सड़क हादसे में गई बेटे की जान, पिता ने शहर को अतिक्रमण मुक्त करने का लिया संकल्प

सड़क हादसे में गई बेटे की जान, पिता ने शहर को अतिक्रमण मुक्त करने का लिया संकल्प
छतरपुर में बेटे की मौत के बाद पिता ने शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने का संकल्प लिया है. जिससे किसी और बेटे को इस तरह सड़क हादसे में जान न गंवाना पड़े. हालांकि पिता के कई बार आवेदन देने के बाद भी प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया है, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
छतरपुर। सड़क हादसे में अपने जवान बेटे को खोने के बाद (Son Died In Road Accident In Chhatarpur) एक बुजुर्ग पिता शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए मुहिम चला रहा है. इसके लिए वह पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर एवं नगरपालिका को कई बार आवेदन दे चुका है की शहर भीषण अतिक्रमण की चपेट में है. खासतौर से शहर के कई मुख्य मार्ग लेकिन काशीराम के इन आवेदनों का जिला प्रशासन पर कोई असर न होते देख, उन्होंने अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है( Father Filed Petition In High Court).
सड़क हादसे में अतिक्रम की वजह से गई बेटे की जान: छतरपुर जिले के बस स्टैंड स्थित जटाशंकर पैलेस के पास रहने वाले काशीराम सोनी एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं. वह ग्रामीण मध्यांचल बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर रिटायर्ड होने के बाद अपने परिवार के साथ रह रहे थे. रिटायर्ड होने के बाद 3 बेटों के कामों में हाथ बंटा कर उनकी मदद कर रहे थे. मृतक शिवम सोनी व उसके भाई ई-रजिस्ट्री का काम करते थे. 19 जुलाई 2022 को शिवम बाइक से नौगांव रोड बस स्टैंड पर स्थित विशाल मेगा मार्ट से गुजर रहा था. तभी अतिक्रमण होने की वजह से तेज रफ्तार ट्रक ने शिवम को पीछे से टक्कर मार दी और शिवम को रोंदते हुए निकल गया. जिससे शिवम की मौके पर ही मौत हो गई. घटना के बाद परिजन लहूलुहान स्थिति में शिवम को जिला अस्पताल लेकर आए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
अतिक्रमण ने ली बेटे की जान: मृतक के पिता काशीराम सोनी का कहना है की उनके बेटे की मौत का सबसे बड़ा कारण शहर का अतिक्रमण है. जिस वक्त शिवम की मौत हुई, उस समय विशाल मेगा मार्ट के वहां पर अतिक्रमण था. इसी वजह से यह हादसा हुआ. अगर उस समय रास्ते में अतिक्रमण नहीं होता तो आज उनका बेटा जिंदा होता.
B.E की पढ़ाई कर रहा था शिवम,घर में सबसे लाड़ला था: शिवम की उम्र महज 21 वर्ष ही थी. पिता का कहना है की वह घर में सबसे छोटा था, छोटे होने की वजह से वह सभी का लाडला था. घर में कोई भी काम होता तो शिवम उसे करने के लिए हमेशा तैयार रहता था. पूरे परिवार को शिवम से बहुत उम्मीदें थी की वह एक दिन परिवार का नाम रोशन करेगा.
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किसी और को न हो ऐसा दुःख इस लिए लड़ रहा हूं लड़ाई: काशीराम सोनी का कहना है की उनका बेटा तो अब वापस नहीं आ सकता लेकिन उनका संकल्प शहर में रह रहे अन्य बेटों के लिए है ताकि अब कोई और शिवम की तरह सड़क हादसे का शिकार न हो.
अंतिम सांस तक लडूंगा शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए: काशीराम सोनी का कहना है कि अंतिम सांस तक शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने की लड़ाई लड़ते रहेंगे. काशीराम सोनी का कहना है कि उन्हें मालूम है इतनी आसानी से सब कुछ नहीं होगा. यही वजह है कि वह हर तरह की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. काशीराम सोनी का कहना है की वह अंतिम सांस तक यह लड़ाई लड़ेंगे.
हाईकोर्ट का खटखटाया दरबाजा: काशीराम सोनी ने शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए जिला प्रशासन को अब तक कई आवेदन एवं उसकी रिमाइंडर भेज चुके हैं. काशीराम का कहना है कि उन्हें मालूम है कि इतनी आसानी से शहर को अतिक्रमण मुक्त नहीं किया जाएगा. यही वजह है कि उन्होंने अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. काशीराम सोनी हाईकोर्ट में छतरपुर शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए एक पिटीशन दायर करने वाले हैं. काशीराम सोनी ने बताया कि वह जबलपुर हाई कोर्ट में पिटीशन लगाने के लिए गए हुए थे लेकिन अभी लेकिन छतरपुर में दिए गए आवेदनों का समय अभी पूरा नहीं हुआ. इसलिए वहां पिटीशन दायर नहीं हो सकती है.
