राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 : इन राज्यों की महिलाओं में गर्भनिरोधक विधियों का प्रयोग सबसे कम

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Published : May 8, 2022, 11:14 AM IST

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -5) की एक नवीनतम रिपोर्ट में पाया गया है कि परिवार नियोजन के लिए महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग मेघालय में सबसे कम है. इसके बाद मिजोरम और बिहार का स्थान है. राज्यों में गर्भनिरोधक विधि का उपयोग मेघालय में 27 प्रतिशत, मिजोरम में 31 प्रतिशत और बिहार 56 प्रतिशत में सबसे कम है. जबकि ओडिशा और हिमाचल प्रदेश में यह 74 प्रतिशत है.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -5) की एक नवीनतम रिपोर्ट में पाया गया है कि परिवार नियोजन के लिए महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग मेघालय में सबसे कम है. इसके बाद मिजोरम और बिहार का स्थान है. राज्यों में गर्भनिरोधक विधि का उपयोग मेघालय में 27 प्रतिशत, मिजोरम में 31 प्रतिशत और बिहार 56 प्रतिशत में सबसे कम है. जबकि ओडिशा और हिमाचल प्रदेश में यह 74 प्रतिशत है. राज्यों में, वर्तमान में विवाहित महिलाएं उत्तर पूर्व क्षेत्र के सभी छोटे राज्यों में गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग कर रही हैं. हालांकि, सिक्किम और त्रिपुरा में यह अनुपात अपेक्षाकृत कम है. रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग लद्दाख में सबसे कम 51 फीसदी और चंडीगढ़ में सबसे ज्यादा 77 फीसदी है.

आधुनिक गर्भनिरोधक उपयोग: 2015-16 और 2019-21 के बीच वर्तमान में विवाहित महिलाओं द्वारा आधुनिक गर्भनिरोधक उपयोग 48 प्रतिशत से बढ़कर 56 प्रतिशत हो गया है. महिला नसबंदी अभी भी सबसे लोकप्रिय गर्भनिरोधक विधि है, जिसका उपयोग वर्तमान में विवाहित महिलाओं में से 98 प्रतिशत द्वारा किया जाता है. 68 प्रतिशत आधुनिक गर्भनिरोधक विधियों के उपयोगकर्ता आधुनिक गर्भनिरोधक विधियों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र पर निर्भर हैं.

गर्भनिरोधक बंद करना: सर्वेक्षण से पहले के पांच वर्षों में, गर्भनिरोधक विधि का उपयोग शुरू करने वाली 50 प्रतिशत महिलाओं ने 12 महीने से भी कम समय में इस विधि को बंद कर दिया. बंद करने का प्रमुख कारण गर्भवती होने की इच्छा 11 प्रतिशत है. वर्तमान में विवाहित महिलाओं में से नौ प्रतिशत को परिवार नियोजन की आवश्यकता पूरी नहीं हुई है, जो 2015-16 से 13 प्रतिशत कम है. हिस्टेरेक्टॉमी: तीन प्रतिशत महिलाओं को गर्भाशय का ऑपरेशन कराना पड़ा है. निजी स्वास्थ्य क्षेत्र में दो-तिहाई 70 प्रतिशत से अधिक हिस्टेरेक्टॉमी की गई है.

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एनएचएफएस की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि गर्भनिरोधक विधि का ज्ञान भारत में लगभग सार्वभौमिक है. वर्तमान में विवाहित महिलाओं और 15-49 आयु वर्ग के पुरुषों में से 99 प्रतिशत से अधिक गर्भनिरोधक की कम से कम एक विधि जानते हैं. वर्तमान में विवाहित महिलाओं में से आधे से अधिक 52 प्रतिशत और पुरुष 52 प्रतिशत आपातकालीन गर्भनिरोधक के बारे में जानते हैं. वर्तमान में विवाहित महिलाओं में से आधे से अधिक और वर्तमान में विवाहित पुरुषों में से एक चौथाई से अधिक लैक्टेशनल एमेनोरिया विधि (एलएएम) के बारे में जानते हैं.

एनएफएचएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला नसबंदी सबसे लोकप्रिय आधुनिक गर्भनिरोधक तरीका है. वर्तमान में 15-49 वर्ष की विवाहित महिलाओं में, 38 प्रतिशत महिला नसबंदी का उपयोग करती हैं, उसके बाद पुरुष कंडोम (10 प्रतिशत) और गोलियां (5 प्रतिशत). 10 प्रतिशत पारंपरिक विधि का उपयोग करते हैं, ज्यादातर रिदम मैथड, यौन सक्रिय अविवाहित महिलाओं में, पुरुष कंडोम सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका (27 प्रतिशत) है, इसके बाद महिला नसबंदी (21 प्रतिशत) होती है. एनएफएचएस रिपोर्ट में कहा गया है.

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35 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम : ताजा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट के अनुसार करीब 35.1 प्रतिशत पुरुषों का मानना ​​है कि गर्भनिरोधक अपनाना 'महिलाओं का काम' है जबकि 19.6 प्रतिशत पुरुषों का मानना ​​है कि गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिलाएं ‘स्वच्छंद’ हो सकती हैं. एनएफएचएस -5 सर्वेक्षण में देश के 28 राज्यों और आठ केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों से करीब 6.37 लाख नमूना घरों में आयोजित किया गया. सर्वेक्षण में 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को शामिल किया गया.

इस राष्ट्रीय रिपोर्ट में सामाजिक-आर्थिक सहित विभिन्न आधार पर आंकड़े मुहैया कराए गए हैं जिससे नीति निर्माण और प्रभावी कार्यक्रम कार्यान्वयन में मदद मिल सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चंडीगढ़ में सबसे अधिक 69 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम है और पुरुषों को इसके संबंध में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. वहीं केरल में सर्वेक्षण में शामिल 44.1 प्रतिशत पुरुषों के अनुसार गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिलाएं ‘स्वच्छंद’ हो सकती हैं.

रिपोर्ट के अनुसार 55.2 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि अगर पुरुष कंडोम का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो यह ज्यादातर मामलों गर्भधारण नहीं होने देता है. सर्वेक्षण में शामिल पुरुषों में, करीब 64.7 प्रतिशत सिखों का मानना ​​था कि गर्भनिरोधक महिलाओं का काम है और पुरुषों को इस बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, जबकि सर्वेक्षण में शामिल हिंदुओं में यह संख्या 35.9 प्रतिशत और मुसलमानों के लिए 31.9 प्रतिशत थी. इसमें कहा गया है कि आय के साथ ही आधुनिक गर्भ निरोधकों का उपयोग भी बढ़ता है और कम आय वाले समूह में 50.7 प्रतिशत महिलाएं इसका उपयोग करती हैं वहीं उच्चतम आय वाले समूह में यह 58.7 प्रतिशत है.

आंकड़ों के अनुसार कामकाजी महिलाओं के आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग करने की अधिक संभावना है. क्योंकि ऐसी 66.3 प्रतिशत महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधक पद्धति का उपयोग करती हैं जबकि गैर-कामकाजी समूह में यह प्रतिशत 53.4 प्रतिशत है. पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुतरेजा ने कहा कि यह रिपोर्ट उन तमाम सबूतों में से एक है जो साबित करता है कि विकास सबसे अच्छा गर्भनिरोधक है. उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि महिला नसबंदी अब भी गर्भनिरोधक का सबसे लोकप्रिय तरीका बना हुआ है. उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि परिवार नियोजन की जिम्मेदारी महिलाओं पर ही बनी हुई है.

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