MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला - दो बालिग युवतियों को साथ रहने का अधिकार, अदालत भी नहीं रोक सकती

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Published : Nov 11, 2022, 4:57 PM IST

MP High Court Big decision

दो बालिग लड़कियां अगर अपनी मर्जी से साथ रहना चाहती हैं तो अदालत भी उन्हें रोक नहीं सकती. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) चीफ जस्टिस रवि मलिमथ एवं जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर फैसला सुनाते हुए दो बालिग लड़कियों को साथ रहने की इजाजत दे दी. कोर्ट के समक्ष युवती ने अपनी दोस्त के साथ रहने की स्वीकृति मांगी.

जबलपुर। जबलपुर के खमरिया इलाके में रहने वाली एक 18 साल की युवती की दोस्ती 22 साल की युवती से हो गई. दोनों बचपन से ही साथ में रहती थीं. साथ पढ़ीं और बड़ी हुईं. दोनों एक-दूसरे के सुख-दुख की साथी बन गईं. समय के साथ भावनात्मक रूप से दोनों में इतना लगाव हो गया कि अब अलग रहने को तैयार नहीं हैं. वर्तमान में एक युवती की उम्र 18 तो दूसरी की 22 साल है. जब परिवार को पता चला तो दोनों घर से भाग गईं.

MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला दो बालिग युवतियों को साथ रहने का अधिकार

युवती के पिता ने लगाई थी याचिका : 18 साल की युवती के पिता ने बेटी की कस्टडी के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. बेटी की कस्टडी पाने के लिए 14 अक्टूबर को युवती के पिता ने हाईकोर्ट का रुख किया. उन्होंने कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. कोर्ट को बताया कि बेटी को महिला मित्र के बजाय घर पर रहने के लिए मनाने की कोशिशें की, लेकिन वह नहीं मानी. याचिका को हाईकोर्ट ने मंजूर कर युवती को हाजिर होने का नोटिस जारी किया.

MP High Court Big decision
MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला दो बालिग युवतियों को साथ रहने का अधिकार

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युवती ने दोस्त के साथ रहने की स्वीकृति मांगी : इसके बाद युवती हाईकोर्ट के सामने हाजिर हुई. हाईकोर्ट ने युवती को फैसला लेने के लिए एक घंटा वक्त दिया, लेकिन उसके बाद भी युवती ने अपनी दोस्त के साथ ही रहने की ही अपील की. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि लड़की बालिग है. अपनी जिंदगी के फैसले खुद ले सकती है. लिहाजा, न्यायालय के आदेश पर दोनों को जाने दिया गया.

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