MP Election Result: सागर में महाभारत से कम नहीं था चुनाव, चक्रव्यूह को भेदने में सफल रहे भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन

MP Election Result: सागर में महाभारत से कम नहीं था चुनाव, चक्रव्यूह को भेदने में सफल रहे भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए रविवार को हुई पहले चरण की मतगणना में भाजपा ने एकतरफा अंदाज में बाजी मारी है. रविवार को घोषित परिणामों में से पार्टी ने कई जगह जीत हासिल की. सागर में भाजपा के लिए यह चुनाव किसी महाभारत से कम नहींं था. (MP Nagar Nikay Chunav 2022 Result) (MP Municipal Election 2022 Results) (mp election commission) (mp election result) (mp election sagar)
सागर। महापौर चुनाव के लिए कमलनाथ ने ऐसा दांव खेला था कि सागर के भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन के लिए धर्म संकट की स्थिति बन गई थी. कमलनाथ ने शैलेंद्र जैन की बहू निधि जैन को कांग्रेस से उम्मीदवार बना दिया था. कमलनाथ ने उनकी उम्मीदवारी का ऐलान पूरे प्रदेश में सबसे पहले कर दिया था. ऐसी स्थिति में शैलेंद्र जैन के परिवार में ही फूट के हालात बन गए थे. शैलेंद्र जैन के सामने एक तरफ पार्टी थी और एक तरफ परिवार था. दूसरी तरफ राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा था. अगर बहू चुनाव जीतती तो विधायक पर भितरघात के आरोप लगते. ऐसे में विधायक शैलेंद्र जैन ने परिवार की जगह पार्टी को चुना और पार्टी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे और भाजपा को जीत दिलाने के शिल्पकार बने.
विधायक के परिवार में बढ़ी कड़वाहट: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जैसे ही सागर नगर निगम के महापौर पद के प्रत्याशी के तौर पर पूर्व कांग्रेस विधायक सुनील जैन की पत्नी निधि जैन के लिए उम्मीदवार बनाया, तो सागर की राजनीति को जानने वाले लोग ज्यादा हैरान नहीं थे. क्योंकि सुनील जैन लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं और कांग्रेस के टिकट पर सागर की देवरी विधानसभा से विधायक भी रह चुके हैं, लेकिन सुनील जैन के परिवार के लिए ये विकट परिस्थिति बन गई थी. सुनील जैन के बड़े भाई शैलेंद्र जैन सागर से ही भाजपा के टिकट पर विधायक हैं. लगातार 3 बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. कांग्रेस का टिकट घोषित होते ही भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन की भूमिका पर सवाल खड़े होने लगे. राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं होने लगी कि, सामाजिक एकता को ध्यान रखकर शैलेंद्र जैन अपने भाई को मदद करेंगे, लेकिन दूसरी तरफ शैलेंद्र जैन के भविष्य पर भी सवाल खड़े हो रहे थे. अगर ये चुनाव कांग्रेस जीतती, तो विधायक शैलेंद्र जैन के लिए भाजपा में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता था. कांग्रेस का टिकट घोषित होते ही शैलेंद्र जैन ने साफ कर दिया था कि, ये स्थिति उन्हें धर्म युद्ध जैसी है और वह अपनी पार्टी के साथ खड़े रहेंगे.
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देवरानी के खिलाफ जेठानी,भाई के खिलाफ भाई चुनाव मैदान में: कांग्रेस के टिकट के बाद जो हालात बने और बहू के मैदान में होने के बाद भी विधायक शैलेंद्र जैन पार्टी के लिए खड़े थे. चुनाव प्रचार में भी अजीबोगरीब नजारे देखने को मिले. विधायक के तौर पर शैलेंद्र जैन अपनी बहू को हराने के लिए भाजपा को वोट मांगते नजर आए. दूसरी तरफ एक परिवार में बहनों की तरह रहने वाली जेठानी- देवरानी भी चुनावी मैदान में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करती नजर आई. बारिश में शहर की सड़कों में पानी भरा और महापौर प्रत्याशी ने सवाल खड़ा किया,तो विधायक की पत्नी अपनी देवरानी से जमकर नाराज हो गईं. ऐसे कई नजारे सागर के महापौर चुनाव में देखने को मिले. जब एक ही परिवार के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आए.
पार्षद प्रत्याशियों और महापौर प्रत्याशी के लिए संभाला मोर्चा: विधायक शैलेंद्र जैन ने पार्टी के टिकट घोषित होने के पहले ही भाजपा के पक्ष में वार्डवार प्रचार शुरू कर दिया था. प्रत्याशियों की घोषणा के बाद उन्होंने लगातार पार्षद प्रत्याशी और महापौर प्रत्याशी के लिए जनसंपर्क किया. शहर के तमाम वार्डों में घूम-घूम कर वोट मांगे. तो दूसरी तरफ अपने 15 साल के कार्यकाल में भाजपा सरकार की योजनाओं का लाभ लेने वाले हितग्राहियों को साधा. इसका नतीजा ये हुआ कि भाजपा के पार्षद भी भारी संख्या में जीत कर आए और महापौर चुनाव में भी भाजपा की जीत हुई.
