NEET Counselling : चार हफ्तों के लिए स्थगित, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी

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Published : Nov 25, 2021, 3:44 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 3:57 PM IST

सुप्रीम कोर्ट

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह ईडब्ल्यूएस श्रेणी निर्धारित करने के लिए मानदंड तय करने के वास्ते समिति गठित करेगा और समिति को यह काम करने के लिए चार हफ्तों का वक्त चाहिए. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर

नई दिल्ली : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि समिति के ईडब्ल्यूएस श्रेणी निर्धारित करने के लिए मानदंड पर फैसला लेने तक नीट की काउंसिलिंग चार हफ्तों के लिए स्थगित (neet counselling postponed) की जाती है.

नीट काउंसलिंग से जुड़े केस में केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए एनईईटी प्रवेश में आरक्षण (reservation in NEET admissions) के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economically Weaker Sections- EWS) श्रेणी के निर्धारण पर दोबारा विचार का फैसला लिया है. बता दें कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सरकार ने आठ लाख रुपये की वार्षिक आय की सीमा निर्धारित की है. अब सरकार ने इस पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया है.

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और विक्रम नाथ की पीठ को सूचित किया कि ईडब्ल्यूएस के मानदंड निर्धारित करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा और इसमें चार सप्ताह का समय लगेगा.

मेहता ने कहा कि नीट (पीजी) काउंसलिंग को कोर्ट को पहले दिए गए आश्वासन के अनुसार चार सप्ताह और स्थगित (neet counselling postponed) कर दिया जाएगा.

बता दें कि शीर्ष अदालत केंद्र और चिकित्सा परामर्श समिति (Medical Counselling Committee) के 29 जुलाई के नोटिस को चुनौती देने वाली छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

इन याचिकाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया था. यह आरक्षण वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के लिए चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए कराए जाने वाले टेस्ट (NEET-PG) प्रवेश परीक्षा में दिया जाना था.

गुरुवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटा एक बहुत ही सक्षम और प्रगतिशील प्रकार का आरक्षण है. सभी राज्यों को इस प्रयास में केंद्र का समर्थन करना चाहिए.

पीठ ने कहा कि एकमात्र सवाल यह है कि श्रेणी का निर्धारण वैज्ञानिक तरीके से होना चाहिए और वह इस बात की सराहना करती है कि केंद्र ने पहले तय किए गए मानदंडों पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया है.

(पीटीआई)

Last Updated :Nov 25, 2021, 3:57 PM IST
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