उज्जैन। महाकाल मंदिर समिति पूजन-अभिषेक के दौरान तय नियमों में ढील देने पर विचार कर रही है. देशभर से आने वाले कई श्रद्धालुओं को सोला पहनने की अनिवार्यता के कारण गर्भगृह में जाकर दर्शन लाभ नहीं हो पाते हैं. बाहर के श्रद्धालु जानकारी नहीं होने से अपने साथ सोला या महिला श्रद्धालु के पास साड़ी- ब्लाउज उपलब्ध नहीं होता है. महाकाल मंदिर समिति का मानना है कि सामान्य दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव कम होता है. इस दौरान सामान्य श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश दिया जाता है.
अभी पुरुष को सोला व महिलाओं को साड़ी अनिवार्य : पूजन और आरती के समय को छोड़कर 1500 की रसीद पर श्रद्धालु़ओं को बिना सोला पहने अन्य कपड़ों में भी प्रवेश दिया जाने पर विचार किया जा रहा है. मंदिर के गर्भगृह में जाने वाले श्रद्धालु जो अपने साथ सोला और साड़ी नही लाते हैं, वे श्रद्धालु महाकाल मंदिर के बाहर से ही किराए पर सोला और साड़ी लेते हैं. पर बाहर से लिए जाने वाले कपड़ों की स्वच्छता को लेकर भी संदेह बना रहता है. मंदिर के बाहर मिलने वाले सोला व साड़ी का उपयोग बिना धुलाई के श्रद्धालुओं को देते हैं. इससे श्रद्धालु की पवित्रता भी नही रह पाती है.
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इस प्रकार हो सकती है नई व्यवस्था : मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि उज्जैन महाकाल मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु देशभर से दर्शन के उज्जैन महाकाल मंदिर आते हैं. देशभर के श्रद्धालु गर्भगृह में जाना चाहते हैं, लेकिन सोला और साड़ी पहनने की अनिवार्यता होने से वे नहीं जा पाते. जबकि सामान्य दर्शनार्थियों को प्रवेश देने के दौरान यह नियम लागू नहीं होता. इसीलिए महाकाल मंदिर की और से विचार किया जा रहा है कि मंदिर में तीन समय की त्रिकाल पूजन और आरती के दौरान गर्भगृह में जाने वालों के लिए सोला पहनने का नियम अनिवार्य रहेगा. वहीं, अन्य समय में जाने वालों के लिए सोला पहनने की अनिवार्यता समाप्त की जाए. इस संबंध में सभी से राय भी ली जा रही है. (New arrangement possible in Mahakal temple)
(Sanctum sanctorum of Mahakaleshwar temple) ( Sola for and women wear sari)