कोरोना काल में जरुरतमंद छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षिका ने उपलब्ध करवाएं नोट्स, राज्य सरकार ने किया पुरस्कृत

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Published : Sep 5, 2021, 6:23 PM IST

Shahdol's teacher got state level honor

Teacher's Day पर मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 27 शिक्षकों का सम्मान किया. शहडोल जिले के छतवई गांव की शिक्षिका डॉक्टर निधि शुक्ला को भी सरकार ने राज्य स्तपरीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा. निधि शुक्ला विज्ञान की शिक्षका हैं. उन्होंने बच्चों को बेहतर और सरल तरीके से पढ़ाने के लिए कई नवाचार किए हैं. साथ ही कोरोना काल के दौरान भी जरुरतमंद बच्चों को पढ़ाने के लिए नोट्स उपलब्ध करवाएं.

शहडोल। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher's Day) के दिन प्रदेश के कुछ चुनिंदा 27 शिक्षकों को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार (State Level Teacher Award) से नवाजा जाएगा. जिसमें शहडोल जिले के छतवई गांव में स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (Government Higher Secondary School) की शिक्षक डॉक्टर निधि शुक्ला को भी सम्मानित किया जाएगा.

निधि शुक्ला शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय छतवई में विज्ञान की शिक्षक हैं और विज्ञान के क्षेत्र में बच्चों को बेहतर और सरल तरीके से पढ़ाने के लिए कई नवाचार किए हैं. उनके गाइडेंस में उनकी स्कूल के कई छात्रों ने कई कार्यक्रमों में राज्य स्तरीय पुरस्कार तक जीते हैं. इतना ही नहीं कोरोनाकाल के दौरान डॉ. निधि शुक्ला ने बच्चों को पढ़ाने के लिए कई नवाचार किए, जिससे बच्चों के पढ़ाई में सहूलियत हुई.

शहडोल के शिक्षिका को मिला राज्य स्तरीय सम्मान

अब और बेहतर करने की बढ़ी जिम्मेदारी

राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित होने पर डॉक्टर निधि शुक्ला काफी उत्साहित हैं. अपनी सफलता को लेकर उनका कहना है कि बच्चों के विकास के लिए उन्होंने सतत प्रयास किया. मुझे सम्मान से नवाजा जा रहा है तो मेरा प्रयास और बढ़ जाएगा, क्योंकि मेरा भी उत्साह बढ़ गया है. विज्ञान के क्षेत्र में बच्चों के साथ मैं बहुत समय से काम कर रही हूं. मैंने इसी साल नवाचार को लेकर फॉर्म सबमिट किया था. पहले ही चांस में मुझे ये अवार्ड मिला.

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विज्ञान ब्लैक बोर्ड तक नहीं रहना चाहिए- निधि शुक्ला

डॉ. निधि शुक्ला कहती हैं कि विज्ञान के क्षेत्र में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा प्रयास रहा. जबसे शिक्षक बनी तभी से मैं यही सोचती थी कि विज्ञान केवल ब्लैक बोर्ड तक सीमित न रहे, और बच्चों का सतत और अच्छा विकास हो. खासकर ये आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, यहां पर अंधविस्वास ज्यादा होता है. बच्चे विद्यालय तक नहीं आ पाते. आधी गतिविधियां भी संचालित नहीं हो पाती थी.

इसलिए मैंने विज्ञान को रुचिकर बनाने की कोशिश की, सरल बनाने का प्रयास किया. इसके लिए मैने एनसीएससी से बच्चों को जोड़ा, राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस से जोड़ा, राष्ट्रीय पश्चिम विज्ञान मेले में लेकर गई, स्कूल के बच्चे राज्यस्तरीय तक गए और मॉडल गैलेरी भी उन्होंने लगाई. इसके लिए भी उन्हें राज्यस्तरीय का अवार्ड हासिल हुआ. इसके साथ-साथ मैंने राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस और इंस्पायर अवार्ड में भी मेरे बच्चे स्टेट लेवल तक गए.

कौन कौन से अचीवमेन्ट है शिक्षिका के नाम

डॉ. निधि शुक्ला कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों को साइंस सब्जेक्ट पढ़ाती हैं. निधि शुक्ला बताती हैं कि इसके पहले वो शैक्षिक संगोष्ठी में संभाग स्तर से चयन होकर स्टेट लेवल तक गई थी. इसके साथ ही राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में एज ए गाइड टीचर मुझे स्टेट लेवल जाने का मौका मिला. इसके साथ ही जो बच्चों के नवाचार गतिविधियां होती हैं वो भी मैं लगातार संचालित कराती रही. पर्यटन विभाग का जो कार्यक्रम होता है उसमें भी मुझे स्टेट लेवल का प्रमाणपत्र मिला है.

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कोरोना काल में किए कई काम

कोरोना काल में डॉक्टर निधि शुक्ला ने बच्चों की पढ़ाई के लिए कई नवाचार किए. डॉ. निधि शुक्ला एक गांव के स्कूल में पढ़ाती थी. वहां ज्यादातर आदिवासी बाहुल्य बच्चे पढ़ने आते थे. ऐसे में उनके लिए चुनौती थी कि ऑनलाइन क्लासेस भी हर बच्चा नहीं कर सकता था. ऐसे में उनके सब्जेक्ट में बच्चे पीछे ना हो जाए, उनका मनोबल ना टूटे इसलिए वह खुद से नोट्स बनाकर बच्चों को डिस्ट्रीब्यूट करती थी.

डॉक्टर निधि कहती हैं कि कोरोनाकल में सारा जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था. बच्चे स्कूल से वंचित हो चुके थे. मैं चाहती थी कि मेरे बच्चों का मनोबल इस दौरान बिल्कुल न गिरे. जब मैं विद्यालय में रहती हूं विद्यालय में बच्चों को गतिविधियों से जोड़े रखती हूं. मनोरंजक प्लेस बनाकर रखती हूं जिसमें वो कोई गतिविधियां करें.

कोरोना काल में भी नहीं रुका प्रयास

डॉक्टर निधि शुक्ला ने बताया कि कोविड जब पीक चल रहा था मैंने दो साल लगातार ऑनलाइन गतिविधियां संचालित की. इसके माध्यम से बहुत सारे वैज्ञानिकों को भी मैंने साथ में जोड़ा और वर्चुअल क्लास के माध्यम से अच्छा संदेश देने का प्रयास किया. साथ में कुछ एक्टिविटीज भी कराई जिसमें बच्चों को साथ में जोड़कर के उन्हें सर्टिफिकेट देकर के उनका उत्साह मनोबल बनाए रखने का समूर्ण प्रयास किया.

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यूट्यूब और ऐप के माध्यम से भी किया मार्गदर्शन

डॉ. निधि शुक्ला बताती हैं कि कोरोना काल के दौरान बहुत कुछ बदल गया था. ज्यादातर बच्चे विज्ञान को समझ सके, इसे पढ़ सके इसलिए उन्होंने यूट्यूब पर भी अपने पढ़ाई से रिलेटेड टॉपिक्स अपलोड करना शुरू किया. जिससे बच्चों को पढ़ने में सहूलियत होने लगी. साथ ही उन्होंने अपने नाम से ही एक ऐप भी बनाया जिसके माध्यम से भी उन्होंने कुछ नवाचार करने की कोशिश की।

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