Tulsi Vivah Shubh Muhurt क्यों है खास तुलसी विवाह, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के साथ अनुष्ठान का तरीका

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Published : Nov 3, 2022, 6:47 PM IST

Updated : Nov 3, 2022, 7:28 PM IST

tulsi vivah 2022

देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का विधान है. देवउठनी एकादशी से शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन तुलसी माता का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम के साथ कराया जाता है. इस साल तुलसी विवाह 4 नवंबर 2022 को है. इस दिन क्या नहीं करना चाहिए इन सब के बारे में ईटीवी भारत के जरिए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया है. (tulsi vivah 2022) (tulsi vivah shubh muhurat) (dev uthani ekadashi puja vidhi)

शहडोल। देवउठनी एकादशी 4 नवंबर शुक्रवार के दिन है. यह दिन बहुत विशेष माना जाता है. देवउठनी एकादशी क्यों खास है, तुलसी विवाह का क्या महत्व है, इसके क्या फायदे हैं, साथ ही घर में अगर धनवर्षा चाहते हैं तो किन बातों का ख्याल रखें, तुलसी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त कब है. इन सारे सवालों का जवाब दे रहे हैं ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री. (Tulsi Vivah Shubh Muhurt) (tulsi vivah 2022)

4 नवंबर को मनाया जा रहा देवउठनी एकादशी: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक देवउठनी एकादशी कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है, जो इस बार 4 नवंबर को मनाई जा रही है. ज्योतिषाचार्य की मानें तो देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु शयन से उठते हैं, इसलिए भी ये तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन से एक बार फिर से सारे शुभ कार्य मांगलिक कार्य की भी शुरुआत हो जाती है. (dev uthani ekadashi puja vidhi) (tulsi vivah shubh muhurat)

देवउठनी एकादशी 2022

भगवान विष्णु का होता है जागरण: ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को शयन यानी क्षीरसागर में चले जाते हैं. जैसे ही वह वहां जाते हैं तो संपूर्ण अधिकार भगवान शिव के आधिपत्य में आ जाता है. मालिक शिवजी हो जाते हैं, और जितने भी शुभ कार्य हैं विष्णु जी के शयन में चले जाने से बंद हो जाते हैं. ये पूरा कार्य चार महीने चलता है, इसलिए इसे चतुर्मास भी कहते हैं. चतुर मास में शिव जी की विशेष पूजा की जाती है, जो बहुत फलदाई है. इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से घर में शांति और लाभ मिलता है. देवउठनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का जागरण होता है, और जैसे ही विष्णु जी जागते हैं उसी दिन से शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. (dev prabodhini ekadashi 2022)

देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व: देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह होता है. शालिग्राम भगवान और तुलसी रखकर उनका विवाह किया जाता है. ऊपर गन्ने का छाव बनाया जाता है, और जैसे ही तुलसी विवाह हो जाता है, वहीं से शुभ कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं. देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व यह होता है कि इस तिथि के मालिक विष्णु जी होते हैं, और विष्णु जी के जागने से जो लोग व्रत करते हैं पूजन करते हैं उस दिन तुलसी विवाह करते हैं उस घर में सब मंगल रहता है, धन का आगमन होता है, सुख शांति होती है, और हमेशा घर जागृत रहता है. (tulsi vivah puja vidhi)

देवउठनी एकादशी पर इन बातों का रखें ख्याल: देवउठनी एकादशी के दिन घर की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर में रसोई साफ रखें, क्योंकि उस दिन लक्ष्मी जी का भी आगमन होता है. अगर घर में साफ सफाई घर में रौनक नहीं है तो लक्ष्मी जी एक साल के लिए रूठ जाती हैं. इससे घर की बरक्कत बंद हो जाती है, घर में अशांति रहती है. इस दिन एक थाल में पकवान बनाकर फल फूल मीठा रखकर लक्ष्मी जी के लिए भोजन वहीं रसोई के पास रख दें. वहां एक ग्लास जल भी रख दें. वहीं दीपक जला दें, जिससे उस घर में उनका जागृत हो पदार्पण हो. वहीं प्रसाद पाएं घर में वह निवास करें तो वहीं पर उनका निवास हो जाता है. 1 वर्ष तक धन की वर्षा होती रहती है यह एकादशी का विशेष महत्व है.

Tulsi Vivah 2022: जानिए कब है तुलसी विवाह, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

तुलसी विवाह की विधि: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, तुलसी विवाह के विधि की बात करें तो शाम के समय सबसे पहले एक छोटी चौकी रखें, फिर शालिग्राम भगवान को स्नान करा कर साज सज्जा करा दें. तुलसी का एक छोटा सा पौधा भी वहीं पर रखें, उसमें साड़ी रख दें. एक परात रख दें, वहां पर चावल का लावा रख दें, बतासा रखें, गन्ना, सिंघाड़ा, सीताफल और मिष्ठान ये सब वहां पर रख कर विधिवत गणेश जी की पहले पूजन करें. तुलसी और शालिग्राम जी का पैर धोऐं. हल्दी का टीका लगाएं. इसके बाद जैसे विवाह में होता है उसी तरह से पैर धोकर 7 बार वहां पर लावा का छिड़काव करें और फिर वही छिड़का हुआ लावा पूरे घर में छिड़कें, जिससे धन की वर्षा हो. इस तरह से पूजन करके सुबह सुबह उठकर गन्ना जिसकी छावनी बनाई जाती है उसे कुमारी लड़कियों को बांट दें. जो सिंघाड़ा और अन्य पदार्थ है वह अपने पड़ोसी और पहचान वालों को बांट दें, जिससे जो प्रसाद लेते हैं उनके घर में भी सुख शांति होती है, लाभ मिलता है और इस तरह से यहीं से शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. (dev uthani ekadashi 2022)

तुलसी विवाह के फायदे: शास्त्रों में लिखा है कि जो लोग तुलसी विवाह करते हैं उनका घर पवित्र हो जाता है. जिस घर में तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह नहीं हुआ है, उस घर में कर देने से वो घर मांगलिक हो जाता है. वो घर भी सुशोभित हो जाता है. देवता लोग प्रसन्न होते हैं, दूसरा पितर लोग भी प्रसन्न होते हैं, तीसरा लक्ष्मी विष्णु और गणेश जी भी प्रसन्न होते हैं, उस घर में उनकी दृष्टि पड़ती है. उस घर में हमेशा धन की कमी नहीं होती है, मांगलिक कार्यक्रम होते रहते हैं.

तुलसी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त: तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त सायं कालीन 7:00 बजे से लेकर 9:00 बजे के बीच में है. 7:00 बजे से विवाह प्रारंभ करें और पूजन करके 9:00 बजे तक विसर्जित करें और जो मंडप बना है, सामग्री है, उसे दूसरे दिन सुबह समेट करके टोकरी में रखें और किसी पवित्र नदी में या तालाब में जाकर विसर्जित करें. वापस आकर वहां पर पोछा लगाएं इसके बाद वहीं से कार्यक्रम की समाप्ति होती है. (tulsi vivah 2022) (tulsi vivah shubh muhurat) (tulsi vivah puja vidhi)

Last Updated :Nov 3, 2022, 7:28 PM IST
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