MP Neemuch लहसुन के बाद अब मटर व टमाटर के भाव जमीन पर, किसानों की लागत भी नहीं निकल रही

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Published : Jan 10, 2023, 4:12 PM IST

prices of peas and tomatoes on ground

किसानों के साथ बड़ी समस्या है. पहले लहसुन ने जमकर घाटा दिया. अब टमाटर व मटर का बंपर उत्पादन किसानों के लिए मुसीबत बन गया है. नीमच जिले में अच्छा मुनाफा कमाने के चक्कर में टमाटर व मटर लगाकर किसान अब सिर पीट रहे हैं. मंडी में इनकी बंपर आवक हो रही है. इस कारण भाव बेहद कम हो गए हैं. किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है.

नीमच। टमाटर व मटर की बंपर आवक से किसान को रेट बहुत कम मिल रहा है. किसानों का कहना है कि टमाटर और मटर की तुड़ाई पर प्रति मजदूर 300 रुपये प्रतिदिन खर्च होते हैं. टमाटर पर करीब 14 रुपये लागत आती है, जबकि यह थोक में 6 से 8 रुपये किलो में बिक रहा है. वहीं मटर पर भी 12 रुपये किलो की लागत आती है. जबकि थोक में यह 8-10 रुपये किलो बिक रहा है. इस लागत में किसान का खेत से मंडी तक का किराया भाड़ा और हम्माली शामिल नहीं है. ऐसी स्थिति में किसानों को मटर और टमाटर की खेती में लाभ की बजाए घाटा हो रहा है.

नाले में बहा चुके लहसुन : गौरतलब है कि कुछ दिन पहले लहसुन का लागत मूल्य नहीं मिल पाने के कारण ग्राम चौकान खेड़ा के किसान दिनेश अहीर द्वारा 40 बोरी लहसुन नाले में फेंकने का वीडियो वायरल हो चुका है. लहसुन और प्याज की उपज में लागत नहीं मिलने के कारण सालभर से जिले के किसान परेशान हैं. नीमच जिले के किसान करीब 79 प्रकार की फसलों की खेती करते हैं. जिले में 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में सिंचित फसलों की पैदावार होती है. यहां सोयाबीन, गेहूं, लहसुन, प्याज, मैथी, रायड़ा, मसूर,धनिया, अलसी व चना की खेती का रकबा अधिक है. पहले जिले में टमाटर और मटर की पैदावार कम होती थी. इंदौर, जबलपुर, भीलवाड़ा की मंडियों से यहां सब्जियां मंगाई जाती थीं.

अब बढ़ी पैदावार तो रेट बहुत कम : अब किसानों ने टमाटर और मटर की खेती को बढ़ावा दिया है. पिछले पांच वर्षों में टमाटर और मटर का रकबा और पैदावार इतनी अधिक बढ़ी है कि यहां के किसान इनकी उपज को अन्य मंडियों तक भेजने लगे हैं. अब हालात बदल गए हैं. किसानों ने शुरुआत के वर्षों में तो अच्छा लाभ कमाया, लेकिन अब नहीं. किसानों के लिए लागत निकालना मुश्किल हो गया है. नीमच जिले के किसान बड़े पैमाने पर मटर की खेती करते हैं. इसके अलावा समीपी राजस्थान जिले के छोटी सादड़ी, निम्बाहेड़ा क्षेत्र के किसान भी यहां मंडी में सब्जी लेकर आते हैं. किसान दिनेशचंद्र ने बताया कि इस साल किसानों को मटर की फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है. इसकी वजह यह है कि इस बार अधिक उत्पादन हुआ है.

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लहसुन के बाद अब मटर व टमाटर के भाव जमीन पर

मटर का निर्यात बंद : मटर उत्पादन अधिक होने से निर्यात भी बंद हो गया है. इस कारण नीमच के मटर की चमक फीकी पड़ गई है. किसानों की मानें तो आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर में होने वाली बोवनी इस वर्ष बरसात की वजह से लेट हुई. उसके बाद फिर पानी गिरने से फसल भी खराब हुई. बची जो फसल थी तो उसके दाम भी कम मिल रहे हैं. नीमच जिले में पहले व दूसरे राउंड का मटर मानसूनी बारिश की भेंट चढ़ गया. फल्लियां सड़ऩे से उत्पादन कम रहा. अब तीसरे राउंड के मटर की ज्यादा आवक होने से मांग घट गई है.

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मटर-टमाटर की खेती कर पछता रहे किसान : किसान सत्यानारायण पाटीदार, सुरेश कुमावत, देवेंद्र माली ने बताया कि नीमच मंडी में मटर 12 से 15 रुपये किलो थोक में बिक रहा है. शहर से बाहर अन्य मंडियों में जाने पर 20 रुपए किलो मटर के दाम मिल रहे हैं, जबकि किराया 12 रुपए किलो पड़ रहा है. इससे घाटा हो रहा है. यही कारण है कि मटर-टमाटर उत्पादक किसान इस बार खेती कर पछता रहे हैं. किसान कारू लाल पाटीदार, दशरथ पाटीदार, तुलसीराम मालवीय ने बताया कि सरकार को उन्हे उपज का लाभकारी मूल्य दिलाना चाहिए. उन्हें सरकार सम्मान निधि के सालाना 10 हजार रुपये दे रही है, जबकि प्रति एकड़ 10 हजार से अधिक घाटा उन्हे भोगना पड़ रहा है.

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