Nag Panchami 2022: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद हैं 13 प्रजातियों के सांप, 3 प्रजाति ऐसी कि डस लें तो पानी भी न मांगें

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Published : Aug 2, 2022, 10:13 AM IST

Updated : Aug 3, 2022, 10:58 AM IST

Nag Panchami 2022

राजस्थान के भरतपुर के विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) का नाम सुनते ही जेहन में विविध प्रकार के पक्षियों का कलरव गूंजने लगता है, लेकिन बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि केवलादेव घना में 13 प्रजातियों के सांप मौजूद हैं. नाग पंचमी के अवसर पर आपको केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर मौजूद 'नागलोक' के रोचक तथ्यों से अवगत कराते हैं.

भरतपुर. पक्षियों के स्वर्ग के रूप में पहचाने जाने वाले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों के अलावा बड़ी संख्या में सांपों की मौजूदगी भी पाई जाती है. यहां कुल 13 प्रजाति के सर्प पाए जाते हैं, जिनमें से 3 प्रजाति के सर्प इतने जहरीले हैं कि उनका डसा हुआ पानी भी नहीं मांगता. वहीं वन्यजीवों को जिंदा निगलने की ताकत रखने वाला अजगर तो यहां पर बड़ी संख्या में पाया जाता है.

घना के तीन सबसे जहरीले सांप- राष्ट्रीय उद्यान के सेवानिवृत्त रेंजर भोलू अबरार ने बताया कि उद्यान में 13 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. इनमें से तीन सर्प जहरीली प्रजाति के हैं, जिनमें कॉमन कोबरा, बैंडेट क्रेट और वाईपर शामिल हैं. माना जाता है कि ये सर्प यदि किसी को डस लें और समय पर उपचार नहीं मिले तो व्यक्ति को जान गंवाना निश्चित है. इनके अलावा कई प्रजाति के वाटर स्नेक, रैट स्नेक और वुल्फ स्नेक जैसे नॉन पोइज़नस सांप भी यहां पाए जाते हैं.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद हैं 13 प्रजातियों के सांप

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बड़ी संख्या में मिलते हैं अजगर- भोलू अबरार ने बताया कि घना में बड़ी संख्या में अजगर पाए जाते हैं. मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की ओर से वर्ष 2010 के करीब एस भूपति ने घना में सरीसृपों पर अध्ययन किया था. उस समय घना के अंदर 150 अजगर की मौजूदगी पाई गई थी, जो कि उस समय किसी भी एक स्थान पर यह बड़ी मौजूदगी थी. 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आज की तारीख में सैकड़ों अजगर मौजूद हैं, जोकि राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में बड़ी संख्या मानी जाती है.

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इसलिए मिलते हैं ज्यादा अजगर- भोलू अबरार ने बताया कि घना और आसपास के क्षेत्र में नम भूमि है. घना में हाइना और जैकोल अपने लिए आवास (बिल) बनाते हैं. अजगर उन्हीं आवासों पर कब्जा कर लेता है. कई बार तो बिल इतने बड़े, घुमावदार और गहरे होते हैं कि हाइना और अजगर एक ही बिल में रहने लगते हैं. सामना होने पर कई भिड़ंत भी हो जाती है.

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घना में अनुकूल माहौल के साथ ही अजगर को आसानी से भरपूर भोजन भी उपलब्ध हो जाता है. यही वजह है कि घना और आसपास के क्षेत्र में अजगर की बड़ी संख्या में मौजूदगी पाई जाती है. कई बार तो आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी अजगर निकल आते हैं, जिन्हें रेस्क्यू कर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा जाता है.

Last Updated :Aug 3, 2022, 10:58 AM IST
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