छतरपुर। आजादी के 75 सालों के बाद भी देश में छुआछूत और जातिवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इसका उदाहरण देखने को मिलता है बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में. जहां आज भी कई गांवों के नाम जातियों के नाम पर है. लेकिन अब इसका विरोध होने लगा है. छतरपुर के चमारनपुरवा गांव के नाम का अब विरोध हो रहा है.
सालों से गांव का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं ग्रामीण
कई सालों से यहां के ग्रामीण गांव का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं. स्कूलों की बिल्डिंग से लेकर हर जगह गांव का यही नाम है, जिसे अब यहां के ग्रामीण बदलना चाहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जाति सूचक शब्द होने के साथ ही उन्हें गांव का नाम बोलने में भी शर्म महसूस होती है. लगातार मांग करने के बाद भी जब गांव का नाम नहीं बदला गया.
गांव की सरकारी बिल्डिंगों पर लिखे हैं जातिसूचक शब्द
चंदला विधानसभा के महोई खुर्द में रहने वाले ग्रामीण अपने पुरवा का नाम और स्कूल का नाम बदलवाना चाहते हैं. जिसको लेकर उन्होंने सरपंच से लेकर कई स्थानीय अधिकारियों से भी इस संबंध में बात की, लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. इसे लेकर ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचकर सीएम, राज्यपाल और पीएम के नाम आवेदन दे चुके हैं लेकिन फिर भी गांव का नाम नहीं बदला गया.
ग्रामीणों ने जातिसूचक शब्दों पर लगाया काला पेंट
लगातार मांग करने के बाद भी जब किसी ने ग्रामीणों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो ग्रामीणों ने महोई खुर्द पहुंचकर जहां-जहां भी जातिसूचक शब्द लिखे थे, उनपर काला पेंट पोत दिया. इसे लेकर समाजसेवी सैंडी सिंह का कहना है कि जिन भी बिल्डिंगों पर जातिसूचक शब्द लिखे हैं प्रशासन को उन्हें तत्काल हटाने की कार्रवाई करना चाहिए.
वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर गांवों के नाम बदलाएंगे
बीजेपी के जिला अध्यक्ष मलखान सिंह ने इसे गंभीर मामला बताया है. मलखान सिंह ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि इस ओर कभी किसी का ध्यान ही नहीं गया. अब प्रशासन को तुरंत इसपर ध्यान देना चाहिए और जिन भी स्थानों के नाम जातिसूचक हैं उन्हें तुरंत बदलने की कोशिश करना चाहिए. मलखान सिंह ने कहा कि वे वरिष्ठ अधिकारियों से बात करके इन नामों को हटवाएंगे.
संविधान में इस तरह के शब्द बोलने पर कार्यवाही
कानून के जानकार और जिला न्यायालय में वकालत करने वाले शिव प्रताप सिंह का कहना है कि संविधान में इस तरह से जाति सूचक शब्द बोलने पर जब लोगों पर कार्यवाही हो जाती है, तो सार्वजनिक तौर पर इस तरह से नाम लिखने पर जिला प्रशासन के मुखिया यानी की कलेक्टर पर भी कार्यवाही बनती है. यह मामला बेहद संवेदनशील और गंभीर है. संबंधित मामले में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को जल्द से जल्द कार्यवाही करनी चाहिए. अगर जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं देता तो संबंधित मामले से लोग हाईकोर्ट भी जा सकते हैं.