सरकारी लापरवाही से 'लबालब' लाखों का धान! रेट बढ़ाने पर अड़े मिलर्स, साल भर से खुले में सड़ रहा 'निवाला'

author img

By

Published : Jul 5, 2021, 12:46 PM IST

Updated : Jul 5, 2021, 1:38 PM IST

paddy spoiled

बीते एक साल से धान खरीदने के बाद उसकी मिलिंग का काम नहीं हो पा रहा है. यहां के मिलर्स प्रति कुंटल मिलिंग का रेट बढ़ाने की मांग पर अड़े हुए हैं. ऐसे में यहां खुले में रखा लाखों रुपए का धान खराब हो रहा है.

कटनी। किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदने के बाद उसकी मिलिंग कराने का काम जिले में पिछले 1 साल से नहीं हो पा रहा है. यहां के मिलर्स जहां प्रति कुंटल मिलिंग का रेट बढ़ाने पर अड़े हुए हैं. खुले में रखे धान को सुरक्षित करने में सरकारी अमले की लापरवाही से लाखों रुपए की धान खराब हो रही है. जिले में लगभग 32 लाख कुंटल धान की खरीदी हुई थी, जिसमें से 15 लाख कुंटल गोदामों में रखी है, जबकि से शेष धान ओपन कैप में पड़ी है.

1 साल से बंद है मिलिंग का काम
दरअसल, यहां अधिकांश कैपो की स्थिति यह है कि बारिश से बचाव के लिए लगाई गई पन्नियां फट गई हैं. ऐसे में अब धान सड़ने लगा है. मिलर्स के अनुसार, शासन उन्हें धान की मिलिंग के लिए प्रति कुंतल 10 रुपए का भुगतान करती है और उसमें मिलर्स को घाटा होता है, जिसको लेकर स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक मिलर्स पत्राचार कर चुका है. जिसमें मिलिंग का रेट प्रति कुंटल 250 रुपए करने की मांग की गई है. ऐसे में अब मामला यहीं अटक जाने से मीलिंग का काम पिछले 1 साल से लगभग बंद है.

जहां तहां बिखरा पड़ा धान
बता दें कि रीठी रोड पर स्थित मझगांव फाटक के पास बने ओपन कैप में हजारों क्विंटल धान जहां तहां बिखरा पड़ा है. बारिश से बचाव के लिए इसका कैप में कोई रख रखाव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में धान की बोरियां पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं. खराब हुई उपज की दुर्गंध दूर तक फैली है, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारों द्वारा धान को बचाने का कोई प्रबंध नहीं किया गया.

अधिकारी ने कही ये बात
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए नान अधिकारी ने बताया कि ओपन कैप में 2 साल से धान रखा है. 19-20 और 20-21 एक तो 19-20 की मिलिंग की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. अधिकारी ने बताया कि टेंडर के माध्यम से निराकरण किया जाएगा और 20 21 का जो धान वह ओपन कैप में रखा है. उसके लिए नवीन प्रक्रिया अनुसार मिलिंग की कार्य किया जाएगा. वर्तमान में मिलर्स द्वारा ऑनलाइन चॉइस मिलिंग की जा रही है. उसके बाद अनुबंध होगा और धान अलाट कर दी जाएगी.

दरअसल, उन्होंने बताया कि एफसीआई में जो राज्य शासन के पास सामान है, वह आवश्यकता से कहीं अधिक है. इस वजह से ज्यादातर एफसीआई को परिदान करना है. उसमें कुछ बारदाने का भी मामला है. बारदाने की जितनी जरूरत है उतने नहीं है. इस वजह से मिलिंग थोड़ा स्लो हो हुई है.

Last Updated :Jul 5, 2021, 1:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.