Republic day 2023: उत्तर भारत में सिर्फ ग्वालियर में तैयार होता है तिरंगा, शान से लहराने से पहले देनी होती है अग्नि परीक्षा

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Published : Jan 24, 2023, 10:11 PM IST

Republic day 2023

देश की आन, बान, शान तिरंगा, जब नीले रंग के आसमान में लहराता है, तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. सबसे खास बात यह है कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर में तिरंगे का निर्माण होता है. खादी संघ संस्था में बने तिरंगे देश के कई राज्यों के साथ आर्मी की सभी इमारतों की शोभा बढ़ाता है.

ग्वालियर में तैयार होता है तिरंगा

ग्वालियर। इस बार पूरा देश 26 जनवरी को 74वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. इस मौके पर हर कोई व्यक्ति अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है, लेकिन जब हमारी आन बान और शान कहे जाने वाले तिरंगे की बात होती है तो सबसे पहले ग्वालियर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है. आजादी के बाद ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण करके अभी भी पूरे देश में अपना नाम रोशन किए हुए हैं. यह जानकर आपको गर्व होगा कि देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के साथ कई मंत्रालयों पर लहराने वाले तिरंगे हमारे शहर में तैयार होते हैं. तिरंगों को ग्वालियर में स्थित देश का दूसरा और उत्तर भारत का इकलौता मध्य भारत खादी संघ बना रहा है.

आर्मी की सभी इमारतों की शान बढ़ाते ग्वालियर के बने तिरंगे: खास बात यह है जब भी देश के किसी कोने में तिरंगा फहराया जाता है, तब हमारे ग्वालियर का जिक्र सभी की जुबान पर होता है, क्योंकि ग्वालियर में स्थित मध्य भारत खादी संघ उत्तर भारत में इकलौती ऐसी संस्था है जो तरंगों का निर्माण करती है. यहां जमीनी प्रक्रिया से लेकर तिरंगे में डोरी लगाने तक का काम किया जाता है. देश में कर्नाटक के हुगली और ग्वालियर के केंद्र में ही बनाए जाते हैं. इन दिनों यूनिट में 26 जनवरी के लिए तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं. यहां बनने वाले तिरंगे मध्य प्रदेश के अलावा बिहार, राजस्थान उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित 16 राज्यों में पहुंचाए जाते हैं. हमारे लिए गौरव की बात तो यह है कि देश के अलग-अलग शहरों में स्थित आर्मी की सभी इमारतों पर ग्वालियर में बने तिरंगे की शान बढ़ाते हैं.

flag made in gwalior
खादी संघ संस्था में तिरंगे का निर्माण

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ग्वालियर के खादी संघ में तैयार होता है तिरंगा: मध्य भारत खादी संघ में राष्ट्रीय ध्वज निर्माण इकाई की प्रमुख नीलू का कहना है कि वर्तमान में यहां अलग-अलग कैटेगरी में तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं. इस संस्था द्वारा हमारी तिरंगा बनाने के लिए तय मानकों का विशेष ख्याल रखा जाता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी ,चक्र का साइज, रंग और जैसे मानक शामिल है. इसके साथ ही लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है. मानकों को ध्यान में रखते हुए हमारा राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है. मध्य भारत खादी संघ संस्था द्वारा किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है. लैब में ट्रैकिंग के बाद जब हमारा राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह तैयार हो जाता है, उसके बाद ही उसे लैब से बाहर निकाला जाता है. ग्वालियर में स्थित मध्य भारत खादी संघ आईएसआई प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करती है और यह पूरे देश भर में दूसरी संस्था है.

16 राज्यों में भेजे जाते हैं ग्वालियर के बने तिरंगे: मध्य भारत खादी संघ के मंत्री रमाकांत शर्मा का कहना है कि मध्य भारत खादी संघ की स्थापना हर साल 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला और उसके बाद साल 2016 से यह संस्था आईएसआई(Inter services intelligence) प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रही है. यह उत्तर भारत की पहली ऐसी संस्था है जो तिरंगे का निर्माण करती है. मध्य भारत खादी संघ द्वारा तैयार किये गये अलग-अलग कैटेगरी के तिरंगे देश के 16 राज्यों में जाते हैं और सभी शासकीय और अशासकीय इमारतों पर शान से फहराए जाते हैं. मध्य भारत खादी संघ द्वारा बनाए रहे तिरंगे मध्यप्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर सहित 16 राज्यों में पहुंचते हैं. गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और संविधान दिवस पर बड़ी शान से फहराया जाते हैं.

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तिरंगे का किया जा रहा निर्माण

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1 करोड़ के पास पहुंचा तिरंगे का उत्पादन: मध्य भारत खादी संघ के पदाधिकारियों ने बताया है कि इस बार 26 जनवरी को देश के अलग-अलग राज्यों से इतने आर्डर आ चुके हैं कि वह तरंगों की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. अभी तक उन्होंने 22 हजार तिरंगों का निर्माण किया है और इस 26 जनवरी को उनका उत्पादन लगभग एक करोड़ के आसपास पहुंच गया है. उनका कहना है कि ग्वालियर में स्थित मध्य भारत खाद्य संघ द्वारा तैयार किए गए तिरंगे इतने लोगों को पसंद आ रहे हैं कि उनकी हर साल 26 जनवरी, 15 अगस्त और संविधान दिवस पर मांग बढ़ती जा रही है. हालात यह हो चुके हैं यह संस्था अब तिरंगों की पूर्ति नहीं कर पा रही है.

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