2024 में मोदी से मुकाबले के लिए कांग्रेस में सेंध क्यों लगा रहीं हैं ममता बनर्जी ?

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Published : Nov 25, 2021, 8:37 PM IST

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2024 में नरेंद्र मोदी से राजनीतिक लड़ाई के लिए ममता बनर्जी पूरे देश में सिपहसलारों की नियुक्ति कर रही है. मगर दिलचस्प यह है कि राजनीतिक ताकत हासिल करने के लिए वह कांग्रेस में ही सेंध लगा रही हैं.

हैदराबाद : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बुधवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर त्रिपुरा के हालात पर विरोध दर्ज करा रही थी, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि वह दूसरे मोर्चे पर मेघालय कांग्रेस की नींव भी हिला रही हैं. अगले दिन कांग्रेस को भी पता चला कि पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के नेतृत्व में उनके 17 में से 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. एक दिन में कांग्रेस झटके के साथ विपक्ष की कुर्सी गंवा बैठी. अपने दिल्ली दौरे में ममता बनर्जी ने बिहार से तीन बार के कांग्रेस सांसद कीर्ति आजाद और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को अशोक तंवर की एंट्री टीएमसी में करा ली.

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कांग्रेस के अशोक तंवर और जेडीयू के पवन वर्मा भी टीएमसी में शामिल.

नवंबर के दिल्ली दौरे में ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात नहीं की. जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि हर बार उनसे क्यों मिलूं. यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य नहीं है. ममता बनर्जी के इस बयान से ऐसा लगा कि अब टीएमसी कांग्रेस को भी बख्शने की मूड में नहीं है.

  • This conspiracy to break Congress is happening not only in Meghalaya, but whole northeast. I challenge CM Mamata Banerjee to first elect them on TMC" s="" symbol&then="" formally="" welcome="" them="" to="" her="" party:="" congress="" mp="" adhir="" ranjan="" chowdhury="" on="" 12="" mlas="" in="" meghalaya="" join="" tmc="" pic.twitter.com/GVXe3KDrX1

    — ANI (@ANI) November 25, 2021 ' class='align-text-top noRightClick twitterSection' data=' '>

कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी मेघालय प्रकरण से खासे नाराज हैं. उन्होंने दावा किया कि टीएमसी पूरे नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में कांग्रेस को खत्म करने की साजिश कर रही है. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह सब कुछ प्रशांत किशोर और टीएमसी के नए नेता लुइजिन्हो फलेरियो कर रहे हैं. हमें इसकी जानकारी थी. लुइजिन्हो फलेरियो भी तृणमूल में शामिल होने वाले कांग्रेस नेताओं में से एक हैं. इससे पहले कांग्रेस से सुष्मिता देव और अभिजीत मुखर्जी को भी अपने पाले में खींचा था. उत्तरप्रदेश से तृणमूल में शामिल होने वाले राजेशपति त्रिपाठी और ललितेशपति त्रिपाठी भी कांग्रेसी रहे हैं. राजेशपति त्रिपाठी के दादा कमलापति त्रिपाठी यूपी के सीएम रहे हैं.

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प्रशांत किशोर की नीति पर काम कर रहीं ममता बनर्जी.

क्या कांग्रेस को तोड़ना यह प्रशांत किशोर की रणनीति है

ममता बनर्जी जिस तरह पूरे देश में घूम-घूमकर नेताओं को पार्टी में शामिल करा रही हैं, उसमें प्रशांत किशोर की छाप साफ नजर आती है. गोवा में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी भी पीके के दिमाग की उपज है. दरअसल, विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने बीजेपी से सीधी टक्कर लेकर जीत हासिल की. पश्चिम बंगाल चुनाव नतीजों से पहले तक हाई वोल्टेज रहा. इसके बाद उपचुनाव में एकतरफा जीत के बाद ममता बनर्जी के कद को राष्ट्रीय स्तर पर गढ़ने की कवायद शुरू हुई, ताकि 2024 के आम चुनाव में वह कद्दावर नेता के तौर पर नरेंद्र मोदी के सामने टिक सके.

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जब-जब ममता दिल्ली गईं सोनिया गांधी से जरूर मिलीं, मगर पिछले दौरे में मुलाकात से मना कर दिया.

कांग्रेस में तोड़फोड़ क्यों कर ही हैं ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल चुनाव में जीत के बाद टीएमसी यह नहीं मानती है कि राहुल गांधी को विपक्ष के नेतृत्व कर सकते हैं. पार्टी के नेता अब ममता बनर्जी की ऐसी छवि बनाना चाहते हैं, जिसे पूरे देश में स्वीकार्यता प्राप्त हो. इसलिए उन्होंने दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करने का अभियान छेड़ रखा है. पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा नेता रहे यशवंत सिन्हा के टीएमसी आगमन के बाद प्रशांत किशोर के इरादे को बल भी मिला था. अब ममता ऐसे सेलिब्रिटी चेहरों को भी टीएमसी में शामिल होने का न्योता दे रही हैं, जो गाहे-बगाहे नरेंद्र मोदी का विरोध करते हैं. कांग्रेस करीब सभी राज्यों में पार्टी के भीतर गुटबाजी से जूझ रही है. ऐसे में उपेक्षित नेताओं की बड़ी फौज अपनी राजनीतिक भविष्य की तलाश में तृणमूल कांग्रेस का रुख कर रहे हैं.

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पश्चिम बंगाल में मुकुल राय, बाबुल सुप्रीयो और यशवंत सिन्हा पहले ही बीजेपी छोड़कर टीएमसी का दामन थाम चुके हैं.

बीजेपी में क्यों नहीं लगाई बड़ी सेंध

ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कई बीजेपी विधायकों को तोड़ चुकी हैं. मुकुल राय और बाबुल सुप्रीयो जैसे नेता टीएमसी का दामन थाम चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 2023 में त्रिपुरा में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ममता बंगाल बीजेपी में और तोड़फोड़ कर सकती हैं. यह उनके गृह राज्य का मामला है, जहां रणनीतिक सियासी लड़ाइयां कभी भी लड़ सकती हैं. राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के बड़े नेताओं को तोड़ना आसान नहीं है. बीजेपी केंद्र और कई राज्यों की सत्ता में है. अन्य भारतीय जनता पार्टी से वही नेता टीएमसी का रुख करेंगे, जो अपनी राजनीतिक पारी खेल चुके हैं मगर राजनीति में सक्रिय बने रहना चाहते हैं.

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