ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में मौजूद है संविधान की मूल प्रति, इन हस्तियों के हैं हस्ताक्षर

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Published : Nov 26, 2020, 3:50 PM IST

Updated : Nov 26, 2021, 11:28 AM IST

Copy of constitution

पूरा देश आज 71वां संविधान दिवस मना रहा है. संविधान के बारे में सब ने सुना है, लेकिन कम ही लोग होंगे, जिन्होंने संविधान की मूल प्रति को देखा होगा. आज हम आपको दिखा रहे हैं, ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में 31 मार्च 1956 से सुरक्षित रखी गई संविधान की मूल प्रति.

ग्वालियर। हर साल 26 नवंबर को हम संविधान दिवस मनाते हैं. 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था, लेकिन इससे पहले 26 नवंबर 1949, यानी आज ही के दिन इसे अपनाया गया था. सात दशक पहले भारत का संविधान तैयार हुआ था. इस संविधान की एक मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है. इस प्रति पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं.

संविधान की मूल प्रति

1956 में लाई गई थी प्रति

31 मार्च 1956 को ये प्रति यहां लाई गई थी. उस वक्त देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान की कुल 26 मूल प्रतियां भेजी जा रहीं थीं. ग्वालियर मध्यप्रदेश के उन इकलौते शहरों में से एक था, जहां संविधान की मूल प्रति को भेजा गया था.

खास है संविधान की प्रति

ये प्रति कई मायने में खास है. इसके आवरण पृष्ठ पर स्वर्ण अक्षर अंकित हैं. इसमें कुल 231 पेज हैं. संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक का उल्लेख मिलता है. इतना ही नहीं संविधान सभा के 286 सदस्यों की मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति पर मौजूद हैं.

प्रति में समाहित हैं विशेष चित्र

अनुच्छेद की शुरुआत में प्रतीकात्मक एक विशेष चित्र प्रकाशित किया गया है. इसको देखने वाले छात्रों कहना है कि, उनके लिए ये गौरव की बात है, जिससे हमारा देश चलता है, उसको हम देख पा रहे हैं.

भीमराव अंबेडकर को माना जाता है संविधान निर्माता

डॉ भीमराव अंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता कहा जाता है. हमारे देश का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है. सभी संविधानों को परखने के बाद इस संविधान का निर्माण कराया गया. संविधान की ड्रॉफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ बीआर आंबेडकर थे. संविधान सभा के सदस्यों का पहला सेशन 9 दिसंबर 1947 को आयोजित हुआ. इसमें संविधान सभा के 207 सदस्य थे.

संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य

संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना, समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना है. संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथों से लिखी गई थी. ये बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई है. इसके हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया था.

Last Updated :Nov 26, 2021, 11:28 AM IST
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