कम पानी में करें सरसों की बुआई, DAP की जगह SSP व यूरिया का करें उपयोग-कृषि उपनिदेशक

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Published : Sep 30, 2022, 5:46 PM IST

Updated : Sep 30, 2022, 11:57 PM IST

Suggestion to farmers by agriculture dept deputy director

हाल ही में मानसून की विदाई के पूर्व भीलवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी बरसात हुई है. ऐसे में किसान खरीफ की फसल को समेटकर रबी की फसल की बुवाई में जुट गए हैं. ऐसे में किसानों को नई फसल की तैयारी और कीटों से बचाव को लेकर कृषि विभाग ने सलाह दी (advisory for farmers for rabi crops) है.

भीलवाड़ा. हाल ही में हुई बरसात के बाद जिले में किसानों ने रबी की फसल की बुवाई शुरू कर दी (Rabi crop sowing in Bhilwara) है. जिले में इस बार 50 से 70 हजार हैक्टेयर भूमि में सरसों व चने की फसल के साथ ही 20 हजार हेक्टेयर भूमि में तारामीरा की फसल बुवाई का लक्ष्य रखा है. इस बीच कृषि विभाग ने किसानों को आगामी फसल के लिए सलाह दी है.

भीलवाड़ा कृषि उपनिदेशक रामपाल खटीक का कहना है कि किसान कम पानी में सरसों की फसल की बुवाई करें. डीएपी खाद की जगह सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) व यूरिया का मिश्रण (Mixture of SSP and Urea for crops) कर फसल की बुवाई में उपयोग लें क्योंकि इस मिश्रण में आवश्यक पोषक तत्व भी ज्यादा हैं. जिले में गत वर्ष की तुलना में इस बार सरसों की बुवाई का आंकड़ा भी ज्यादा रहेगा क्योंकि गत वर्ष किसानों को सरसों की उपज का अच्छा भाव मिला था.

किसानों को आगामी फसल के लिए सलाह

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खटीक ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि किसान इस समय खरीफ की फसल को समेटकर रबी की फसल की तैयारी में जुट जाएं. किसान सबसे पहले अपने खेत की हकाई व जुताई करके नमी संचय करने के लिए पाठा (नमी संचय करना) लगाए जिससे खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी संचय हो सकेगी. फिर उचित समय मिलने पर किसान सरसों, तारामीरा व चने की फसल की बुवाई करें. वर्तमान समय में सबसे पहले सरसों की बुआई करें व एक सप्ताह बाद तारामीरा व चने की फसल की बुआई करें.

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साथ ही खटीक ने कहा कि सरसों की फसल की बुवाई के बाद कई बार फसल में कीट का प्रकोप हो जाता है. इसके चलते फसल का अंकुरण होते ही आरा नाम की मक्खी फसल को काट जाती है और फसल नष्ट हो जाती है. ऐसे में किसान सरसों की फसल का अंकुरण होने के बाद एक हेक्टेयर में 20 से 25 किलो मेलाथियान डस्ट (पाऊडर) का छिड़काव करें, जिससे सरसों की फसल में कीट का प्रकोप नहीं रहेगा.

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वहीं जिले में डीएपी खाद की कमी के सवाल पर कृषि उपनिदेशक ने कहा कि डीएपी की जगह इस बार अच्छा विकल्प आया है. किसान सिंगल सुपर फास्फेट व यूरिया को डीएपी की जगह काम में ले सकते हैं. ऐसे में किसान 3 कट्टे (बैग) सिंगल सुपर फास्फेट वह एक कट्टा (बैग) यूरिया को मिलाकर फसल की बुआई में काम में ले सकते हैं. क्योंकि तीन बैग सिंगल सुपरफास्फेट व एक बैग यूरिया में सल्फर की मात्रा के साथ ही अन्य तत्वों की मात्रा भी अधिक होती है. जिले में पर्याप्त मात्रा में सिंगल सुपर फास्फेट उपलब्ध है. पूर्व में यहां 2500 टन डीएपी खाद उपलब्ध था जिसमें से 2000 टन खर्च हो चुका है. भीलवाड़ा जिले में 9 हजार मैट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता रहती है.

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उन्‍होंने कहा कि जिले में इस बार 50 से 70 हजार हैक्टेयर भूमि में सरसों व चने की फसल के साथ ही 20 हजार हेक्टेयर भूमि में तारामीरा की फसल बुवाई का लक्ष्य रखा है. गत वर्ष जिले में 35 हजार हेक्टेयर भूमि में सरसों की फसल की बुवाई हुई थी, लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़ेगा. किसानों को सलाह दी जाती है कि जो रबी की फसल के समय गेहूं की बुवाई करने वाले किसान भी गेहूं के एरिया में सरसों की बुवाई करें, तो कम पानी में अच्छा मेहनताना मिल सकता है.

Last Updated :Sep 30, 2022, 11:57 PM IST
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