उच्च शिक्षा पर भी Corona की मार, तीन साल की डिग्री के लिए अब लगेंगे 6 साल

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Published : Aug 4, 2021, 7:12 AM IST

Corona effect on higher education

कोरोना महामारी का उच्च शिक्षा पर भी अच्छा खासा असर देखने को मिला है. ऑनलाइन माध्यम से विद्यार्थियों को अध्ययन करवाने की कोशिश भी हुई और किसी का शैक्षणिक सत्र बाधित भी नहीं हुआ. लेकिन कई परीक्षाएं आयोजित नहीं कराई जा सकी जिसका खामियाजा पीएचडी शोधार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय भी इनमें से एक है. यहां भी परीक्षा संपन्न नहीं हो पाई सो अब विवि आगे की रणनीति पर काम कर रहा है.

बीकानेर। कोरोना काल के चलते बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में पिछले ढाई साल से पीएचडी और एमफिल की प्रवेश परीक्षा को पास करने वाले विद्यार्थियों के लिए इंतजार लंबा होकर जा रहा है. दरअसल दो साल पहले विश्वविद्यालय की ओर से पीएचडी और एमफिल की प्रवेश पात्रता परीक्षा करवाई गई थी. 6 महीने तक चलने वाले कोर्स के लिए 291 शोधार्थियों को परीक्षा देनी थी. लेकिन कोरोना के चलते ये संभव नहीं हो पाया.

उच्च शिक्षा पर कोरोना की मार

शोधार्थियों को Synopsis Alot हो नहीं पाया और उनकी पीएचडी शुरू ही नहीं पाई. कुछ ऐसी ही कहानी एमफिल के शोधार्थियों की भी है . जिसके चलते शोधार्थियों की 3 साल में पूरी होने वाली पीएचडी 6 से 7 साल में पूरी होगी. इतना ही नहीं पिछले 2 सालों से पीएचडी और एमफिल की प्रवेश पात्रता परीक्षा भी नहीं हो सकी है, जिसके चलते एमफिल और पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को मौका ही नहीं मिल पा रहा है.

पूरे मामले पर विश्वविद्यालय के शोध निदेशक रविंद्र मंगल का कहना है कि निश्चित रूप से कोरोना के चलते नुकसान हुआ है. अब जल्द ही विश्वविद्यालय इन कोर्स वर्क परीक्षा के साथ ही नई प्रवेश पात्रता परीक्षा तो जल्द ही आयोजित करेगा. विश्वविद्यालय 25 विषयों में पीएचडी करवा रहा है और हर साल आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा में हजारों की संख्या में विद्यार्थी प्रवेश परीक्षा देते हैं. लेकिन फिलहाल जो सूरत ए हाल है उसमें प्रवेश परीक्षा की गुंजाइश नाममात्र की है और इन परिस्थितियों में उनके भविष्य को लेकर संशय पैदा हो ही गया है.

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