बुंदेलखंड का कलंक !  हर साल बढ़ती जा रही है 'बालिका वधुओं' की संख्या, बेटियों की जिम्मेदारी घरवालों पर पड़ रही भारी

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Published : Sep 19, 2021, 10:05 PM IST

Updated : Sep 19, 2021, 10:30 PM IST

child marriage in bundelkhand

बुंदेलखंड (Bundelkhand) में नाबालिग लड़कियों की शादी (Marriage of Minors) का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. बाल विवाह (Child Marriage) के आंकड़े हर साल बढ़ते जा रहे हैं. पिछले एक साल में 200 बाल विवाह के आंकड़े बढ़े हैं. वर्ष 2020 में बुंदेलखंड में 110 बाल विवाह हुए थे. लेकिन 2021 में सितंबर माह तक यह आंकड़ा 309 हो गया है. पुलिस की स्पेशल सेल प्रभारी (Special Cell In-charge) का कहना है कि लगातार बढ़ रहे बाल विवाह के मामलों के पीछे बेटियों की असुरक्षा है.

सागर। नाबालिग बेटियों की शादी (Marriage of Minor Daughters) करने के खिलाफ सरकार ने कानून भले लागू कर दिया हो, लेकिन बाल विवाह (Child Marriage) का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. बुंदेलखंड (Bundelkhand) में जागरूकता के तमाम प्रयासों और कानून की सख्ती के बाद भी इस साल सागर संभागीय मुख्यालय (Sagar Divisional Headquarters) पर 300 से ज्यादा बाल विवाह पुलिस की स्पेशल सेल ने रोके हैं. अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब पुलिस को ही 300 से ज्यादा बाल विवाह की सूचना मिल गई है, तो कितने बाल विवाह हुए होंगे.

बुंदेलखंड में बाल विवाह

लगातार बढ़ रहा बाल विवाह का सिलसिला

बुंदेलखंड में पिछले 4 साल के आंकड़ों पर नजर डालें, तो यह सिलसिला कम नहीं हो रहा है, बल्कि लगातार बढ़ रहा है. पिछले 4 साल के आंकड़ों पर गौर करें, तो बाल विवाह की संख्या दोगुनी होती जा रही है. सागर संभागीय मुख्यालय में बाल विवाह रोकने के लिए स्पेशल सेल का गठन किया है. स्पेशल सेल द्वारा पिछले 4 साल में रोके गए बाल विवाह के आंकड़ों पर गौर करें, तो साफ जाहिर होता है कि ये सिलसिला थम नहीं रहा है.

चार साल में भी कम नहीं हुए बाल विवाह

2018 - 10 बाल विवाह रोके

2019 - 44 बाल विवाह रोके

2020 - 110 बाल विवाह रोके

2021 - 309 बाल विवाह रोके

आंकड़ों से साफ है कि बाल विवाह सख्त कानून के बाद भी रुक नहीं रहे हैं, लगातार बढ़ रहे हैं. एक तर्क ये भी माना जा सकता है कि पुलिस सक्रियता से कार्रवाई कर रही है, इसलिए ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन सवाल खड़ा ये भी होता है कि सख्त कानून और जागरूकता के तमाम प्रयासों के बाद बाल विवाह होने का सिलसिला क्यों नहीं थम रहा है?

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बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006

सरकार ने अलग-अलग समय पर बाल विवाह रोकने के लिए कानून बनाए थे. सबसे पहले ब्रिटिश काल में 1929 में यह कानून पारित किया गया था. इसके बाद 1949 और 1978 कानून में संशोधन कर कानून को कठोर बनाया गया. हाल ही में 2006 में इस कानून में संशोधन करके कानून को सख्त बनाया गया. इस कानून के तहत बालिकाओं की शादी की उम्र 18 वर्ष और बालकों की शादी की उम्र 21 वर्ष निर्धारित की गई है. यह कानून देश भर में 2007 से लागू किया गया.

कानून में कठोर सजा का प्रावधान

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम- 2006 के अनुसार बाल विवाह के मुख्य आरोपी बालक -बालिका के परिजनों को जहां 2 साल तक की सजा हो सकती है, वहीं एक लाख रूपए तक जुर्माना लग सकता हैं. इसके अलावा बाल विवाह में शामिल होने वाले पंडित से लेकर नाई, रिश्तेदार और तमाम लोगों को भी सजा और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. इन लोगों को भी बालक बालिका के माता-पिता की तरह सजा और जुर्माना लग सकता है.

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सख्त कानून, जागरूकता के बाद भी बढ़ रहे मामले

सागर पुलिस की स्पेशल सेल प्रभारी ज्योति तिवारी बताती हैं कि कानून की सख्ती और जागरूकता के बाद भी लोग चोरी छिपे बाल विवाह करने और कराने से बाज नहीं आ रहे हैं. हमें जब भी किसी बाल विवाह की सूचना मिलती है और हम मौके पर पहुंच कर कार्रवाई करते हैं, तो हम ये जानने की भी कोशिश करते हैं कि आखिर क्या मजबूरी है.

जिसके कारण माता-पिता छोटी उम्र में अपनी बेटियों की शादी कर रहे हैं? ज्यादातर मामलों में बालिकाओं के पिता गरीबी का कारण बताते हैं. वही जवान होती बेटियों की असुरक्षा की भावना भी जल्द शादी करने के लिए अभिभावकों को प्रेरित करती है. कई मामलों में नाबालिक बेटियां भी प्रेम प्रसंग के चक्कर में पड़कर जल्द शादी करना चाहती हैं.

Last Updated :Sep 19, 2021, 10:30 PM IST
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