से ये अफ्रीकन से चीते भारत आ रहे हैं.

बीकानेर. भारत का 70 साल का इंतजार खत्म होने को है. देश में एक बार फिर चीतों की वापसी हो रही है. अफ्रीका के नामीबिया से 8 चीते मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 17 सितंबर को लाए जा रहे हैं. इन चीतों को भारत में लाने के लिए 13 साल पहले बीकानेर के गजनेर पैलेस में तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की मौजूदगी में भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट और दुनिया भर के विशेषज्ञ चीता पुनरुत्पादन परियोजना (Roadmap for Cheetah regeneration scheme) के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए एकत्र हुए, जिसे वन्यजीव ट्रस्ट ने प्रस्तावित किया था.

क्या हुआ था बैठक में: इस बैठक में इस संभावना के परीक्षण को लेकर दो दिवसीय बैठक हुई थी. बैठक में जयराम रमेश ने कहा था, 'मुझे लगता है कि हम उस जानवर के लिए ऋणी हैं जिसका नाम संस्कृत से लिया गया है. जो कभी हमारे देश में इतना सर्वव्यापी था कि कम से कम पेशेवरों और विपक्षों का विश्लेषण कर सके. इस विषय पर सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता के आधार पर निष्पक्ष और पेशेवर तरीके से लाभों और जोखिमों की जांच करें.'

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संभावनाओं पर चर्चा: बैठक में चीता के पुनरुत्पादन से संबंधित कई प्राथमिक मुद्दों पर चर्चा हुई थी. इनमें आवास और शिकार की उपलब्धता, मानव-पशु संघर्ष, पेशेवर परियोजना प्रबंधन और प्रजनन स्टॉक का स्रोत शामिल थे. बैठक की अध्यक्षता उदयपुर के एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के अध्‍यक्ष अरविंद सिंह मेवाड़ ने की थी. इसमें केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और चार राज्यों के मुख्य वन्यजीव वार्डन के अधिकारियों ने भाग लिया था.

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इसके अलावा राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चीते के पुनरुत्पादन के लिए संभावित स्थल से जुड़े भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), IUCN के प्रतिनिधि, अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञ और भारतीय और अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य शामिल हुए थे. बैठक में WII के डॉ यादवेंद्र देव झाला ने भारत में संभावित चीता प्रजनन स्थलों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा था कि आवास की उपयुक्तता, मानव बस्तियों के घनत्व और अन्य बातों के संदर्भ में, कुछ स्थलों में चीता का पुनरुत्पादन संभव था. हालांकि, साइट-विशिष्ट प्रबंधन आवश्यक होगा और अंतिम चयन की सिफारिश करने से पहले इन साइटों का अधिक विस्तार से अध्ययन किया जाना चाहिए.

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हुआ अध्ययन: इस बैठक में दुनिया भर के विशेषज्ञ और मंत्री जयराम रमेश की मौजूदगी में चीतों को रखने के लिए पांच राज्यों में बेहतर स्थान को लेकर अध्ययन करने की सहमति बनी थी. इस दौरान ईरान के चीतों को लाने को लेकर निर्णय टाला गया और अफ्रीकन चीतों को लाने के पक्ष में बाद में सहमति बनी थी.

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