Jabalpur High Court भगवान सिंह एनकाउंटर मामले में मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट तलब, 4 हफ्ते बाद अगली सुनवाई

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Published : Dec 6, 2022, 6:44 PM IST

Updated : Dec 6, 2022, 7:06 PM IST

Jabalpur High Court

जबलपुर में हाईकोर्ट (jabalpur high court) ने साल 2006 में सागर के सुर्खी पुलिस थाना क्षेत्र में हुई भगवान सिंह लोधी की कथित एनकाउंटर (bhagwan singh encounter case) मामले मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट तलब की है. सोमवार क हुई सुनवाई पर आवेदक की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने कोर्ट को बताया कि मामला 15 सालों से लंबित है. आज तक अनावेदकों द्वारा कोर्ट के सामने मजिस्ट्रियल जांच पेश नहीं की गई है और न ही दोषी पुलिस अधिकारियों पर हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया है.

जबलुपर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने साल 2006 में सागर के सुर्खी पुलिस थाना क्षेत्र में हुई भगवान सिंह लोधी की कथित एनकाउंटर मामले ((bhagwan singh encounter case) की मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट तलब की है. जस्टिस एसए धर्माधिकारी की एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है. मृतक भगवान सिंह लोधी के पिता थान सिंह लोधी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि सागर जिला के सुर्खी पुलिस थाना स्थित चतुर्भटा में कोर्ट से जारी वारंट की तामीली करने पहुंची पुलिस टीम ने उसके बेटे को पकड़कर सर्विस रिवाल्वर से सीने के लेफ्ट साइड तीन गोली मारकर 20 अक्टूबर 2006 को हत्या कर दी थी. जिसे एक एनकाउंटर का रूप देकर घटना को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया.

मजिस्ट्रियल जांच की मांग: मृतक भगवान सिंह लोधी की पोस्टमार्ट रिपोर्ट के मुताबिक गोली सीने में सटाकर फायर करने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है. याचिका में स्वतंत्र एजेंसी से जांच कर तत्कालीन पुलिसकर्मी पूरन लाल नगायच, रामगोपाल शुक्ला व तत्कालीन पुलिस कप्तान मोहम्म शाहिद अवसार के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज करने व मृतक के आश्रितों को उचित क्षतिपूर्ति प्रदान करने की राहत की बात कही गई. मामले में कोर्ट ने 6 नवंबर 2006 को अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे. जिस पर अनावेदकों ने केस में उठाए गए मुद्दों का कोई जबाब नहीं दिया, बल्कि अनावेदकों ने मजिस्ट्रियल जांच का हवाला देते हुए जवाब दाखिल किया था.

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कोर्ट ने एमपी सरकार व कलेक्टर को रिपोर्ट पेश करने दिए आदेश: मामले में सोमवार को हुई सुनवाई पर आवेदक की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने कोर्ट को बताया कि मामला 15 सालों से लंबित है. आज तक अनावेदकों द्वारा कोर्ट के सामने मजिस्ट्रियल जांच पेश नहीं की गई है, न ही दोषी पुलिस अधिकारियों पर हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया है. तर्क दिया गया कि 15 वर्ष के बाद भी प्रकरण सारहीन नहीं हो सकता. अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की कानून में कोई नियत समय सीमा नहीं है और न ही अनावेदक यह तर्क कर सकते हैं की 15 वर्ष व्ययतीत होने के कारण प्रकरण सारहीन हो गया है. अधिवक्ता के तर्कों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन व कलेक्टर को चार सप्ताह के अंदर तत्कालीन मजिस्ट्रियल रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है (court order government collector to present report).

Last Updated :Dec 6, 2022, 7:06 PM IST
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