अष्टमुख में विराजे हैं यहां पशुपतिनाथ, चार मुखों में छिपी है अद्भुत कहानी

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Published : Jul 26, 2021, 12:25 PM IST

Updated : Jul 26, 2021, 1:06 PM IST

ashtmukhi pashupatinath

मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ की विशालकाय अष्टमुखी मूर्ति हमेशा ही भक्तों के लिए कौतूहल का विषय रही है. श्रावण मास में मेला लगता है यहां. परम्परा अनुसार लोग जुटते हैं. कोविड के कारण श्रद्धालुओं का गर्भ गृह में प्रवेश वर्जित है. भोले बाबा के इस अद्वितीय रूप में एक भेद छुपा है. आइए जानते हैं.

मंदसौर। सावन के पहले सोमवार को मंदसौर के अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ के दर्शनाभिलाषी सुबह ही पहुंचने लगे. परम्परानुसार भगवान का रुद्राभिषेक किया गया. बारिश की फुहारें भी आस्थावानों की आस्था पर विराम नहीं लगा पाईं. लगातार हो रही बारिश के चलते शिवना नदी
भी अब उफान पर आ गई. भक्तों को उम्मीद है कि नदी का जल भगवान के गर्भ गृह में पहुंच कर उनके पद पखारेगा.

अष्टमुखी पशुपतिनाथ

सावन का पहला सोमवार: विधि-विधान से करें भगवान शिव की पूजा तो पूरी होगी मनोकामना
कोरोना संक्रमण को ध्यान मे रखते हुऐ भक्तों को कोविड गाइडलाइन के तहत ही मंदिर मे प्रवेश मिलेगा. मुख्य द्वार पर थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था दर्शनार्थियों के लिए की गई है. मंदिर के गर्भ गृह मे भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित है. वहीं सुरक्षा के लिहाज से मंदिर परिसर में 41 सीसीटीवी केमरों से नजर रखी जा रही है. वहीं पुलिस व होमगार्ड का बल भी तैनात किया गया है.

यह है पशुपतिनाथ की आरती का समय
-सुबह 5 बजे - मंगलाआरती
-सुबह 7 बजे ,प्रातकालीन अभिषेक आरती
(रुद्राभिषेक होता है पुरे सावन)
-सुबह 11 बजे, राजभोग आरती
-शाम 7 बजे, संध्या आरती
-रात 10 बजे शयन आरती
(सावन के चलते समय 9 की जगह 10 किया गया )

क्या है खासियत इस मूर्ति की

इस कलात्मक मूर्ति का निर्माण चमकते हुए गहरे तांबे के उग्र चट्टान-खंड में हुआ है. श्री पशुपतिनाथ महादेव की यह मूर्ति 7 फीट ऊंची और 4600 किलोग्राम वजनी है. इसके अलावा मूर्ति के ऊपर के चार मुख में भगवान शिव बाल्यावस्था, युवावस्था, अधेड़ावस्था और वृद्धावस्था के रूप में हैं. श्रावण मास में यहां पूरे एक माह तक मनोकामना अभिषेक चलता है. इसमें शामिल होने के लिए देशभर के श्रद्धालु आते हैं. अभी कोरोना के चलते अभिषेक नहीं हो रहा है.

Last Updated :Jul 26, 2021, 1:06 PM IST
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