पुरी की आध्यात्मिक पहचान की रक्षा की जानी चाहिए: शंकराचार्य

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Published : May 26, 2022, 9:02 AM IST

Shankaracharya

पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Nischalananda Saraswati) ने एक वीडियो संदेश जारी कर पीएम मोदी और ओडिशा के सीएम से अपील की है. शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने पुरी की आध्यात्मिक आदर्शों और अस्तित्व की रक्षा की मांग की है.

भुवनेश्वर : पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने मंदिर नगरी पुरी की आध्यात्मिक आदर्शों और अस्तित्व की रक्षा की मांग की. शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक दोनों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि 'विकास की आड़' में विरासत के 'विनाश' को रोका जाए. पुरी के शंकराचार्य ने बयान एक वीडियो संदेश के माध्यम से जारी किया.

उनका बयान ऐसे समय आया है जब पुरी के पूर्व शासक दिब्यसिंह देब के नेतृत्व वाले राज्य सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल और नेताओं एवं सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं के एक अन्य समूह ने उनसे एक दिन पहले मुलाकात की थी. शंकराचार्य ने 23 मई को भी इसी तरह का एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने विकास के नाम पर 12वीं शताब्दी के मंदिर के कथित नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त की थी.

सुनिए क्या कहा निश्चलानंद सरस्वती ने

बयान में कहा गया, 'प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि विकास के नाम पर पुरी को बर्बाद किया जा रहा है. सड़कों को चौड़ा करने के लिए मठ तोड़े जा रहे हैं... (यह) ठीक नहीं है. प्रशासन को अपनी योजना को तुरंत लागू करना बंद कर देना चाहिए.' सत्तारूढ़ बीजद के प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने परोक्ष तौर पर एक जवाबी बयान में कहा कि श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना को श्रीमंदिर प्रबंध समिति द्वारा तैयार किया गया था और उसकी सिफारिश की गई थी तथा सभी योजनाएं सार्वजनिक हैं. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने सभी आवश्यक अनुमति दी और इसे ओडिशा विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया.

शंकराचार्य ने वीडियो में कहा, 'प्रशासन को पूजा स्थलों को हुए नुकसान पर भी खेद व्यक्त करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस तरह के कदम नहीं उठाए जाएं. नारायण .. नारायण …' राज्य सरकार द्वारा पुरी धरोहर गलियारा परियोजना को जिस तरह से लागू किया जा रहा है, उस पर गहरी पीड़ा व्यक्त करते हुए, शंकराचार्य ने कहा कि 'सभी विकास के पक्ष में हैं, लेकिन हम नहीं चाहते कि विकास के नाम पर धरोहर स्थल अपनी पहचान खो दे.' उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर धरोहरों को नष्ट करना स्वीकार्य नहीं है.

ओडिशा में दो दशक से अधिक समय से राज्य में सत्तारूढ़ बीजद की ओर इशारा करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि प्रशासन को खुद को सर्वशक्तिमान नहीं समझना चाहिए क्योंकि जनता का जनादेश कभी भी बदल सकता है. उन्होंने बीजद का नाम लिए बिना आगाह किया, 'ओडिशा के लोगों को इस सरकार पर भरोसा है ... लेकिन लोगों की राय बदल सकती है.' उन्होंने लोगों को यह चेतावनी भी दी कि 'पुरी-धाम' की छवि खराब करने और इसके आध्यात्मिक आदर्श पर हमला पूरे राज्य के लिए परेशानी का कारण बन सकता है.

गलियारा परियोजना का काम रोकने की मांग : शंकराचार्य के बयान के तुरंत बाद विपक्षी भाजपा और कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ रैली की और चल रहे गलियारा परियोजना के काम को तत्काल रोकने की मांग की. भाजपा की ओडिशा इकाई ने गलियारा परियोजना के काम को 'अवैध' करार दिया क्योंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से अनुमति नहीं ली गई है और सभी कार्यों को स्थगित करने की मांग की है.

बीजद प्रवक्ता मोहंती ने कहा कि योजना तैयार की गई थी और जनता की राय ली गई थी. उन्होंने कहा कि इसके बाद प्रबंध समिति ने योजना की अनुशंसा की. उन्होंने कहा कि इसके बाद श्रीमंदिर परिक्रमा योजना को ओडिशा विधानसभा में ओडिशा के लोगों के पास ले जाया गया, जहां इसे बिना किसी विरोध के सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि 'एएसआई ने कुछ सुझाव दिए थे जिन्हें विधिवत शामिल किया गया था और तदनुसार (योजना में) संशोधन किए गए थे.'

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