भारत की आजादी की गवाह रही 'हथिनी वत्सला' बीमार, 100 साल से ज्यादा उम्र, दिखाई देना बंद, खाना भी छूटा

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Published : Jun 30, 2021, 8:17 PM IST

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पन्ना टाइगर रिजर्व में 2 दशक तक सेवाएं दे चुकी उम्रदराज हथिनी वत्सला बीमार है. 100 साल की उम्र पार चुकी वत्सला को केरल के नीलांबुर फॉरेस्ट से 50 साल की उम्र में साल 1971 में होशंगाबाद लाया गया था.

पन्ना। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला बीमार है. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक वत्सला की उम्र 100 साल से भी ज्यादा है. विभाग वत्सला को दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की कोशिश भी कर चुका है. वत्सला को केरल के जंगलों से 1971 में होशंगाबाद लाया गया था. जब वत्सला को यहां लाया गया तब उसकी उम्र 50 साल थी.

'हथिनी वत्सला' बीमार

100 साल से ज्यादा उम्र, दिखाई देना बंद हुआ

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हाथियों की औसत उम्र 65 से 70 साल होती है. होशंगाबाद आने से पहले वत्सला केरल के नीलांबुर फॉरेस्ट में पली-बढ़ी है. अपने जीवन के 50 साल भी उसने यहीं बिताए उसके बाद साल 1971 में उसे होशंगाबाद लाया गया था. 2021 में वह अपनी 100 साल की उम्र पूरी कर चुकी है. अब बूढ़ी होने के चलते वह बीमार रहने लगी है. उसे दिखाई देना बंद हो चुका है और वह खाना भी बहुत कम खा रही है.

1993 में पन्ना लाई गई वत्सला

हथिनी वत्सला को 1993 में होशंगाबाद के बोरी अभ्यारण्य से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान लाया गया, तभी से वह यहां की शोभा बढ़ा रही है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगभग 2 दशक सेवाएं दे चुकी वत्सला को अब ज्यादातर उसके केज में ही रखा जाता है. वह अब महावत की आवाज के इशारे पर ही चलना फिरना करती है. टाइगर रिजर्व में दो लोग हथिनी वत्सला की सेहत पर नजर रखे हुए हैं.

नहीं मिला रिकॉर्ड नहीं तो गिनीज बुक में दर्ज होता वत्सला का नाम

पन्ना टाइगर रिज़र्व प्रबंधन हथिनी वत्सला का नाम विश्व की सबसे उम्रदराज हथनी के रूप में गिनीज बुक मे दर्ज कराने को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन वत्सला की उम्र से संबंधित पुराने दस्तावेज नही मिलने की वजह से अभी तक उसका नाम गिनीज बुक में दर्ज नहीं हो सका है.

आजादी की गवाह रही है वत्सला

वत्सला की उम्र से संबंधित दस्तावेज भले ही विभाग को नहीं मिल रहे हों, लेकिन 100 साल की उम्र पूरी कर चुकी वत्सला भारत को आजादी मिलने की गवाह भी रही है. केरल के नीलांबुर फॉरेस्ट में 50 साल बिताने वाली वत्सला का जन्म 1921 में हुआ था. जिसके बाद 1971 में उसे होशंगाबाद और 1993 में पन्ना टाइगर रिजर्व में लाया गया है.

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