India Tiger Census 2021: आज से बाघों को खोजने के लिए जंगल की खाक छानेंगे अधिकारी-कर्मचारी

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Published : Nov 17, 2021, 6:45 AM IST

Updated : Nov 17, 2021, 1:10 PM IST

India Tiger Census 2021

भले ही जंगल के बाहरी क्षेत्रों में घूम रहे बाघों की जानकारी विभाग के पास नहीं रहती है, लेकिन अब घने जंगल में बाघों को खोजने जाएंगे विभागीय अधिकारी-कर्मचारी क्योंकि अखिल भारतीय बाघ गणना 2021 (India Tiger Census 2021), 17 नवंबर से शुरू हो गई है, जोकि 23 नवम्बर तक चलेगी. पहली बार बाघों की गणना ऐप के माध्यम से ऑनलाइन किया जा रहा है.

होशंगाबाद। अखिल भारतीय बाघ गणना 2021 (India Tiger Census 2021) आज यानि 17 नवम्बर से शुरू होकर 23 नवम्बर तक चलना निर्धारित है. इस बार बाघ आंकलन हर वर्ष से हटकर होने वाला है. हर बार बाघों के आंकलन में प्रपत्रों में आंकड़े जुटाए जाते थे, लेकिन इस बार ऑनलाइन सर्वे किया जाना निर्धारित है, जो एप के माध्यम से किया जाएगा.

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बाघों की दहाड़ से विभाग अनजान!

वहीं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ महीनों से जंगल के बाहरी क्षेत्रों में ग्रामीण आबादी के आसपास बाघों का मूवमेंट हो रहा है, ग्रामीण सहित अन्य लोगों को बाघों के प्रत्यक्ष दर्शन हो रहे हैं, फिर भी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और वन मंडल के अधिकारी-कर्मचारियों को इसकी जानकारी नहीं रहती है. कुछ दिन पूर्व पचमढ़ी के धूपगढ़ पर्यटन स्थल के मार्ग पर बाघ नजर आया था. इससे पूर्व इसी क्षेत्र के आसपास भी दो बार अलग-अलग स्थानों पर बाघ दिखाई दिये थे, इसके बावजूद अधिकारी-कर्मचारी अनजान बने रहे, जब सोशल मीडिया पर बाघ का वीडियो वायरल हुआ तो अधिकारियों को बाघ के होने की पुष्टि करना पड़ा.

India Tiger Census 2021
अखिल भारतीय बाघ गणना 2021

इस बार बाघों की ऑनलाइन गणना

अब ऑनलाइन बाघों का सर्वे होगा, जिसमें कर्मचारी-अधिकारी जंगल के घने वन क्षेत्रों में जाकर बाघों का सर्वे कर उनकी गणना करेंगे, जब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की टीम को बाहरी क्षेत्र में घूम रहे बाघों की सही जानकारी नहीं मिल पा रही तो अंदर होने वाली घटना का प्रत्यक्ष प्रमाण किस प्रकार वह जुटाएंगे, यह तो वक्त ही बताएगा. हर बार की तरह इस बार भी कई प्रकार से बाघों के निशान देखकर सर्वे किया जाना है.

पचमढ़ी में हुई मास्टर ट्रेनिंग

ऑनलाइन बाघ सर्वे के लिए मास्टर ट्रेनर्स को तीन दिवसीय प्रशिक्षण पचमढ़ी में दिया जा चुका है, होशंगाबाद वन मंडल के प्रशिक्षण प्राप्त मास्टर ट्रेनर्स में वन मंडल अधिकारी होशंगाबाद शिव अवस्थी, उप अखिल भारतीय बाघ आकलन समन्वयक अधिकारी ओम प्रकाश बिडारे, सहायक वन संरक्षक ऋषि कुलपारिया, वन पाल मास्टर ट्रेनर उपेन्द्र चौधरी, वन रक्षक मास्टर ट्रेनर द्वारा वन परिक्षेत्र इटारसी सुखतवा के वन कमियों एवं अधिकारियों को हिरन चापड़ा नर्सरी में प्रशिक्षण दिया गया था. प्रशिक्षण में एप के माध्यम से ऑनलाइन सर्वे में बरती जाने वाली सावधानियों एवं बारीकियों के बारे में बताया गया है.

All India Tiger Census 2021
अखिल भारतीय बाघ गणना 2021

टाइगर स्टेट है मध्यप्रदेश

वर्ष 2018 की अखिल भारतीय बाघ गणना में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर आया था, उस दौरान मध्यप्रदेश में 526 बाघ मिले थे, जो देश में सबसे अधिक थे. सबसे अधिक बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 126 मिले थे, वहीं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में यह आंकड़ा 47 था, इस बार वन क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 700 के ऊपर जा सकती है, वही सतपुड़ा टाइगर रिजर्व वर्तमान में दिख रहे बाघों के अनुसार 50 से 55 की संख्या में हो सकते हैं.

बाघ गणना का ये है उद्देश्य

प्रशिक्षण द्वारा कर्मचारियों को बाघ गणना का उद्देश बताया गया है, जिसमें उन्हें बताया गया है कि बाघ गणना से वनों की वास्तविक स्थित का पता लगाना है, परिस्थिति तंत्र में आपेक्षित सुधार पर ध्यान देना है, जिससे वन में मांसहारी एवं शाकाहारी वन्य प्राणियों का संतुलन बना रहता है. प्रशिक्षण में बाघ गणना का महत्व, साइन, सर्वे, ट्राजेक्ट लाइन सर्वे, प्लाट सर्वे के बारे में प्रशिक्षण दिया गया है, साथ ही मांसहारी एव शाकाहारी वन्य प्राणी की पहचान उनके साक्ष्यों के अनुसार, वनक्षेत्र में पाये जाने वाले वृक्षों, झाड़ियों, खर-पतवार एवं घास की प्रजाति की जानकारी दी गई है, इसके साथ ही Mstripes App के माध्यम से होने वाली अखिल भारतीय बाघ गणना 2021 (India Tiger Census 2021) का कार्य शुरू हो गया है.

All India Tiger Census 2021
अखिल भारतीय बाघ गणना 2021

ऐसे खोजे जाएंगे बाघ

जंगल में ट्रांजैक्ट लाइन सर्वे किया जाएगा, इसके आसपास मौजूद वृक्षों में बाघों के पंजों के निशान, विस्टा, मूत्र, प्रत्यक्ष दर्शन, शिकार, जमीन पर लोट, पैरों के निशान, कैमरा ट्रैपिंग आदि साक्ष्य एकत्रित एकत्रित कर ऐप के माध्यम से गणना की जाएगी.

वन्य क्षेत्रों के बाहर बाघों की मुश्किलें

  • कब्जा: जंगलों में मनुष्यों की बसाहट बढ़ने से घास के मैदान घट रहे हैं, ऐसे में शाकाहारी वन्य जीव संकट में हैं और उनकी कमी होने पर बाघों का भोजन सिमट रहा है.
  • खनन: वन क्षेत्रों में खनिज संपदा छिपी हुई है और सरकारें उत्खनन करना चाहती हैं, ऐसे में बाघों के जीवन में खलल पैदा हो रहा है.
  • परियोजनाएं: दस साल में करीब पांच बड़ी परियोजनाएं आई हैं, जिसमें हजारों हेक्टेयर जमीन वनों की गई है, जिसकी भरपाई के लिए सरकार पैसा और जमीन देती है, लेकिन वन तैयार होने में 20 साल लग जाते हैं और दो साल के अंदर इन परियोजनाओं के लिए वनों की कटाई हो जाती है.
  • माफिया: लकड़ी और वन संपदा पर माफिया की निगाह रहती है, वे अंदर ही अंदर जंगलों को खोखला कर रहे हैं. इसकी भरपाई संभव ही नहीं है.
Last Updated :Nov 17, 2021, 1:10 PM IST
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