नीमच। लखमी गांव में रविवार को एक महिला ने अपने 6 माह के बच्चे का गला घोंट कर उसे मारने की कोशिश की. इतने से भी मन नहीं भरा तो वह बच्चे को गर्दन से पकड़ कर गांव के मंदिर तक लाई और मंदिर की चौखट पर लाकर जोर से पटक दिया जिससे बच्चा बेसुध हो गया. महिला अपने बच्चे को मरा समझकर कुछ दूर जाकर बैठ गई. जब सुबह गांव वालों ने बच्चे को देखा, तो मौके पर भीड़ लग गई. भीड़ को देख गांव की आशा कार्यकर्ता मौके पर पहुंची और करीब 15 मिनट से ओंधे मुह पड़े बच्चे को सीधा कर जांच की तो बच्चे की सांसें चल रही थी.
आशा कार्यकर्ता ने बचाई जान: जिला चिकित्सालय में मीडिया से बात करते हुए आशा कार्यकर्ता मंजूला माली ने बताया कि लोग समझ रहे थे कि गला दबाने और पटकने से बच्चे की मौत हो गई है, लेकिन मेरा मन नहीं माना. मैंने बच्चे को सीधा कर देखा, तो उसकी सांसें चल रही थी. इस पर तत्काल डायल 100 को सूचना दी और बच्चे को जिला चिकित्सालय भर्ती कराया. आशा कार्यकर्ता ने बताया कि चिकित्सालय ले जाने के लिए जब हमने उठाया, तो इस दौरान बच्चे की मां ने बच्चे को छीनने का प्रयास किया, हालांकि बाद में बच्चे की मां भी एंबुलेंस में सवार हो गई. अस्पताल में चिकित्सकों ने बच्चे का परीक्षण करने के साथ ही उसे भर्ती कर लिया. बच्चा अभी ऑक्सीजन सपोर्ट पर है और उसकी हालत स्थिर बनी हुई है.
Shivpuri: बेटे की चाह में हुई 5 बेटियां, पिता ने की आत्महत्या
मामले में अब तक खुलासा नहीं: मां ने बेटे के साथ ऐसा क्यों किया इसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है, लोगों के मुताबिक मां ने बालक को चाकू दिखाकर डराया था उसके बाद उसका गला दबाया. ग्रामीणों का कहना है कि महिला अपने पति और चार बच्चों के साथ गांव में ही रहती है. मामले की सूचना मिलने पर पुलिस टीम भी अस्पताल पहुंची और पीड़ित बच्चे के पिता से पूछताछ की साथ ही महिला से भी पूछताछ की जा रही है. फिलहाल महिला के अन्य बच्चों को चाईल्ड लाइन को सौंप दिया गया है.