एमपी में उफान मार रहा पानी, मड़ीखेड़ा डैम के दस गेट खुलने के बाद बह गए दतिया के सिंध पर बने दो पुल

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Published : Aug 3, 2021, 10:32 PM IST

daita bridge

मध्यप्रदेश के बड़े हिस्से में लगातार जारी बारिश और बाढ़ से हालात बेहद खराब हो गए हैं. इसी कड़ी में मंगलवार को दतिया के सेवड़ा क्षेत्र में दो पुल टूटकर बह गए.

दतिया। लगातार हो रही तेज बारिश से सिंध नदी उफान मार रही है, जिसके चलते सेवड़ा क्षेत्र में दो पुल टूटकर बह गए हैं. पहला पुल लांच-पिछोर का है, जो इंदरगढ़ जोड़ता है. वहीं दूसरा पुल रतनगढ़ मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते मरसेनी से जुड़ता है. वह भी तेज बहाव में टूटकर बह गया.

दतिया में पानी का दबाव नहीं झेल सका पुल.

जिला और पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर
सेवड़ा क्षेत्र में दो पुल टूटकर बह जाने से जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है. ऐसे में प्रशासन ने पुल पर आने-जाने से आमजन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. वहीं लोग यह नजारा देखने के लिये पहुंच रहे हैं. पुलिस प्रशासन ने पुल टूटने की घटना को क्षेत्र में रेड अर्लट घोषित कर दिया है. ब्रिज टूट जाने से दोनों जगहों पर संपर्क टूट गया है.

MP: बाढ़ के हालात पर सीएम ने प्रधानमंत्री मोदी से की बात, प्रभावित इलाकों में सेना भेजे जाने के आदेश, कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर

बता दें कि जिले में पिछले 24 घंटों से लगातार हो रही है. पुल बहने का कारण डैम से पानी छोड़ना बताया जा रहा है. दरअसल, मड़ीखेड़ा डैम लबालब भरने के बाद सोमवार देर रात आठ गेट खोल दिये गए थे. वहीं दोपहर दो गेट और खोले गए और दस हजार क्यूसेक पानी सिंध नदी में एक साथ छोड़ दिया गया. ऐसे में पुल पानी के दबाव को झेल नहीं सका और बह गया.

1000 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर बचाया
बता दें कि मध्यप्रदेश के बड़े हिस्से में लगातार जारी बारिश और बाढ़ से हालात बेहद खराब हो गए हैं. बाढ़ प्रभावित शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर ,दतिया, मुरैना जिलों में बाढ़ प्रभावित इलाकों में सेना बुलाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. कई इलाकों में सेना की तैनाती भी की गई है. इससे पहले शिवपुरी में वायुसेना के 3 हेलिकॉप्टर को रेस्क्यू के लिए लगाया गया है. अब तक 1000 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. सीएम शिवराज सिंह ने भी मंगलवार सुबह पीएम नरेंद्र मोदी को बाढ़ के हालात की जानकारी दी. प्रदेश में कई जगहों पर वाटरलेबल बढ़ने के बाद बांधों के गेट खोलने से सैकड़ों गांव टापू बन चुके हैं. वहीं चंबल और पार्वती , बेतवा नदिया खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं.

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