सिलबट्टे पर मिक्सी भारी! अब घरों में इस्तेमाल हो रही है मिक्सी, जानें मेहनत से पीसी हुई चटनी के फायदे

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Published : Jan 21, 2023, 7:54 PM IST

mixer grinder is use compare to silbatta

आज के जमाने में लोगों के पास इतना काम है कि वे खाना बनाने में ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं, यही वजह है की लोग अब सिलबट्टे की जगह मिक्सी का इस्तेमाल करने लगे हैं. लोग अब मेहनत भी कम करना चाहते हैं, इसलिए भी वे मिक्सी को यूज करते हैं. आइये ईटीवी भारत पर जानते हैं सिलबट्टे के फायदा के बारे में...

सिलबट्टा की तुलना में मिक्सी का ज्यादा उपयोग

शहडोल। आज के दौर में खाना बनाते समय मसाले की पिसाई करनी हो, चटनी बनाना हो, या कभी किसी भी चीज को बारीकी से पीसना हो तो ज्यादातर लोग मिक्सी का ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन पहले के जमाने में सिलबट्टा का उपयोग किया जाता था. आज भी जिन घरों में बड़े बुजुर्ग हैं, पुराने लोग हैं वो सिलबट्टा ही पसंद करते हैं. भले ही आज के समय में मिक्सी ने सिलबट्टा को रिप्लेस कर दिया है, लेकिन सिलबट्टा की जो खूबियां हम आपको बताने जा रहे हैं उसे जानकर आप भी सिलबट्टा का इस्तेमाल करने लग जाएंगे.

सिलबट्टा पर मिक्सी भारी: शहडोल जिले के बाणगंगा मेला में इन दिनों अलग-अलग जगहों से सिलबट्टा व्यापारी आए हुए हैं. एक लाइन से लंबी दुकानें सिलबट्टा व्यापारियों की लगी हुई है. वे इस आस में हैं की आम दिनों में तो सिलबट्टा की डिमांड घटी है, लेकिन शायद मेला देखने आए लोग ही उनके सिलबट्टे को खरीद लें. आज के जमाने में लोगों के पास इतना समय नहीं रहता की वो सिलबट्टा पर मसाला पीसें, इसलिए वे मिक्सी का इस्तेमाल करते हैं. सिलबट्टा व्यापारियों के क्या हालात हैं इसे जानने के लिए ईटीवी भारत उनके पास पहुंचा.

सिलबट्टा व्यापारी परेशान: सतना से आए सिलबट्टा व्यापारी विनोद बताते हैं कि, वह पिछले 12 साल से लगातार शहडोल जिले के बाणगंगा मेला में सिलबट्टा बेचने आते हैं. वह जगह-जगह मेला जाते हैं और सिलबट्टा ही बेचते हैं. उनका मानना है कि आजकल के बदलते जमाने में मिक्सी ने सिलबट्टा को रिप्लेस कर दिया है. वो कहते हैं कि कुछ लोग ढूंढते ढूंढते सिलबट्टा खरीदने आते हैं, लेकिन पहले जिस तादात में सिलबट्टा बिकता था अब वह नहीं बिकता है. अब लोग मिक्सी का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. विनोद का तो यह भी मानना है कि, सिलबट्टे में चटनी बनाने में बहुत मेहनत लगती है और मिक्सी में आराम से चटनी पिस जाती है.

200 से 600 रुपए में सिलबट्टा: विनोद कहते हैं कि, वह पत्थर का ही काम करते हैं और पुस्तैनी कर रहे हैं. सिलबट्टा बनाते हैं हाथ चक्की बनाते हैं और भी जो पत्थरों से चीजें बनती है वह बनाते हैं, लेकिन प्रमुख रूप से सिलबट्टा बेचने का काम वे करते हैं. उनके पास जो सिलबट्टे हैं उसमें मिनिमम प्राइस 200 है, और मैक्सिमम प्राइस 600 रुपए है. उनके पास बहुत ज्यादा तो नहीं पर थोड़ी बहुत तादात में हाथ चक्की भी थी. इसके बारे में जब हमने पूछा तो उनका कहना था कि, कोई ग्राहक ढूंढते हुए इसे आ जाता है तो हाथ चक्की भी बिक जाती है इसलिए उसे भी रखा हुआ है.

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सिलबट्टा सेहत के लिए फायदेमंद: देखा जाए तो सिलबट्टे में पिसी हुई कोई भी चीज का स्वाद अलग ही होता है. जब सिलबट्टा में पीसकर सब्जियों में मसाले डाले जाते हैं तो सब्जी की रंगत कुछ और होती है. जब सिलबट्टे में चटनी बनाई जाती है तो उसका भी स्वाद बेहद अच्छा होता है. अक्सर आपने अपने घरों में देखा होगा, जो बड़े बुजुर्ग हैं वह सिलबट्टे से ही पिसी हुई चीजें खाना पसंद करते हैं. औषधीय तौर पर देखें, सेहत के तौर पर देखें तो सिलबट्टे में पिसी हुई चीजें हेल्थ के लिए ज्यादा फायदेमंद हैं. इसे जानने के लिए ईटीवी भारत आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव के पास पहुंचा. जहां उनका भी मानना है कि सिलबट्टा में पिसी हुई चीजें सेहत के लिए शानदार है, मिक्सी के मुकाबले में.

मिक्सी में ज्यादा तापमान होता है जेनरेट: आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि, सिलबट्टा और मिक्सी काम तो एक ही करते हैं और दोनों का रिजल्ट भी सेम ही मिलता है, लेकिन दोनों का पीसने का जो प्रोसीजर होता है उसके हिसाब से न्यूट्रीशनल वैल्यू डेफिसिट काफी ज्यादा होती है. मिक्सर ग्राइंडर में कोई भी चीज पीसने पर उसका टेंपरेचर काफी हाई हो जाता है, तापमान के बढ़ने के कारण जो भी उसमें पोषक तत्व या वोलेटाइल्स ऑयल होते हैं वो इवैपोरेट होकर बाहर चले जाते हैं. यह समस्या सिलबट्टे में नहीं होती है, क्योंकि सिलबट्टे में उतना तापमान जनरेट नहीं होता है जितना मिक्सी में होता है. मिक्सी और सिलबट्टे की तुलना की जाए तो सिलबट्टा ज्यादा उपयोगी है. मिक्सी को सेहत के हिसाब से देखा जाए तो फायदेमंद नहीं है.

चटनी में आ जाता है पत्थरों का अंश: जब सिलबट्टा में चटनियां मसाले पीसे जाते हैं तो उसमें पत्थर का भी कुछ अंश आ जाता है. इन पत्थर में मिनरल्स, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और ट्रेस मिनरल्स काफी होते हैं. वह भी आपके चटनी मसाले में शामिल हो जाते हैं. जब हम सिलबट्टे में कोई चीज पीसते हैं तो उसमें न्यूट्रीशन जो है प्रिजर्व रहता है. सिलबट्टे में पिसी हुई चटनी या मसाले की गुणवत्ता मिक्सी से तो बहुत ज्यादा अच्छी होती है. इम्युनिटी के हिसाब से बात करें तो सिलबट्टा काफी फायदेमंद होता है.

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