कोरोना काल में मातृ स्वास्थ्य से निपटने के लिए तकनीक को अपनाना जरूरी

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Published : Nov 11, 2020, 5:56 AM IST

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कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद से, दुनियाभर के अधिकांश देशों के स्वास्थ्य संसाधनों और सीमावर्ती कार्यकर्ताओं को मुख्य रूप से कोविड-19 की बीमारी से ग्रस्त रोगियों की देखभाल करने, घर-घर जाकर नागरिकों के परीक्षण करने और महामारी से जुड़े अन्य कार्यों से निपटने के लिए तैनात किया गया है. ऐसे परिदृश्य में, भारत जैसे कमजोर स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे वाले देशों को मातृ स्वास्थ्य जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी की समस्या का सामना करना पड़ा है.

हैदराबाद : यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में कमी के कारण कोविड-19 के प्रकोप की शुरुआत में मातृ और नवजात मृत्यु दर में तेज उछाल देखा गया है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) का अनुमान है कि इस संकट के कारण दुनियाभर में 70 लाख अनपेक्षित गर्भ धारण हो सकते हैं, जिनमें आपातकालीन देखभाल की अपर्याप्त पहुंच के कारण असुरक्षित गर्भपात और जन्म के दौरान हुई जटिलताओं से संभावित रूप से हजारों मौतें हो सकती हैं.

यूनिसेफ के अनुसार, मार्च और दिसंबर के बीच भारत में दो करोड़ शिशुओं के जन्म होने की उम्मीद है, जो दुनिया में सबसे अधिक है. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने चेतावनी दी है कि दुनियाभर में महामारी के दौरान गर्भवती माताओं और पैदा हुए शिशुओं को जर्जर स्वास्थ्य प्रणालियों और सेवाओं में व्यवधान का खतरा भी है.

इसका मतलब यह है कि आज जब भारत कोविड-19 महामारी का सामना कर रहा है, उसको साथ-साथ तत्काल समाधान की आवश्यकता है, जो मातृ स्वास्थ्य में लंबे समय से गर्भावस्था का समय पर निदान नहीं होना, मातृ एवं शिशु मृत्यु ऊंची दर आदि जैसी प्रचलित समस्याओं को संबोधित करने के लिए अपनाया जा सकता हो.

कोविड-19 महामारी के दौरान मातृ स्वास्थ्य के लिए संसाधनों की कमी को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि भारत गर्भवती महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों का समाधान करने के लिए देशभर में व्यापक पहुंच बनाने के लिए तकनीकी समाधानों को अपनाने पर विचार करे.

इस तरह के कुछ अभिनव समाधान देश के कुछ हिस्सों में पहले से ही उपयोग किए जा रहे हैं. उदाहरण के लिए, मूत्र-प्रसूति रोग विशेषज्ञ अपर्णा हेगड़े द्वारा विकसित 'आरोग्य सखी' नामक एक मोबाइल एप महाराष्ट्र के ग्रामीण हिस्सों में गर्भवती महिलाओं की मदद कर रहा है. 'आरोग्य सखी' की मदद से आशा कार्यकर्ताओं को निदान करने में मदद मिलती है और उन माताओं को प्रसव के पूर्व देखभाल प्रदान कर पाती हैं जो अस्पतालों तक नहीं पहुंच पाती हैं.

भारत में मातृ स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी के नवाचार का एक और उदाहरण है, सेविंग मदर्स एंड न्यूबॉर्न्स (आसमान), जो राजस्थान और मध्य प्रदेश (राज्यों में जहां मातृ और नवजात शिशु की मृत्यु दर सबसे अधिक है) में स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की मदद करने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जोकि सुविधा आधारित प्रौद्योगिकी नवाचारों और हस्तक्षेपों के माध्यम से माताओं और नवजात शिशुओं के जीवन को बचाने के लिए काम में लाया जा रहा है.

इसके अलावा, अगर किसी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिला प्रसव में चली जाती है और स्वास्थ्य सेवा केंद्र तक पहुंचने की यात्रा मुश्किल होती है, तो ऐसे में पारगमन के दौरान ई-पार्टोग्राफ के माध्यम से प्रसव की प्रगति की निगरानी करना मुमकिन हो सकता है और एक लाइव डैशबोर्ड स्वास्थ्य कार्यकर्ता और प्रबंधक वास्तविक समय के सभी मामलों की निगरानी करने में मदद कर सकता है; ज्यादा जोखिम वाले मामलों की पहचान कर और उनका प्रबंधन करना; उच्च स्तरीय देखभाल केंद्रों के मामलों को जरूरत पड़ने पर सौंपना; और यदि आवश्यक हो तो तत्काल निर्णय लेना. इन जैसे समाधान यदि पूरे देश में विशेष रूप से ग्रामीण भारत में उपलब्ध कराए जाते हैं, तो जीवन को बचाने में मदद मिलेगी.

वर्तमान परिदृश्य में, यह अत्यंत आवश्यक है कि इस बात पर जोर दिया जाए कि आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं द्वारा घरों का दौरा करने के साथ-साथ समर्पित टेली परामर्श और सही सलाह द्वारा महिलाओं के गर्भ में होने वाली जटिलताओं का समय रहते पता लगाया जा सके, ताकि उन्हें परामर्श और सहायता प्रदान की जाए.

महामारी के दौरान लगातार मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान क्षमतावर्धन में भी उपयोगी हो सकते हैं. यह समय-संवेदी प्रतिबद्धताओं और गैर-स्वास्थ्य कार्यों के कार्यभार को कम करने के लिए अतिरिक्त रूप से अपेक्षित स्वास्थ्य कार्यबल के लिए ई-प्रशिक्षण तंत्र और क्षमता निर्माण अभ्यास के माध्यम से किया जा सकता है. साथ ही यह भी आवश्यक है कि मातृ और नवजात देखभाल के कुशल प्रदाताओं के यथासंभव कोविड-19 में सहायता प्रदान करने में हतोत्साहित किया जाना चाहिए.

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तकनीकी समाधान का उपयोग स्वास्थ्य संकेतकों, उनका विस्तार, उपयोग, रोग की निगरानी, गुणवत्तापूर्ण सेवा का वितरण और निगरानी, उसकी सही सूचना, पर्याप्त धन सुनिश्चित करना आदि पर साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सूचना प्रणाली को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है.

अंत में, वर्तमान में जब भारत अपने स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे के साथ कोविड -19 का सामना कर रहा है, देशभर में नवीन तकनीकी समाधानों का उपयोग मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की सहज उपलब्धता सुनिश्चित करने और जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

(लेखिका- अमिता धनु)

लेखिका वर्तमान में परिवार नियोजन संघ (एफपीए इंडिया) के कार्यक्रम कार्यान्वयन (एएसजी-पीआई) में सहायक महासचिव - के रूप में कार्यक्रम प्रभाग का नेतृत्व कर रही हैं.

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